डिंडौरी। बैगा आदिवासियों के लिए एक अच्छी खबर है, बैगा आदिवासी अब काजू की खेती कर सकेंगे. इस योजना का शुभारंभ जबलपुर कमिश्नर महेश चंद्र चौधरी ने बैगा ग्राम चाडा में काजू का पौधरोपण कर किया है. 'काजू फलउद्यान योजना' विशेष कर बजाग-करंजिया क्षेत्र के लिए शुरू की गई है. इस योजना के तहत हितग्राहियों को सरकार के द्वारा काजू के पौधे और रखरखाव के लिए राशि देना भी सुनिचित किया गया है.
बैगाओं का जीवन स्तर सुधारने के लिए योजना
डिंडोरी जिला में बैगा जनजाति के लोग जंगल और पहाड़ी इलाकों में रहकर परंपरागत खेती कर अपना जीवन यापन करते आ रहे हैं. आदिवासी बैगाओं का जीवन स्तर सुधारने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने बैगा क्षेत्रों में 'काजू फलउद्यान योजना' प्रारंभ की है.
जिला उद्यानिकी विभाग के प्रमुख एसके लोध ने बताया है कि, सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना बजाग-करंजिया आदिवासी बैगा क्षेत्रों में शुरू की जा रही है. काजू की खेती के लिए इस क्षेत्र की आबोहवा बेहद लाभदायक है. साथ ही इस क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी भी काजू की खेती के लिए गुणकारी है. काजू के पौधों को जीवित और सुरक्षित रखने के लिए हितग्राही को सरकार के द्वारा लाभांश राशि भी तीन सालों तक दी जाएगी.
काजू की खेती के लिए मिलेगा तीन साल पैसा
पहले साल 20 हजार, दूसरे साल 8 हजार और तीसरे साल 8 हजार की राशि दी जाएगी. यह काजू ग्राफ्टिंग किस्म का है, जो पहले ही साल से फल देने शुरू कर देता है. इस योजना का लाभ बैगाओं को प्राथमिकता से मिलेगा, जिन्हें वन अधिकार के पट्टे मिल चुके हैं.