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बाढ़ में सबकुछ बर्बाद! 90000 हेक्टेयर में लगी फसल नष्ट, किसानों को मसीहा का इंतजार - 90000 हेक्टेयर में लगी फसल नष्ट

ग्वालियर-चंबल संभाग के बाढ़ प्रभावितों को फिलहाल आश्वासन से ज्यादा दो वक्त की रोटी और सिर पर छत की जरूरत है, आसमानी तबाही में अपना सबकुछ गंवा चुके हजारों लोग आज सड़क पर हैं, उनके पूरे जीवन की जमा पूंजी इस जलजले में स्वाहा हो चुकी है. अब तो उन्हें बस किसी मसीहा का इंतजार है, जो आकर उनके जख्मों पर मरहम लगा दे.

90 thousand hectares of crops destroyed
ग्वालियर में 90000 हेक्टेयर में लगी फसल नष्ट
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Published : Aug 9, 2021, 1:38 PM IST

Updated : Aug 9, 2021, 2:36 PM IST

ग्वालियर। ग्वालियर-चंबल अंचल में आई बाढ़ ने करीब करीब सब कुछ बर्बाद कर दिया है, अंचल के एक हजार से अधिक गांव हैं, जो भीषण बाढ़ की चपेट में आने से पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं. सैकड़ों लोगों ने गांव छोड़ दिया है तो वहीं सैकड़ों लोगों की घर गृहस्थी के नाम पर कुछ बचा ही नहीं है, जो कुछ है वो सब मलबे में तब्दील हो चुका है. बर्बादी का ऐसा मंजर शायद पहली कभी किसी ने देखा नहीं होगा. इस बर्बादी में सबसे ज्यादा किसानों की फसलें तबाह हुई हैं. खेतों में लबालब पानी भरा हुआ है, जिसके चलते खरीफ की फसल पूरी तरह चौपट हो गई है. सरकारी आंकलन के अनुसार ग्वालियर-चंबल अंचल के जिलों के 800 से अधिक गांव ऐसे हैं, जहां की 90000 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि पर खड़ी फसल खराब हुई है. बाढ़ के पानी से आई मिट्टी में खेतों में खड़ी फसल दब गई है.

ग्वालियर-चंबल में सबकुछ बर्बाद

ग्वालियर-चंबल अंचल में 1000 घर तबाह

ग्वालियर-चंबल अंचल का कोई भी जिला नहीं बचा है, जहां बाढ़ का कहर न बरपा हो, सभी जिलों में बाढ़ ने तबाही मचाई है, जिसमें ग्वालियर, श्योपुर, शिवपुरी, भिंड, दातिया, गुना, अशोक नगर और मुरैना शामिल है. इन सभी जिलों के सैकड़ों से अधिक गांव ऐसे हैं, जो बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, जहां घर मलबे में तब्दील हो चुके हैं, अनाज पूरी तरीके से सड़ चुके हैं, दो वक्त की रोटी के लिए ये लोग मोहताज हो रहे हैं. जिन इलाकों में सबसे अधिक बर्बादी हुई है, वह खेती वाला इलाका है, जहां पर सबसे अधिक किसानों की संख्या है और यही वजह है कि सबसे ज्यादा तबाही का मंजर किसानों को झेलना पड़ा है, उनके घरों के साथ-साथ फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है. अब इसकी भरपाई करना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी.

90 thousand hectares of crops destroyed
बाढ़ के बाद की तस्वीर

बाढ़ से 1000 से अधिक गांव प्रभावित

ग्वालियर-चंबल अंचल में आई बाढ़ ने सबसे अधिक ग्रामीण इलाकों को अपनी चपेट में लिया है, इस तबाही में 1000 से अधिक गांव बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, बाढ़ का पानी घुसने से मकान मलबे में तब्दील हो चुके हैं, कच्चे मकान धराशायी हो चुके हैं, घरों में रखा अनाज सड़ चुका है, मवेशियों का अभी तक कोई अता पता नहीं है, खेतों में खड़ी फसल बर्बाद हो चुकी है, हजारों एकड़ में रोपी गई धान की फसल पूरी तरह से खराब हो गई है, इसके अलावा सोयाबीन, उड़द, मूंग और तिल के अलावा मक्का की फसल भी तबाह हो चुकी है, खेतों में बाढ़ के पानी के साथ आई मिट्टी ने खेतों में खड़ी फसल और रोपे गए धान की फसल के ऊपर परत बना ली है. जिसकी वजह से यह पूरी तरह खराब हो चुकी है.

90 thousand hectares of crops destroyed
पानी-पानी फसल

किसानों को दोबारा करनी पड़ेगी बोवनी

इस समय खरीफ का सीजन चल रहा है, ज्यादातर किसान अपने खेतों में मूंग, उड़द, तिल, मक्का की फसल लगा चुके थे, बाकी बचे किसान धान की रोपनी भी लगभग कर चुके थे, जोकि बाढ़ में पूरी तरह बर्बाद हो चुका है, किसानों के खेत पानी से लबालब भरे हैं, यही कारण है कि किसान पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं. अब किसानों को दोबारा से बोवनी करनी पड़ेगी. अकेले ग्वालियर जिले में दोबारा से रोपनी का काम शुरू हो गया है, जिले में अभी तक 64 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की फसल रोपी जा चुकी है. हालांकि, नदी से लगे गांव में हुई तबाही से उबरने में अभी 10 से 15 दिन लगेंगे. इस बीच यह भी अनुमान है कि धान के जिन खेतों से पानी उतर रहा है, वहां दोबारा से धान रोपाई का काम शुरू होगा.

90 thousand hectares of crops destroyed
खेतों में भरा पानी

बाढ़ से बेहाल मध्य प्रदेश, अब तक 24 लोगों ने तोड़ा दम, हजारों गांव प्रभावित, NDRF की 8 यूनिट बचाव कार्य में जुटीं

बाढ़ पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाना चुनौती

ग्वालियर-चंबल अंचल में 50 साल बाद ऐसी तबाही का मंजर दिखा है, जिसमें हजारों घर पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं, साथ ही हजारों हेक्टेयर फसल, मकान, पशु, सड़क, पुलिया, पुल और अनाज सब कुछ बर्बाद हो चुका है. लोगों के पास दो वक्त की रोटी के लिए भी अनाज नहीं बचा है, ऐसे में बाढ़ पीड़ितों का गुस्सा भी जनप्रतिनिधियों पर साफ दिखाई दे रहा है. कई जिलों में मंत्री के दौरे के समय लोग पथराव करते नजर आए हैं तो कई जिलों में प्रशासनिक अधिकारियों को उन्होंने खदेड़ दिया है. अब सरकार ये दावा तो कर रही है कि बाढ़ पीड़ितों को मकान, राशन और मवेशियों का हर्जाना दिया जाएगा. सरकार के लिए यह एक बड़ा चैलेंज होगा क्योंकि हजारों करोड़ रुपए खर्च करने के बाद ही बाढ़ पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लग सकेगा.

90 thousand hectares of crops destroyed
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में सीएम मंत्री

ग्वालियर जिले में अभी तक इतनी हो चुकी है वोबनी
धान: 64000 हेक्टेयर
ज्वार: 100 हेक्टेयर
मक्का: 150 हेक्टेयर
बाजरा: 8000 हेक्टेयर
अरहर: 500 हेक्टेयर
मूंग: 1000 हेक्टेयर
उड़द: 6000 हेक्टेयर
तिल: 7000 हेक्टेयर
सोयाबीन: 1000 हेक्टेयर
मूंगफली: 300 हेक्टेयर

ग्वालियर। ग्वालियर-चंबल अंचल में आई बाढ़ ने करीब करीब सब कुछ बर्बाद कर दिया है, अंचल के एक हजार से अधिक गांव हैं, जो भीषण बाढ़ की चपेट में आने से पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं. सैकड़ों लोगों ने गांव छोड़ दिया है तो वहीं सैकड़ों लोगों की घर गृहस्थी के नाम पर कुछ बचा ही नहीं है, जो कुछ है वो सब मलबे में तब्दील हो चुका है. बर्बादी का ऐसा मंजर शायद पहली कभी किसी ने देखा नहीं होगा. इस बर्बादी में सबसे ज्यादा किसानों की फसलें तबाह हुई हैं. खेतों में लबालब पानी भरा हुआ है, जिसके चलते खरीफ की फसल पूरी तरह चौपट हो गई है. सरकारी आंकलन के अनुसार ग्वालियर-चंबल अंचल के जिलों के 800 से अधिक गांव ऐसे हैं, जहां की 90000 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि पर खड़ी फसल खराब हुई है. बाढ़ के पानी से आई मिट्टी में खेतों में खड़ी फसल दब गई है.

ग्वालियर-चंबल में सबकुछ बर्बाद

ग्वालियर-चंबल अंचल में 1000 घर तबाह

ग्वालियर-चंबल अंचल का कोई भी जिला नहीं बचा है, जहां बाढ़ का कहर न बरपा हो, सभी जिलों में बाढ़ ने तबाही मचाई है, जिसमें ग्वालियर, श्योपुर, शिवपुरी, भिंड, दातिया, गुना, अशोक नगर और मुरैना शामिल है. इन सभी जिलों के सैकड़ों से अधिक गांव ऐसे हैं, जो बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, जहां घर मलबे में तब्दील हो चुके हैं, अनाज पूरी तरीके से सड़ चुके हैं, दो वक्त की रोटी के लिए ये लोग मोहताज हो रहे हैं. जिन इलाकों में सबसे अधिक बर्बादी हुई है, वह खेती वाला इलाका है, जहां पर सबसे अधिक किसानों की संख्या है और यही वजह है कि सबसे ज्यादा तबाही का मंजर किसानों को झेलना पड़ा है, उनके घरों के साथ-साथ फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है. अब इसकी भरपाई करना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी.

90 thousand hectares of crops destroyed
बाढ़ के बाद की तस्वीर

बाढ़ से 1000 से अधिक गांव प्रभावित

ग्वालियर-चंबल अंचल में आई बाढ़ ने सबसे अधिक ग्रामीण इलाकों को अपनी चपेट में लिया है, इस तबाही में 1000 से अधिक गांव बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, बाढ़ का पानी घुसने से मकान मलबे में तब्दील हो चुके हैं, कच्चे मकान धराशायी हो चुके हैं, घरों में रखा अनाज सड़ चुका है, मवेशियों का अभी तक कोई अता पता नहीं है, खेतों में खड़ी फसल बर्बाद हो चुकी है, हजारों एकड़ में रोपी गई धान की फसल पूरी तरह से खराब हो गई है, इसके अलावा सोयाबीन, उड़द, मूंग और तिल के अलावा मक्का की फसल भी तबाह हो चुकी है, खेतों में बाढ़ के पानी के साथ आई मिट्टी ने खेतों में खड़ी फसल और रोपे गए धान की फसल के ऊपर परत बना ली है. जिसकी वजह से यह पूरी तरह खराब हो चुकी है.

90 thousand hectares of crops destroyed
पानी-पानी फसल

किसानों को दोबारा करनी पड़ेगी बोवनी

इस समय खरीफ का सीजन चल रहा है, ज्यादातर किसान अपने खेतों में मूंग, उड़द, तिल, मक्का की फसल लगा चुके थे, बाकी बचे किसान धान की रोपनी भी लगभग कर चुके थे, जोकि बाढ़ में पूरी तरह बर्बाद हो चुका है, किसानों के खेत पानी से लबालब भरे हैं, यही कारण है कि किसान पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं. अब किसानों को दोबारा से बोवनी करनी पड़ेगी. अकेले ग्वालियर जिले में दोबारा से रोपनी का काम शुरू हो गया है, जिले में अभी तक 64 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की फसल रोपी जा चुकी है. हालांकि, नदी से लगे गांव में हुई तबाही से उबरने में अभी 10 से 15 दिन लगेंगे. इस बीच यह भी अनुमान है कि धान के जिन खेतों से पानी उतर रहा है, वहां दोबारा से धान रोपाई का काम शुरू होगा.

90 thousand hectares of crops destroyed
खेतों में भरा पानी

बाढ़ से बेहाल मध्य प्रदेश, अब तक 24 लोगों ने तोड़ा दम, हजारों गांव प्रभावित, NDRF की 8 यूनिट बचाव कार्य में जुटीं

बाढ़ पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाना चुनौती

ग्वालियर-चंबल अंचल में 50 साल बाद ऐसी तबाही का मंजर दिखा है, जिसमें हजारों घर पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं, साथ ही हजारों हेक्टेयर फसल, मकान, पशु, सड़क, पुलिया, पुल और अनाज सब कुछ बर्बाद हो चुका है. लोगों के पास दो वक्त की रोटी के लिए भी अनाज नहीं बचा है, ऐसे में बाढ़ पीड़ितों का गुस्सा भी जनप्रतिनिधियों पर साफ दिखाई दे रहा है. कई जिलों में मंत्री के दौरे के समय लोग पथराव करते नजर आए हैं तो कई जिलों में प्रशासनिक अधिकारियों को उन्होंने खदेड़ दिया है. अब सरकार ये दावा तो कर रही है कि बाढ़ पीड़ितों को मकान, राशन और मवेशियों का हर्जाना दिया जाएगा. सरकार के लिए यह एक बड़ा चैलेंज होगा क्योंकि हजारों करोड़ रुपए खर्च करने के बाद ही बाढ़ पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लग सकेगा.

90 thousand hectares of crops destroyed
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में सीएम मंत्री

ग्वालियर जिले में अभी तक इतनी हो चुकी है वोबनी
धान: 64000 हेक्टेयर
ज्वार: 100 हेक्टेयर
मक्का: 150 हेक्टेयर
बाजरा: 8000 हेक्टेयर
अरहर: 500 हेक्टेयर
मूंग: 1000 हेक्टेयर
उड़द: 6000 हेक्टेयर
तिल: 7000 हेक्टेयर
सोयाबीन: 1000 हेक्टेयर
मूंगफली: 300 हेक्टेयर

Last Updated : Aug 9, 2021, 2:36 PM IST
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