गुना। एमपी में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है. राजनीतिक दलों का इलेक्शन मोड देखने को मिल रहा है. मध्य प्रदेश के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक -29 गुना में भी सियासी पार्टियां जनता को लुभाने में जुटी हैं. गुना विधानसभा सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है. गुना सीट से बीजेपी ने पन्नालाल शाक्य को चुनावी मैदान में उतारा है. तो वहीं कांग्रेस ने पंकज कनेरिया को टिकट दिया है. देखना होगा इस चुनावी मैदान में कौन बाजी मारता है.
विधानसभा क्षेत्र की खासियत: आजादी से पहले गुना ग्वालियर राजघराने का हिस्सा था. आज भी इस क्षेत्र में कई ऐतिहासिक और पर्यटन महत्व के स्थान मौजूद हैं. जो क्षेत्र के इतिहास की गाथा गा रहे हैं. इसके साथ ही यहां का प्राचीन किला पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण है. वहीं किले के अंदर बना भगवान राम जानकी और हनुमान भगवान की आस्था का केंद्र है. इसके साथ ही विधानसभा क्षेत्र में बना ग्राम आम्बे में बहुत बड़ा बांध है. जो पर्यटन के लिहाज से भी जाना जाता है. यहां बोटिंग, साइट सीइंग का लुत्फ उठाने दूर दूर से लोग आते हैं. यह क्षेत्र मुख्यतः खेती के लिए जाना जाता है. कृषि यहां आय का सबसे बड़ा साधन है.
विधानसभा क्षेत्र का पॉलीटिकल सिनेरियो: मध्य प्रदेश की राजनीति में गुना क्षेत्र अपने आप में सबसे अलग नजर आता है. ये सीट भले ही अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है, लेकिन इस क्षेत्र में कभी साथ रहे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह दोनों का ही वर्चस्व है. इस बार दोनों ही नेताओं में इसी वर्चस्व की जंग भी देखने को मिलेगी. हालांकि गुना विधानसभा क्षेत्र वह सीट है. जहां बीजेपी कांग्रेस से एक कदम आगे है. यहां से कांग्रेस 3 बार तो भारतीय जनता पार्टी को चार बार जीत हासिल हुई है. एक बार फिर भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को जिम्मेदारी दी है. जो लगातार क्षेत्र में बीजेपी के सम्मेलनों में भी शामिल हो रहे हैं.
टक्कर देने में बसपा भी पीछे नहीं: वहीं बसपा अब तक विधायक तो नहीं बना सकी, लेकिन टक्कर देने में पीछे नहीं रही है. इस बार भी यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है. हालांकि गुना विधानसभा से बीजेपी में चुनाव के टिकट के लिए सिटिंग विधायक गोपीलाल जाटव प्रमुख दावेदार हैं. इनके साथ साथ पूर्व विधायक पन्ना लाल शाक्य और भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य नीरज निगम का नाम भी टिकट की दौड़ में शामिल है, लेकिन पार्टी द्वारा जारी की गई तीन प्रत्याशियों की लिस्ट में जिस प्रकार गुजरात मॉडल की तरह बड़ा बदलाव किया गया है. गुना में भी बदलाव कर सकती है.
कांग्रेस ने नहीं खोले पत्ते: वहीं बात कांग्रेस की करें तो इस क्षेत्र में कांग्रेस की सक्रियता चुनाव के समय देखने को तो मिल रही है, लेकिन जनता में भी कांग्रेस का मिजाज मिला जुला है. ऐसे में यहां कांग्रेस के कन्हैया राम अहिरवार और हरिओम खटीक का नाम संभावित प्रत्याशियों में सबसे ऊपर है. लेकिन कांग्रेस अभी अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं है. नतीजा दोनों ही प्रत्याशियों में से जिसको टिकट मिलेगा. वह चुनाव की तैयारी में लगेगा और उम्मीदवारी की दौड़ से बाहर होना कहीं ना कहीं फिर कांग्रेस में अंतरकलह की वजह बन सकता है.
बात अगर गुना विधानसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण की करें क्षेत्र में अनुसूचित जाति के 40 हजार मतदाता हैं. वहीं 25 हजार ब्राह्मण, आदिवासी और कुशवाह समाज के 20-20 हजार वोटर हैं. जिनके साथ साथ धाकड़ समाज के 18 हजार मतदाता हैं. वहीं जैन समाज के भी 15 हजार वोटर हैं. मुस्लिम समाज का भी 20 हजार से अधिक मतदाता इस विधानसभा में हैं. बचे हुए वोटर अन्य समाजों से हैं.
विधानसभा चुनाव 2018 के नतीजे: साल 2018 में जब विधानसभा के चुनाव हुए उस दौरान प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की हालत खस्ता थी. बावजूद इसके गुना विधानसभा सीट पर भाजपा के प्रत्याशी गोपी लाल जाटव 84149 वोट के साथ विधायक चुने गए थे. जबकि उनके सामने चुनाव मैदान में उतरे कांग्रेस प्रत्याशी चंद्र प्रकाश अहिरवार को जनता ने 50482 वोट दिए. इनके अलावा बसपा और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी सेमत 12 और उम्मीदवार भी मैदान में थे, लेकिन सभी की जमानत जब्त हो गई. इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी ने कांग्रेस उम्मीदवार को 33667 वोट के बड़े मार्जिन से हराया था.
विधानसभा चुनाव 2013 के नतीजे: साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने प्रत्याशी बदलते हुए पन्नालाल शाक्य को टिकट दिया था. इस बार जनता का समर्थन भारतीय जनता पार्टी को रहा और भाजपा प्रत्याशी 81,440 मत प्राप्त कर विधायक चुने गए. वहीं इंडियन नेशनल कांग्रेस के उम्मीदवार नीरज निगम 36,333 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे. इस चुनाव में जीत का अंतर 45,107 वोट का था.
विधानसभा चुनाव 2008 के नतीजे: परिसीमन के बाद जब 2008 में विधानसभा के चुनाव हुए तो इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था. वहीं कांग्रेस ने संगीता मोहन रजक को टिकट दिया था. जिन्हें इस चुनाव में 16,606 वोट हासिल हुए थे. बावजूद इसके कांग्रेस प्रत्याशी दूसरे स्थान पर थी. जबकि चुनाव में भारतीय जनशक्ति पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े राजेंद्र सिंह सलूजा को जनता ने 29,540 वोट दिए थे. यह वैलिड वोट का 36.45 प्रतिशत था. इस तरह 2008 के चुनाव में भारतीय जनशक्ति पार्टी के राजेंद्र सिंह सलूजा विधायक चुने गए, जबकि इस चुनाव में राष्ट्रीय राजनीतिक दल कांग्रेस को 12,934 मतों से हार का सामना करना पड़ा था.
विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय मुद्दे: गुना विधानसभा क्षेत्र में विकास की सरकार लंबे समय से चली आ रही है. यहां आज भी ग्रामीण इलाकों में सड़कों की हालत खस्ता है. इसके साथ-साथ गुना को संभाग बनाए जाने वह नगर पालिका को नगर निगम बनाए जाने की मांग लंबे समय से चुनावी मुद्दा रही है. इनके अलावा विधानसभा क्षेत्र में उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज की कमी है. ऐसे में इलाके के पगारा और बरखेड़ाहाट में कॉलेज खोलने के साथ ही जिला मुख्यालय पर एग्रीकल्चर कॉलेज और मेडिकल कॉलेज बनाए जाने की मांग भी समय-समय पर उठती रही है. वहीं दशकों से जारी रिंग रोड की मांग भी अब तक पूरी नहीं की जा सकी है.