ग्वालियर। ग्वालियर जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष अरुण तोमर ने कोर्ट में याचिका दायर की है. इसमें कहा गया है कि स्थानीय बिरला अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र में उनकी पत्नी का पिछले साल कोरोना संक्रमण का इलाज चला था, जहां अस्पताल प्रबंधन ने ऑक्सीजन और दवाओं के मनचाहे दाम वसूले और उनकी पत्नी के गहने तक गायब कर दिए.
कोर्ट ने 4 सप्ताह में मांगा जवाब : जज के काफी प्रयास के बाद इस मामले में गोला का मंदिर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई. लेकिन पुलिस ने अब तक चालान पेश नहीं किया है. पीड़ित का कहना है कि जब उनके जैसे व्यक्ति के साथ पुलिस और अस्पताल प्रबंधन का इस तरह का व्यवहार हो सकता है तो आम आदमी के साथ क्या बर्ताव होता होगा, इसका अंदाजा लगाना आसान है. कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसमें प्रदेश के पुलिस मुखिया एसपी ग्वालियर और गृह विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी करके 4 सप्ताह में जवाब मांगा है.
शव के गहने तक उतार लिए : अरुण तोमर की पत्नी सरला तोमर का पिछले साल अप्रैल में कोरोना संक्रमण के कारण निधन हो गया था. उनका बिरला अस्पताल में इलाज चला था लेकिन जब सरला तोमर का शव अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों को दिया तो उनके कुछ कीमती गहने शरीर से गायब थे. इस मामले में काफी मशक्कत के बाद जज अरुण तोमर सितंबर में जाकर शिकायत दर्ज करा पाए थे. उनका यह भी आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने ऑक्सीजन और दवाओं के अनाप-शनाप बिल थमा दिए.
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आरोप पुष्ट हो गए थे : उधर, पुलिस ने इस मामले में अभी तक चालान पेश नहीं किया है. मामले की जांच क्षेत्र के सीएसपी ने की थी, जिसमें उन्होंने अस्पताल प्रबंधन पर मनमानी के आरोपों की पुष्टि की थी. इसके बाद ही बिरला अस्पताल एवं प्रबंधन पर धोखाधड़ी और सामान गायब करने जैसी धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. 9 महीने बाद भी गोला का मंदिर पुलिस ने बिरला अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश नहीं किया है. इस पर अब जज को न्यायालय की शरण लेनी पड़ी. इस मामले में सीएसपी रवि भदौरिया का कहना है "जांच में अस्पताल की मनमानी पुष्ट हुई थी. जल्द ही चालान पेश किया जाएगा." (Police not presenting challan) (Arbitrary recovery in name of treatment) (Notice to top police officers)