गुना मध्यप्रदेश सरकार ने कुछ दिन पहले गौ कैबिनेट बनाने का निर्णय लिया है. इसका उद्देश्य प्रदेश में गायों को संरक्षण और संवर्धन प्रदान करना है. सरकार की मंशा के विपरीत गौशाला के हाल बेहाल हैं. ताजा मामला गुना जिला मुख्यालय की कांजी गौशाला का सामने आया है. विवेक कॉलोनी रोड पर स्थित गौशाला का जब ईटीवी भारत ने निरीक्षण किया तो जो कमियां सामने आईं, वो दिल दहलाने वाली हैं.
गौशाला की जमीनी हकीकत चौंकाने वाली
ईटीवी भारत की टीम जब गुना स्थित गौशाला के हालातों का जायजा लेने पहुंची तो जमीनी हकीकत कुछ और ही देखने को मिली. विवेक कॉलोनी में स्थित गौशाला में 130 गायों के लिए प्रतिदिन भूसा और चारा स्वीकृत है, लेकिन मौके इन गायों के लिए पानी का इंतजाम भी भगवान भरोसे होता है.
गौशाला में न पानी और न समय पर इलाज
शहर के अंदर कई एकड़ में फैली गौशाला में 130 गायों के लिए प्रतिदिन भूसा और चारा स्वीकृत है. इतना ही नहीं गायों के लिए पानी की भी व्यवस्था बेहद खराब है. पानी की टंकियों में काई जमी है. नगर पालिका परिषद इस गौशाला की व्यवस्थाएं संचालित करता है. गौशाला प्रबंधन के लिए एक प्रभारी की नियुक्ति भी कर दी गई है. समय-समय पर गौशाला में गौसेवा करने वाले संगठन और समाजसेवी भी गौशाला जाकर गायों को चारा खिलाने का काम करते हैं.
'हर 10 दिन में होती है गायों की मौत'
नगर पालिका की कांजी हाउस स्थित गौशाला की दुर्दशा न केवल भ्रष्टाचार की कहानी बयां करती है, बल्कि प्रदेश सरकार की योजनाओं को पलीता भी लगा रही है. सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि प्रशासनिक निगरानी में संचालित होने वाली इस गौशाला में 10 से 12 दिनों में इलाज के अभाव में एक गाय की मौत हो जाती है. गौशाला के जिम्मेदारों को कोई परवाह नहीं है. हालांकि जिले के शशांक नाम के सख्स इन गायों के इलाज के लिए अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ते हैं.
जिम्मेदारों के पास नहीं है कोई जवाब
ईटीवी भारत की टीम जब गुना के गौशाला का जायजा लेने पहुंची तो मौके पर गौशाला के अंदर 2 गायों का स्वास्थ्य खराब था. इनके उपचार को लेकर जब गौशाला प्रबंधक से बात की गई तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. उन्होंने सिर्फ इतना बताया कि नगर पालिका ने चारे और पानी की व्यवस्था कर रखी है. पर तमाम तरह की समस्याओं का हवाला दिया.
गौशाला प्रभारी का बेतुका जवाब
विवेक कॉलोनी जैसे पॉश क्षेत्र में स्थित होने के बावजूद कई गायें बीमारी से जान गवां रही हैं. ईटीवी भारत की टीम ने जब इन लाचार हालातों को लेकर गौशाला प्रभारी एजाज अहमद से बात की तो उन्होंने कहा कि गौशाला के लिए कितना बजट आता है, ये सीएमओ बताएंगे और गौशाला में कर्मचारी नहीं होने का हवाला देते हुए जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते नजर आए.
इस लापरवाही का जिम्मेदार ?
संख्या से अधिक गायों के लिए चारा-पानी होने के बावजूद गायों की हालत देख कर्मचारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं. उनके रवैये से स्पष्ट होता है कि गौशाला संचालन में लापरवाही बरती जा रही है. इन तस्वीरों से गौशाला के हालातों का आंकलन किया जा सकता है कि सरकार के निर्देशों के बाद भी जिम्मेदार कितने संजीदा हैं. रिहायशी क्षेत्र में संचालित इस गौशाला का अगर ये हाल है तो ग्रामीण क्षेत्रों में बनी गौशालों की क्या हालत होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.