डिंडौरी। कोतवाली परिसर में अपने हुनर की फिरकी से पुलिसवालों को क्लीन बोल्ड करता ये नसीब है तो बहुत बदनसीब, पर ये क्रिकेट के मैदान में बड़े बड़ों को पानी पिलाने का माद्दा रखता है, तभी तो नसीब के हाथों क्लीन बोल्ड हुए पुलिसवालों की हाथ में जब गेंद आई तो उन्होंने नसीब को चकमा देने की बहुत कोशिश की, पर नसीब ने कभी उनकी बॉल को हुक तो कभी पुल तो कभी स्टेट ड्राइव खेलकर हर बार बाउंड्री के बाहर भेज दिया. नसीब के एक हाथ का करिश्माई खेल देख पुलिसवाले भी उसके कायल हो गए और उसके सपनों का पंख उसे गिफ्ट देकर थाने से विदा किया और नसीब भी किट पाकर खुशी से झूम उठा.
हुआ यूं कि नसीब के दादा रामकुमार उसे लेकर कोतवाली में तालाब से मछली चोरी की रिपोर्ट लिखवाने गए थे. शिकायत तो दर्ज हो गई और जब वे थाने से बाहर निकलने लगे, तभी टीआई चंद्रकिशोर सिरामे की नजर नसीब के बल्ले पर पड़ गई और उन्होंने उससे पूछ लिया कि इसका क्या करते हो तो उसने कहा कि क्रिकेट खेलता हूं, ऐसा पूछने के पीछे वजह ये थी कि नसीब का एक हाथ नहीं था और उसके जवाब की तस्दीक के लिए कोतवाली परिसर को क्रिकेट का मैदान बना दिया, फिर तो उसका हु नर देख पुलिसवालों ने भी दांतों तले उंगली दबा ली.
भले ही नसीब को अच्छा खाना-कपडा़ मयस्सर नहीं होता, लेकिन नसीब में खुद की किस्मत बदलने की ताकत और जुनून है. पर कहते हैं कि सोना तब तक किसी शरीर की सुंदरता नहीं बढ़ा सकता, जब तक सुनार सोने को गहने का आकार न दे दे, अब नसीब को भी उस सुनार का इंतजार है, जो इसकी प्रतिभा को कामयाबी की कसौटी पर कसकर उड़ने के लिए खुला आकाश मुहैया करा सके. दीपक ताम्रकार ईटीवी भारत डिंडौरी.