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गुनाः यूरिया वितरण के दौरान तहसीलदार ने किसान से किया अभद्र व्यवहार, कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश

गुना के मधुसूदनगढ़ में यूरिया संकट गहराता जा रहा है. किसानों को यूरिया नहीं मिलने से उन्होंने हंगामा कर दिया. इस दौरान अधिकारी और किसानों के बीच विवाद की स्थिति भी बनी. तहसीलदार पर किसान के साथ अभद्र व्यवहार करने का आरोप है. मामले में कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए हैं.

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तहसीलदार ने किसान से किया अभद्र व्यवहार
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Published : Nov 6, 2020, 8:45 PM IST

गुना। जिले में खाद को लेकर अफरा-तफरी मची हुई है. एमपी स्टेट एग्रो के गोदाम से लेकर तहसील स्तर पर खाद के लिए किसानों की लम्बी कतारें रोजाना लग रही हैं. इसके बाद भी किसानों को आवश्यकता अनुसार खाद नहीं मिल पा रहा है. खास बात यह है कि गुना जिले में ही यूरिया का सबसे बड़ा कारखाना नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड स्थापित है और यहीं पर खाद का संकट बना हुआ है. ताजा मामला जिले के मधुसूदनगढ़ तहसील का है. जहां खाद लेने पहुंचने किसानों का तहसीलदार से विवाद हो गया.

कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम

दरअसल, खाद के लिए दिनभर लाइन में लगने के बाद जब किसानों को यह समझ आया कि उन्हें बिना खाद लिए ही वापस लौटना पड़ेगा तो उन्होंने कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम को फोन कर दिया. कलेक्टर के निर्देश पर मधुसूदनगढ़ तहसीलदार सत्येंद्र सिंह गुर्जर मौके पर पहुंचे तो किसानों ने अपनी व्यथा सुनाई.

वायरल वीडियो

किसानों ने शिकायत करते हुए बताया कि खाद वितरण की गति काफी धीमी है. ऐसे में दूर-दराज से आने वाले किसानों को देर शाम तक खाद उपलब्ध होने की संंभावना नहीं है. इसी दौरान एक कृषक ने अपने पिता के नाम पर दर्ज भूमि के लिए खाद नहीं मिलने की बात कही तो तहसीलदार ने कृषक को बाकी परिजनों को भी साथ लाने कह दिया. इस पर किसान ने तहसीलदार को बताया कि खेती के लिए खाद मांग रहा है, उसे बेचने नहीं पहुंचा है. जिसके लिए बाकी परिजनों को भी साथ लाया जाए. अंतत: किसान को खाद उपलब्ध नहीं हो सका और उसे निराश होकर लौटना पड़ा.

बता दें कि 3 नवंबर को जिले की बमौरी विधानसभा में चुनाव की वजह से खाद वितरण का काम तीन दिनों के बंद था. इसके बाद जैसे ही खाद वितरण की सूचना किसानों को मिली तो वह बड़ी संख्या में उमड़े पड़े. जिनमें से ज्यादातर किसानों को निराश होकर लौटना पड़ा. जिले में नेशनल एनएफएल प्लांट का यूरिया पहले दिल्ली भेजा था, इसके बाद आवंटन प्रक्रिया के तहत गुना जिले को उपलब्ध होता है. गुना कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने दावा किया है कि जिले में पर्याप्त यूरिया का स्टॉक उपलब्ध है, मधुसूदनगढ़ के मामले को संज्ञान में लेते हुए एडीएम विदिशा मुखर्जी जांच करेंगे और 3 दिन में रिपोर्ट देंगे.

गुना। जिले में खाद को लेकर अफरा-तफरी मची हुई है. एमपी स्टेट एग्रो के गोदाम से लेकर तहसील स्तर पर खाद के लिए किसानों की लम्बी कतारें रोजाना लग रही हैं. इसके बाद भी किसानों को आवश्यकता अनुसार खाद नहीं मिल पा रहा है. खास बात यह है कि गुना जिले में ही यूरिया का सबसे बड़ा कारखाना नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड स्थापित है और यहीं पर खाद का संकट बना हुआ है. ताजा मामला जिले के मधुसूदनगढ़ तहसील का है. जहां खाद लेने पहुंचने किसानों का तहसीलदार से विवाद हो गया.

कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम

दरअसल, खाद के लिए दिनभर लाइन में लगने के बाद जब किसानों को यह समझ आया कि उन्हें बिना खाद लिए ही वापस लौटना पड़ेगा तो उन्होंने कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम को फोन कर दिया. कलेक्टर के निर्देश पर मधुसूदनगढ़ तहसीलदार सत्येंद्र सिंह गुर्जर मौके पर पहुंचे तो किसानों ने अपनी व्यथा सुनाई.

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किसानों ने शिकायत करते हुए बताया कि खाद वितरण की गति काफी धीमी है. ऐसे में दूर-दराज से आने वाले किसानों को देर शाम तक खाद उपलब्ध होने की संंभावना नहीं है. इसी दौरान एक कृषक ने अपने पिता के नाम पर दर्ज भूमि के लिए खाद नहीं मिलने की बात कही तो तहसीलदार ने कृषक को बाकी परिजनों को भी साथ लाने कह दिया. इस पर किसान ने तहसीलदार को बताया कि खेती के लिए खाद मांग रहा है, उसे बेचने नहीं पहुंचा है. जिसके लिए बाकी परिजनों को भी साथ लाया जाए. अंतत: किसान को खाद उपलब्ध नहीं हो सका और उसे निराश होकर लौटना पड़ा.

बता दें कि 3 नवंबर को जिले की बमौरी विधानसभा में चुनाव की वजह से खाद वितरण का काम तीन दिनों के बंद था. इसके बाद जैसे ही खाद वितरण की सूचना किसानों को मिली तो वह बड़ी संख्या में उमड़े पड़े. जिनमें से ज्यादातर किसानों को निराश होकर लौटना पड़ा. जिले में नेशनल एनएफएल प्लांट का यूरिया पहले दिल्ली भेजा था, इसके बाद आवंटन प्रक्रिया के तहत गुना जिले को उपलब्ध होता है. गुना कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने दावा किया है कि जिले में पर्याप्त यूरिया का स्टॉक उपलब्ध है, मधुसूदनगढ़ के मामले को संज्ञान में लेते हुए एडीएम विदिशा मुखर्जी जांच करेंगे और 3 दिन में रिपोर्ट देंगे.

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