ग्वालियर। विश्व को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आज 73वीं पुण्यतिथि है. आज भी महात्मा गांधी के विचार हमें प्रेरणा देते हैं. आज ही के दिन नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांदी को मौत के घाट उतारा था. ग्वालियर से आखिर गोडसे का क्या कनेक्शन था, पूरे देश में सिर्फ ग्वालियर में ही आखिर क्यों गोडसे को लेकर इतना बवाल मच रहा है. बताते हैं गोडसे का ग्वालियर कनेक्शन
कैसे हुई थी गांधी जी की हत्या
30 जनवरी 1948 की शाम को जब महात्मा गांधी जब दिल्ली के बिड़ला भवन में प्रार्थना सभा से उठ रहे थे, उसी दौरान नाथूराम गोडसे ने बापू के सीने को गोली से छलनी कर दिया था.
ग्वालियर में गोडसे ने रची बापू हत्याकांड की साजिश
बापू को गोली मारने से पहले गोडसे ने कुछ दिन ग्वालियर में रहकर गांधी की जान लेने की तैयारी की थी. ग्वालियर में हिंदू महासभा के नेताओं के साथ मिलकर उसने हत्या की साजिश रची. गांधी की हत्या करने में गोडसे की मदद डॉक्टर परचुरे और उनके परिचित गंगाधर दंडवत ने की थी.
500 रुपए में पिस्टल खरीदकर ग्वालियर में ली थी ट्रेनिंग
नाथूराम गोडसे ने जिस पिस्टल से बापू की हत्या की थी, उस पिस्टल को चलाने की ट्रेनिंग ग्वालियर में ली थी. ग्वालियर में शिंदे की छावनी वह जगह थी, जहां से गोडसे ने पिस्टल खरीदी और यहीं पर नाथूराम गोडसे को महात्मा गांधी की जान लेने का प्रशिक्षण भी दिया गया. नाथूराम गोडसे ने ग्वालियर में स्वर्ण रेखा नदी के किनारे बंदूक चलाने की ट्रेनिंग ली और उसके बाद 29 जनवरी की सुबह ग्वालियर रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़कर दिल्ली के लिए रवाना हो गए था.
आज भी बापू की हत्या को मानते हैं एक मिशन
ग्वालियर में हिंदू महासभा के सदस्य आज भी बापू की हत्या को एक मिशन के रूप में मानते हैं. उनका कहना है कि महात्मा गांधी को मारना एक मिशन था. इस मिशन के तहत ही नाथूराम गोडसे ग्वालियर आया था.
नाथूराम गोडसे और गांधी विचारधारा
नाथूराम गोडसे को लेकर भारत में लोगों की अलग-अलग विचारधारा रही है. किसी ने उसे अच्छा कहा तो किसी ने बुरा. लेकिन वो सच्चाई कभी नहीं बदल सकती कि वो महात्मा गांधी का हत्यारा था. नाथूराम गोडसे पर बहस हमेशा से होती आई है. और इसी बहस में किसी ने उसे आतंकवादी कहा, हिंदू आतंकवाद से जोड़ा, वहीं कुछ लोगों ने गांधी की हत्या को वध कहा, और नाथूराम गोडसे को महापुरुष.