डिंडौरी। जिले शहपुरा में शासकीय स्नातक महाविद्यालय के विद्यार्थियों और जनजाति कल्याण केन्द्र बरगांव के आवासीय छात्रों को जैविक कृषि के बारे में प्रशिक्षण दिया गया. इस दौरान प्रशिक्षक बिहारी लाल साहू ने केंचुआ खाद बनाने की जानकारी दी.
बिहारी लाल ने बताया कि केंचुए हमारे मिट्टी में पाए जाने वाले प्राकृतिक जीव है, जो कचरे को बारीक पीसकर पचाने के बाद काले रंग की बारिक दानेदार खाद बाहर निकालते हैं, जिसे वर्मी कंपोस्ट भी कहा जाता है. जो मिट्टी के लिए बहुत ही फायदेमंद है. इससे मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बढ़ती है.
पिछले तीन-चार दशकों में रासायनिक खेती का प्रभाव बढ़ा है, जिससे मिट्टी में उपलब्ध मित्र कीट नष्ट हो गए हैं. जिसके चलते जमीन में जैविक खाद की बहुत आवश्यकता है. केंचुआ खाद बनाने के लिए कचरे में नमी और हवा रखना आवश्यक होता है. जिससे केंचुए जिंदा रह सकें और कचरा खा सकें. इसके लिए पिट में फुहारे से सिंचाई करने के साथ ही कचरे को पलटते भी रहना चाहिए.