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शाम होती ही अपने बिस्तर लेकर कुएं पर पहुंच जाते हैं ग्रामीण, जानिए आखिर क्या है मामला - नेता व अफसर लापरवाह

डिंडौरी जिले के कई गाँवों में अभी से ही भीषण जलसंकट के हालात बन गए हैं. कुछ ग्रामीण अपना बिस्तर लेकर कुएं पर पहुंचते हैं. पानी के लिए ग्रामीण रतजगा करने को मजबूर हैं. रात होते ही ग्रामीण कुओं के पास कतार लगाकर खड़े हो जाते हैं और अपनी बारी का इंतज़ार करते हैं. रात 2 बजे से ही कुओं के पास ग्रामीणों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है. (Heavy water crises in dindori dristict)

water crises in dindori
डिंडोरी जिले के गांवों में पानी संकट
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Published : Mar 11, 2022, 1:26 PM IST

डिंडौरी। जिले के कई गाँवों में अभी से ही भीषण जलसंकट शुरू हो गया है. शहपुरा विधानसभा क्षेत्र के डोमदादर गांव में ग्रामीण रतजगा कर रहे हैं. रात 2 बजे से कुएं के पास ग्रामीणों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है, क्योंकि कुएं का पानी ही खत्म हो जाता है. शाम से रात के बीच रिस-रिसकर जो थोड़ा सा पानी कुएं में जमा होता है, उसको भरने ग्रामीणों के बीच होड़ मची रहती है. रात में जो कुएं के पास पहले पहुंच जाता है उसे तो पानी नसीब हो जाता है और बाद में पहुंचने वाले ग्रामीणों को गंदा व मटमैला पानी मिलता है.

पूरे गांव में सिर्फ एक हैंडपंप

डोमदार गांव के स्कूल में एक हैंडपंप है, जिसमें सिर्फ दो से तीन बाल्टी पानी ही निकलता है. ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने ग्राम पंचायत से लेकर कलेक्टर तक एवं संत्री से लेकर मंत्री तक पानी की समस्या को लेकर अनेक बार शिकायत की है, लेकिन अब तक किसी भी ने उनकी सुध नहीं ली है. इस मामले में शहपुरा एसडीएम काजल जावला का कहना है कि मामले को गंभीरता से लेते हुए जल्द ही समस्या का निराकरण कराया जाएगा. इलाके के सांसद व केंद्रीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री गोलमोल बातें कर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं. यह इलाका कांग्रेस विधायक भूपेंद्र सिंह मरावी के विधानसभा क्षेत्र में आता है.
रातभर कुएं पर लगा रहता है ग्रामीणों का हुजूम

डोमदादर गांव के ग्रामीण दिन में मेहनत मजदूरी करते हैं और रात में आराम करने के बजाय कुएं में रिसाव के बाद पानी जमा होने का इंतज़ार करते हैं. उनकी पूरी रात पानी का जुगाड़ करने में ही कट जाती है. महिलाएं, बच्चे व बुजुर्ग सभी खाली बर्तन लेकर पानी की आस में कुएं पर रतजगा करते हैं. ज्यादातर ग्रामीणों को घंटों इंतज़ार के बाद खाली बर्तन लेकर वापस लौटना पड़ता है, क्योंकि कुएं में इतना पानी भी नहीं बचता की उसमें बाल्टी डूब जाए.

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कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं लोग

ग्रामीण बताते हैं कि अप्रैल-मई के महीने में वो बर्तन के साथ बिस्तर भी लेकर आते हैं और पानी के इंतज़ार में वे कुएं के पास ही सो जाते हैं. ग्रामीणों का कहना है की उनके गाँव में ठंड से पानी की किल्लत बनी हुई है. चुनाव के समय नेता व अधिकारी उनके गांव आते हैं और झूठे आश्वासन देकर वोट लेकर चले जाते हैं.
डिंडौरी जिले में गर्मी के शुरुआत में ही जलसंकट को लेकर ग्रामीणों ने कहीं चक्काजाम किया तो कहीं ग्रामीणों को खाली बर्तन लेकर सरकारी दफ्तरों का घेराव करने पर मजबूर होना पड़ा है.

अभी से ये हालात तो आगे क्या होगा

गर्मी के शुरुआत में ही जब जलसंकट के ये हालात हैं तो आने वाले दिनों में हालात कितने भयावह होंगे, इसका अंदाजा बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है. बावजूद इसके जल ही जीवन है का नारा अलापने वाला पीएचई विभाग का अमला और जिला प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है.

(Heavy water crises in dindori dristict)


डिंडौरी। जिले के कई गाँवों में अभी से ही भीषण जलसंकट शुरू हो गया है. शहपुरा विधानसभा क्षेत्र के डोमदादर गांव में ग्रामीण रतजगा कर रहे हैं. रात 2 बजे से कुएं के पास ग्रामीणों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है, क्योंकि कुएं का पानी ही खत्म हो जाता है. शाम से रात के बीच रिस-रिसकर जो थोड़ा सा पानी कुएं में जमा होता है, उसको भरने ग्रामीणों के बीच होड़ मची रहती है. रात में जो कुएं के पास पहले पहुंच जाता है उसे तो पानी नसीब हो जाता है और बाद में पहुंचने वाले ग्रामीणों को गंदा व मटमैला पानी मिलता है.

पूरे गांव में सिर्फ एक हैंडपंप

डोमदार गांव के स्कूल में एक हैंडपंप है, जिसमें सिर्फ दो से तीन बाल्टी पानी ही निकलता है. ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने ग्राम पंचायत से लेकर कलेक्टर तक एवं संत्री से लेकर मंत्री तक पानी की समस्या को लेकर अनेक बार शिकायत की है, लेकिन अब तक किसी भी ने उनकी सुध नहीं ली है. इस मामले में शहपुरा एसडीएम काजल जावला का कहना है कि मामले को गंभीरता से लेते हुए जल्द ही समस्या का निराकरण कराया जाएगा. इलाके के सांसद व केंद्रीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री गोलमोल बातें कर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं. यह इलाका कांग्रेस विधायक भूपेंद्र सिंह मरावी के विधानसभा क्षेत्र में आता है.
रातभर कुएं पर लगा रहता है ग्रामीणों का हुजूम

डोमदादर गांव के ग्रामीण दिन में मेहनत मजदूरी करते हैं और रात में आराम करने के बजाय कुएं में रिसाव के बाद पानी जमा होने का इंतज़ार करते हैं. उनकी पूरी रात पानी का जुगाड़ करने में ही कट जाती है. महिलाएं, बच्चे व बुजुर्ग सभी खाली बर्तन लेकर पानी की आस में कुएं पर रतजगा करते हैं. ज्यादातर ग्रामीणों को घंटों इंतज़ार के बाद खाली बर्तन लेकर वापस लौटना पड़ता है, क्योंकि कुएं में इतना पानी भी नहीं बचता की उसमें बाल्टी डूब जाए.

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कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं लोग

ग्रामीण बताते हैं कि अप्रैल-मई के महीने में वो बर्तन के साथ बिस्तर भी लेकर आते हैं और पानी के इंतज़ार में वे कुएं के पास ही सो जाते हैं. ग्रामीणों का कहना है की उनके गाँव में ठंड से पानी की किल्लत बनी हुई है. चुनाव के समय नेता व अधिकारी उनके गांव आते हैं और झूठे आश्वासन देकर वोट लेकर चले जाते हैं.
डिंडौरी जिले में गर्मी के शुरुआत में ही जलसंकट को लेकर ग्रामीणों ने कहीं चक्काजाम किया तो कहीं ग्रामीणों को खाली बर्तन लेकर सरकारी दफ्तरों का घेराव करने पर मजबूर होना पड़ा है.

अभी से ये हालात तो आगे क्या होगा

गर्मी के शुरुआत में ही जब जलसंकट के ये हालात हैं तो आने वाले दिनों में हालात कितने भयावह होंगे, इसका अंदाजा बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है. बावजूद इसके जल ही जीवन है का नारा अलापने वाला पीएचई विभाग का अमला और जिला प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है.

(Heavy water crises in dindori dristict)


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