ग्वालियर। शिक्षा के स्तर को सुधारने के मकसद से कलेक्टर अनुराग चौधरी ने एक नया प्रयोग शुरू किया है, जिसके तहत जो व्यक्ति शिक्षा से वंचित दस बच्चों को शिक्षित बनाने में मदद करता है, उसे ही बंदूक का लाइसेंस दिया जाएगा. प्रशासन को उम्मीद है कि इस नई कवायद से शिक्षा से वंचित बच्चे स्कूल पहुंच पाएंगे. हालांकि, पहले भी बंदूक के लाइसेंस के लिए 10 पेड़ लगाना अनिवार्य किया गया था, लेकिन निगरानी के अभाव में ये योजना दम तोड़ चुकी है.
कलेक्टर ने कहा कि ग्वालियर-चंबल अंचल के लोग सुरक्षा नहीं, बल्कि शौक के लिए हथियार रखते हैं. यही वजह है कि लगातार यहां बंदूक के लाइसेंस की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. इसी के चलते ये आदेश दिया गया है. जिसके तहत जो लोग शिक्षा से वंचित बच्चों को पढ़ाएंगे, उन्हें ही लाइसेंस में वरीयता दी जाएगी.
समाजसेवी सुधीर सप्रा का कहना है कि प्रशासन की ऐसी योजनाएं चालू होने के बाद दम तोड़ देती हैं क्योंकि उसके बाद इन योजनाओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता. ऐसी ही योजना कलेक्टर अनुराग चौधरी शुरु कर रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि किसी भी व्यक्ति को बंदूक का लाइसेंस मिलने के बाद वह बच्चों की देखभाल करेगा या नहीं, इसकी देखभाल कौन करेगा.