ग्वालियर। उपनगर मुरार में छह महीने पहले एक नाबालिग दलित लड़की के साथ गैंगरेप और पुलिस उत्पीड़न के मामले में सिरोल की महिला थाना प्रभारी प्रीति भार्गव और मुरार थाने की सब इंस्पेक्टर कीर्ति उपाध्याय को मंगलवार को हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली. इन महिला पुलिस अफसरों ने अपने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देकर हाल ही में किए गए ट्रांसफर को रोके जाने की मांग की थी.
सरकार की ओर से कहा गया कि कोर्ट के आदेश पर इस मामले में संदिग्ध भूमिका वाले सभी पांच पुलिस अफसरों को ग्वालियर चंबल रेंज से बाहर कर दिया गया है. पहले मुरार थाना प्रभारी अजय पवार को अनूपपुर, सिरोल थाना प्रभारी प्रीति भार्गव को टीकमगढ़ और सब इंस्पेक्टर कीर्ति उपाध्याय को ग्वालियर से शाजापुर भेजा गया था. लेकिन सीएसपी रामनरेश पचौरी और एडिशनल एसपी सुमन गुर्जर के ट्रांसफर नहीं किए गए थे. इस मामले में अगले महीने सुनवाई होगी.
ट्रांसफर रोकने के लिए कोर्ट में लगाई थी याचिका
मंगलवार को सरकार की ओर से कहा गया कि इन दोनों अफसरों को पुलिस मुख्यालय भोपाल अटैच कर दिया गया है. सिरोल की थाना प्रभारी रही प्रीति भार्गव ने अपने बच्चे की पढ़ाई और उसकी देखरेख को लेकर ट्रांसफर पर रोक लगाने की याचिका दायर की थी. वहीं कीर्ति उपाध्याय ने गर्भवती होने के कारण ट्रांसफर से बचने के लिए याचिका लगाई थी. लेकिन हाई कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि अगले महीने अगस्त में फिजिकल हियरिंग में ही इन याचिकाओं का निराकरण किया जा सकेगा.
हाई कोर्ट ने FIR के आदेश पर लगाई थी रोक
इससे पहले हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने मुरार के थाना प्रभारी रहे अजय पवार और सब इंस्पेक्टर कीर्ति उपाध्याय के खिलाफ FIR करने के एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी थी.
नाबालिग दलित लड़की से गैंगरेप, पुलिस पर मारपीट का भी आरोप
यह है पूरा मामला
उल्लेखनीय है कि इसी साल 30 जनवरी की रात एक नाबालिग लड़की को मकान मालिक के लड़के आदित्य भदोरिया और उसके दोस्त ने रेप का शिकार बना लिया था. बाद में लड़की पर बयान पलटने के लिए पुलिस के जरिए दबाव बनाया गया था. इस दौरान उसक साथ बेरहमी से थाने में मारपीट की गई थी. पीड़ित लड़की ने कोर्ट में बयान दर्ज कराए थे. जिसमें उसने अपने शारीरिक जख्मों को भी जज के सामने दिखाया था.