ग्वालियर| जिले में कुपोषण किस कदर बेकाबू हुआ है इसका अंदाजा दस्तक अभियान के तहत जांच के दौरान सामने आए आंकड़ों से लगाया जा सकता है. 10 जून से शुरू हुए दस्तक अभियान में अब तक 91 हजार 785 बच्चों की स्क्रीनिंग कराई गई है. जिसमें से सिर्फ ग्वालियर एनआरसी के तहत 76 बच्चे कुपोषित पाए गए हैं. इनमें से 51 बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराया गया है. वहीं 18 बच्चे अभी भी अपनी भर्ती होने की बारी का इंतजार कर रहे हैं.
ये हालात तो प्रदेश सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी के गृह जिले ग्वालियर कि शहरी एनआरसी के हैं. कुछ ऐसी ही हालात ग्वालियर की तीन अन्य एनआरसी सेंटर मोहना, भितरवार और घाटीगांव के भी हैं. सूबे की महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी के गृह जिले के हालात अगर ये हैं, तो बाकी जिलों की क्या हालत होगी. इस बात को आप बखूबी समझ सकते हैं. एनआरसी प्रभारी डॉ मोनिका यादव का कहना है कि अधिकांश बच्चे जो कुपोषित हैं, उनका सबसे बड़ा कारण है उनकी मां का कमजोर होना. मां के कमजोर होने से बच्चे भी कमजोर पैदा होते हैं.
इसके साथ ही बच्चों को स्तनपान भी नहीं कराया जा रहा है. जिसके चलते कुपोषण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. छोटे बच्चों में होने वाली बीमारियों का पता करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 10 जून से लेकर 20 जुलाई तक दस्तक अभियान चलाया जा रहा है. जिसके तहत ग्वालियर जिले में 1,78,261 बच्चों की स्क्रीनिंग की जानी है.