ग्वालियर। ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र के अधिकांश उम्मीदवार अपना रोजाना का व्यय लेखा जिला निर्वाचन कार्यालय में सौपने में फिसड्डी साबित हुए हैं. सिर्फ 5 प्रत्याशियों ने ही रोजाना के खर्च की जानकारी निर्वाचन कार्यालय को सौंपी है. निर्वाचन शाखा का कहना है कि चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद 1 महीने के भीतर प्रत्याशियों को अपना व्यय लेखा प्रस्तुत करना जरूरी है.
ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ आयोग चुनाव लड़ने पर बंदिश भी लगा सकता है. ग्वालियर संसदीय सीट से कांग्रेस-भाजपा और बसपा के अलावा 15 अन्य प्रत्याशियों ने इस बार अपना भाग्य आजमाया है. चुनाव परिणाम 23 मई को घोषित होंगे. इसके बाद 22 जून तक सभी प्रत्याशियों को अपना अंतिम व्यय लेखा पेश करना जरूरी होगा.
निर्वाचन शाखा का कहना है कि ऐसा नहीं करने वाले अभ्यर्थियों के खिलाफ राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी और चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई जाएगी. इसके अलावा प्रत्याशियों को 6 महीने तक नोटिस देकर पुरजोर कोशिश की जाएगी कि वे अपना लेखा प्रस्तुत कर दें. इसके बाद अंतिम रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेजी जाएगी.
निर्वाचन कार्यालय के व्यय लेखा पदाधिकारी का कहना है कि पीएम मोदी की ग्वालियर के व्यापार मेला में हुई सभा का खर्चा ग्वालियर भिंड और मुरैना के प्रत्याशियों के चुनावी खर्चे में बराबर का जोड़ा जाएगा. इसमें करीब 14 लाख से ज्यादा खर्च हुआ है. सबसे ज्यादा कांग्रेस प्रत्याशी अशोक सिंह 54 लाख रुपए अपने चुनावी खर्च में दर्शाए हैं. वहीं दूसरे नंबर पर भाजपा के विवेक नारायण शेजवलकर 43 लाख खर्च कर चुके हैं.