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दस्तक अभियान पर प्रशासन का पूरा जोर, लेकिन ब्लड बैंक है कमजोर! - डिंडौरी

प्रशासन जोर-शोर से दस्तक अभियान चला रहा है, लेकिन जिला अस्पताल में ब्लड की कमी होने के कारण डॉक्टरों को इलाज करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

जिला अस्पताल में है ब्लड की कमी
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Published : Jul 12, 2019, 11:19 AM IST

डिंडौरी। प्रदेश में कुपोषण को नियंत्रित करने के लिये स्वास्थ्य विभाग 10 जून से 20 जुलाई तक दस्तक अभियान चला रहा है. इसके तहत जिले के सभी विकासखंडों से कुपोषित और खून की कमी वाले बच्चों को बेहतर इलाज के लिए जिला अस्पताल लाया जा रहा है. अस्पताल में लगातार खून की कमी वाले बच्चों की तादाद बढ़ रही है, लेकिन जिला अस्पताल में बच्चों के इलाज के लिए पर्याप्त खून नहीं है.

जिला अस्पताल में है ब्लड की कमी

वहीं इस मामले में ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. बीपी कोले का कहना है कि लोगों में ब्लड डोनेट के प्रति जागरूकता और विभाग द्वारा प्रचार-प्रसार की कमी के चलते ऐसे हालात बनते हैं. डिंडौरी,शहपुरा,समनापुर,बजाग,करंजिया,मेहदवानी,अमरपुर ब्लाक की अगर बात की जाए, तो डिंडौरी और समनापुर के अलावा किसी और विकासखंड के रक्तदाताओं ने अब तक ब्लड डोनेट के लिए आगे नहीं आये है. जिसके चलते जिले की ब्लड बैंकों में खून की लगातार कमी देखने को मिल रही है.

जिला अस्पताल में फिलहाल विभिन्न ग्रुप के साथ 18 यूनिट सुरक्षित ब्लड है, जो आने वाले बच्चों की संख्या से काफी कम है. ऐसे में स्वास्थ्य अधिकारी लगातार कैंप लगाकर ब्लड एकत्रित करने की बात कह रहे हैं. वहीं निगेटिव ब्लड मिलना भी स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती बना हुआ है.

डिंडौरी। प्रदेश में कुपोषण को नियंत्रित करने के लिये स्वास्थ्य विभाग 10 जून से 20 जुलाई तक दस्तक अभियान चला रहा है. इसके तहत जिले के सभी विकासखंडों से कुपोषित और खून की कमी वाले बच्चों को बेहतर इलाज के लिए जिला अस्पताल लाया जा रहा है. अस्पताल में लगातार खून की कमी वाले बच्चों की तादाद बढ़ रही है, लेकिन जिला अस्पताल में बच्चों के इलाज के लिए पर्याप्त खून नहीं है.

जिला अस्पताल में है ब्लड की कमी

वहीं इस मामले में ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. बीपी कोले का कहना है कि लोगों में ब्लड डोनेट के प्रति जागरूकता और विभाग द्वारा प्रचार-प्रसार की कमी के चलते ऐसे हालात बनते हैं. डिंडौरी,शहपुरा,समनापुर,बजाग,करंजिया,मेहदवानी,अमरपुर ब्लाक की अगर बात की जाए, तो डिंडौरी और समनापुर के अलावा किसी और विकासखंड के रक्तदाताओं ने अब तक ब्लड डोनेट के लिए आगे नहीं आये है. जिसके चलते जिले की ब्लड बैंकों में खून की लगातार कमी देखने को मिल रही है.

जिला अस्पताल में फिलहाल विभिन्न ग्रुप के साथ 18 यूनिट सुरक्षित ब्लड है, जो आने वाले बच्चों की संख्या से काफी कम है. ऐसे में स्वास्थ्य अधिकारी लगातार कैंप लगाकर ब्लड एकत्रित करने की बात कह रहे हैं. वहीं निगेटिव ब्लड मिलना भी स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती बना हुआ है.

Intro:एंकर _ आदिवासी जिला डिंडौरी में दस्तक अभियान के चलते जिले भर के साथ विकास खंडों से कुपोषित और खून की कमी वाले बच्चों को बेहतर इलाज के लिए जिला अस्पताल लाया जा रहा है यह सिलसिला 10 जून से शुरू हुआ है जो 20 जुलाई तक जारी रहेगा जिला अस्पताल में दस्तक अभियान के चलते खून की कमी वाले लाए जा रहे छोटे बच्चों की तादाद बढ़ रही है तो वहीं ब्लड डोनेट करने वालों में लगातार कमी देखने को मिल रही है इसके लिए विभाग रक्तदान के प्रति लोगों में जागरूकता और प्रचार-प्रसार की कमी मान रहा है वहीं जिला अस्पताल में फिलहाल विभिन्न नेट के साथ 18 यूनिट सुरक्षित हैं जो आने वाले बच्चों की संख्या से काफी कम है ऐसे में स्वास्थ्य अधिकारी लगातार कैंप लगाकर ब्लड एकत्रित करने की बात कह रहे हैं तो वहीं निगेटिव ब्लड मिलना भी स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती बना हुआ है


Body:दस्तक अभियान के दौरान जिले के विकासखंडों से खून की कमी वाले बच्चो को इलाज के लिए जिला मुख्यालय के जिला अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है।जहाँ ब्लड बैंक में उनकी पूरी प्राथमिक जांच की जा रही है साथ ही ब्लड ट्रांजक्शन किया जा रहा है।डिंडौरी,शहपुरा, समनापुर,बजाग,करंजिया,मेहदवानी,अमरपुर ब्लाक की अगर बात की जाए तो डिंडौरी एवं समनापुर के अलावा किसी और विकासखंड के रक्तदाताओं ने अब तक ब्लड डोनेट के लिए आगे नही आये है जिसके चलते जिले की ब्लड बैंकों में खून की लगातार कमी देखने को मिल रही है।वही जिला अस्पताल में अभी तत्काल में फिलहाल 18 यूनिट ब्लड ही उपलब्ध है।जिसमे निगेटिव ब्लड एक भी नही।ऐसे में अगर किसी ब्लाक से अगर निगेटिव ब्लड वाले बच्चे पहुँचते है तो स्वास्थ्य विभाग को उसे खोजने भारी मशक्कत करनी पड़ सकती है ।वही इस मामले में ब्लड बैंक प्रभारी डॉ बी पी कोले का कहना है कि लोगो मे ब्लड डोनेट के प्रति जागरूकता और विभाग द्वारा प्रचार प्रसार की कमी के चलते ऐसे हालात बनते है।


Conclusion:स्वास्थ्य विभाग भले ही दस्तक अभियान में जोर शोर से रुचि ले रहा है पर उसे अमली जामा पहनाने का काम रक्तदाताओं के कंधों पर है जो रुचि नही ले रहे है ।ऐसे में रक्तदान के प्रति प्रचार प्रसार और जागरूकता पर पहले ध्यान दिया जाता तो ऐसे हालात नही बनते।
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