गुना। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के लीडर फारुख अब्दुल्ला (Narendra Singh Tomar statement on Farooq Abdullah controversy) को नसीहत देते हुए कहा कि फारुख अब्दुल्ला सीनियर लीडर हैं, कोई भी बात करते समय उन्हें संयम रखना चाहिए, साथ ही देश का ध्यान भी फारुख अब्दुल्ला को रखना चाहिए. फारुख अब्दुल्ला ने भारत सरकार पर साम्प्रदायिकता के आरोप लगाए थे, जिसके जवाब में मंत्री ने उन्हें ये नसीहत दी है.
भारत का विभाजन एतिहासिक गलती: फारुक
नेशनल कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने भारत के विभाजन को एक बहुत बड़ी ऐतिहासिक गलती (Partition of India Historical mistake) बताते हुए दावा किया कि इसका नुकसान सिर्फ कश्मीरियों को ही नहीं, बल्कि पूरे देश के मुसलमानों को भुगतना पड़ा. भारत के विभाजन को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा दिए गए बयान का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि भारत का विभाजन एक बहुत बड़ी ऐतिहासिक गलती थी, इसका नुकसान सिर्फ कश्मीरियों को ही नहीं बल्कि पूरे देश के मुसलमानों को भुगतना पड़ा. अगर यह मुल्क एक होता तो ताकत भी रहती, मुश्किलें भी नहीं पैदा होती और देश में भाईचारा भी बना रहता.
कोई धर्म बुरा नहीं होता है, इंसान बुरे होते हैं
काशी विश्वनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण और वाराणसी में आयोजित भव्य कार्यक्रम पर अब्दुल्ला ने कहा कि मुबारक हो, यह अच्छी बात है. हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी को दूसरे धर्मों को भी तवज्जो देनी चाहिए क्योंकि वो सिर्फ एक धर्म के नहीं पूरे भारत के प्रधानमंत्री हैं. भारत में बहुत सारे धर्म हैं. हिंदू और हिंदुत्व को लेकर राहुल गांधी के बयान पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि कोई धर्म बुरा नहीं होता है, इंसान बुरे होते हैं. वो उम्मीद करेंगे कि हिंदू असली हिंदू बने और अपने धर्म का पालन करें.
किसानों पर दर्ज केस वापस लेना राज्य का राइट
वहीं मंत्री ने बयान कहा कि किसानों का मान रखने के लिए प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानून वापस लिया है, हालांकि किसान आंदोलन से ग्लोबल लीडर बने राकेश टिकैत को लंदन में अवार्ड मिलने पर (farmers union leader Rakesh Tikait honoring in London) कहा कि अवार्ड क्यों मिला, खुद ही अंदाजा लगा लीजिए. जबकि मंदसौर किसान आंदोलन के दौरन छह किसानों की हत्या के बाद हुए बवाल के बाद किसानों पर दर्ज मामले वापस लेने के सवाल पर मंत्री ने कहा कि उन पर फैसला राज्य सरकार ही लेगी.
साल भर बाद उखड़े किसानों के तंबू-टेंट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता के नाम अपने संदेश में तीनों कृषि कानून वापस लेने का एलान किया था, जिसके बाद करीब एक साल से दिल्ली से सटे सिंघू-गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर पर जमे किसानों के टेंट-तंबू उखड़ने लगे और अंतत: अब किसान अपने घर लौट चुके हैं, ये किसान तीनों कृषि कानून रद्द करने की मांग पर अड़ थे, किसान संगठनों को विपक्ष का भी पूरा साथ मिल रहा था, जिससे परेशान सरकार को यूपी चुनाव में हार का डर सताने लगा और सरकार ने अंतत: किसानों के आगे झुकने का फैसला किया.
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गोलीबारी में 5 किसानों की हुई मौत
महू-नीमच हाइवे स्थित बही पार्श्वनाथ चौराहे पर सैकडों किसान 6 जून 2017 को अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. जिसमें फसलों के उचित दाम और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करना मुख्य थी. प्रदर्शन के दौरान किसान उग्र हुए और मौके पर तैनात पुलिस बल ने किसानों पर फायरिंग कर दी, इस गोलीबारी में 5 किसानों की मौत हो गई, जबकि एक अन्य किसान की पुलिस हिरासत में मारपीट से मौत का आरोप लगा था.
इन किसानों की गई थी जान
मंदसौर गोली कांड में किसान कन्हैयालाल पाटीदार (चिलोदपिपलिया), चेनराम पाटीदार नयाखेड़ा (नीमच), अभिषेक पाटीदार (बरखेडापंथ), पूनमचंद (टकराद), सत्यनारायण धनगर लोध और पुलिस मारपीट से घनश्याम धाकड़ की जान गई थी. इसी तरह मंदसौर किसान आंदोलन की हिंसा में 6 किसानों की दर्दनाक मौत हुई थी, जिसके बाद किसानों का गुस्सा फूटा और जिले में हिंसा भडक गई. आक्रोशित किसानों ने तोड़फोड़, आगजनी और मारपीट की घटनाओं को अंजाम दिया. जिसके बाद कई किसानों पर पुलिस ने मामला दर्ज किया था.