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ये किसान खेती छोड़ करता है मधुमक्खी पालन, अच्छा होता है मुनाफा

डिंडौरी के सारसडोली गांव के भरत कुशवाहा पिछले पांच सालों से मधुमक्खी पालन को अपना व्यवसाय बना रखा है और वो इससे अच्छा मुनाफा भी कमा लेते हैं.

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Published : Nov 24, 2019, 8:27 PM IST

डिंडौरी में मधुमक्खी पालन

डिंडौरी। जिले के मेंहदवानी विकासखंड के सारसडोली गांव का निवासी भरत कुशवाहा पहले एक स्कूल की बस में ड्राइवर था. पर एक कृषि वैज्ञानिक की सलाह के बाद से ही भरत मधुमक्खी पालन कर रहे है. मधुमक्खी पालन का ये काम वो शहपुरा विकासखंड के मालपुर गांव में अपना तंबू लगाकर करते है.

डिंडौरी में मधुमक्खी पालन

भरत ने बताया कि वो पिछले पांच सालों मधुमक्खी पालन करते आ रहे हैं. जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा हो जाता है. वो मधुमक्खियों को अलग-अलग इलाकों में ले जाकर उनका पालन करते हैं. इस समय रमतिला और राई के खेतों के आस-पास वे ये काम कर रहे है. भरत डिंडौरी जिले के अकेले ऐसे किसान हैं जो कि मधुमक्खी पालन में रूचि ले रहे हैं. उनका कहना है कि अन्य लोगों को भी इस व्यवसाय से जुड़ना चाहिए.

वही कृषि वैज्ञानिक डॉ. सत्येन्द्र कुमार का कहना है कि लोगों को मधुमक्खी पालन के व्यवसाय में आगे आना चाहिए. इससे कम लागत में अच्छा मुनाफा हो सकता है. साथ ही उन्होनें किस तरह मधुमक्खी पालन किया जाता है उसकी जानकारी दी.

मधुमक्खी पालन का तरीका है बेहद आसान
मधुमक्खियों के छत्ते में एक रानी मक्खी होती है, जो मक्खियों की संख्या बढ़ाती और दूसरी मधुमक्खियां शहद बनाने का काम करती हैं. रामतिल और राई की फसल पर मधुमक्खियों के पालन का तरीका भी बेहद आसान है. रामतिल और राई की फसल से मधुमक्खियां पराग निकालकर शहद बनाती हैं. नाडिफ की रिपोर्ट के अनुसार रामतिल से प्राप्त होने वाले शहद की क्वॉलिटी काफी बेहतर होती है, यही वजह है कि रामतिल मुंबई से ऑस्ट्रेलिया तक एक्सपोर्ट किया जाता है.

डिंडौरी। जिले के मेंहदवानी विकासखंड के सारसडोली गांव का निवासी भरत कुशवाहा पहले एक स्कूल की बस में ड्राइवर था. पर एक कृषि वैज्ञानिक की सलाह के बाद से ही भरत मधुमक्खी पालन कर रहे है. मधुमक्खी पालन का ये काम वो शहपुरा विकासखंड के मालपुर गांव में अपना तंबू लगाकर करते है.

डिंडौरी में मधुमक्खी पालन

भरत ने बताया कि वो पिछले पांच सालों मधुमक्खी पालन करते आ रहे हैं. जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा हो जाता है. वो मधुमक्खियों को अलग-अलग इलाकों में ले जाकर उनका पालन करते हैं. इस समय रमतिला और राई के खेतों के आस-पास वे ये काम कर रहे है. भरत डिंडौरी जिले के अकेले ऐसे किसान हैं जो कि मधुमक्खी पालन में रूचि ले रहे हैं. उनका कहना है कि अन्य लोगों को भी इस व्यवसाय से जुड़ना चाहिए.

वही कृषि वैज्ञानिक डॉ. सत्येन्द्र कुमार का कहना है कि लोगों को मधुमक्खी पालन के व्यवसाय में आगे आना चाहिए. इससे कम लागत में अच्छा मुनाफा हो सकता है. साथ ही उन्होनें किस तरह मधुमक्खी पालन किया जाता है उसकी जानकारी दी.

मधुमक्खी पालन का तरीका है बेहद आसान
मधुमक्खियों के छत्ते में एक रानी मक्खी होती है, जो मक्खियों की संख्या बढ़ाती और दूसरी मधुमक्खियां शहद बनाने का काम करती हैं. रामतिल और राई की फसल पर मधुमक्खियों के पालन का तरीका भी बेहद आसान है. रामतिल और राई की फसल से मधुमक्खियां पराग निकालकर शहद बनाती हैं. नाडिफ की रिपोर्ट के अनुसार रामतिल से प्राप्त होने वाले शहद की क्वॉलिटी काफी बेहतर होती है, यही वजह है कि रामतिल मुंबई से ऑस्ट्रेलिया तक एक्सपोर्ट किया जाता है.

Intro:डिंडौरी जिले के मेंहदवानी विकासखंड के सारसडोली गांव के निवासी भरत कुशवाहा पहले एक स्कूल की बस में ड्राइवर की नौकरी करता था । फिर उसकी मुलाकात एक कृषि वैज्ञानिक से हुई तो उन्होंने उसे मधुमक्खी पालन करने की सलाह दी । तब से आज तक मधुमक्खी पालन करने में लगा हुआ है ।Body:डिंडौरी जिले के मेंहदवानी विकासखंड के सारसडोली गांव के निवासी भरत कुशवाहा पहले एक स्कूल की बस में ड्राइवर की नौकरी करता था । फिर उसकी मुलाकात एक कृषि वैज्ञानिक से हुई तो उन्होंने उसे मधुमक्खी पालन करने की सलाह दी । तब से आज तक मधुमक्खी पालन करने में लगा हुआ है । अभी वह शहपुरा विकासखंड के मालपुर में अपना तंबू लगाकर मधुमक्खी पालन करने में लगा हुआ है ।

भरत कुशवाहा बताते हैं कि वो मधुमक्खी पालन 5 सालों से करते आ रहे हैं । जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा हो जाता है । वो मधुमक्खियों को लेकर अलग-अलग इलाकों में पालन करते हैं । इस समय रमतिला और राई के खेतों के आस-पास अपना तम्बू लगाकर मधुमक्खी पालन कर रहे हैं । इसके बाद उत्तरप्रदेश और बिहार में लीची के खेतों के आस-पास अपना तम्बू लगाकर मधुमक्खी पालन करेंगे ।
भरत कुशवाहा मूलतः डिंडौरी जिले के इकलौते किसान हैं जो कि मधुमक्खी पालन में रूचि ले रहे हैं ।
उनका कहना है कि अन्य लोगों को भी इस व्यवसाय से जुड़ना चाहिए ।
उन्होंने मधुमक्खी के छत्ते में से शहद कैसे निकाला जाता है । वह भी निकालकर दिखाया ।

कृषि वैज्ञानिक डाॅ सत्येन्द्र कुमार का कहना है कि लोगों को मधुमक्खी पालन के व्यवसाय में आगे आना चाहिए । इससे कम लागत में अच्छा मुनाफा हो सकता है । उन्होंने मधुमक्खी पालन करने के तरीकों के बारे में विस्तार से जानकारी दी ।


संभावनाएं

मधुमक्खी पालन का तरीका है बेहद आसान
मधुमक्खियों के छत्ते में एक रानी मक्खी होती है, जो मक्खियों की संख्या बढ़ाती और दूसरी मधुमक्खियां शहद बनाने का काम करती हैं, लेकिन अफसोस कि डिंडौरी के किसानों में मधुमक्खी पालन के प्रति जागरूकता नहीं है। रामतिल और राई की फसल पर मधुमक्खियों के पालन का तरीका भी बेहद आसान है। रामतिल और राई की फसल से मधुमक्खियां पराग निकालकर शहद बनाती हैं।

नाडिफ की रिपोर्ट के अनुसार रामतिल से प्राप्त होने वाले शहद की क्वॉलिटी काफी बेहतर होती है, यही वजह है कि रामतिल मुंबई और ऑस्ट्रेलिया एक्सपोर्ट किया जाता है।

लगभग 70 प्रतिशत भूमि पर होती है खेती

डिंडौरी जिले के शहपुरा और मेहदवानी विकासखंड के 70 प्रतिशत भूमि से अधिक मात्रा में रामतिल और राई की खेती होती है, लिहाजा यहां मधुमक्खियों के पालन की अपार संभावनाएं हैं, बस जरूरत है किसानों में इसको लेकर जागरुकता फैलाने की।

बाइट1- भरत कुशवाहा, मधुमक्खी पालक

बाइट2- डाॅ सत्येन्द्र कुमार, कृषि वैज्ञानिकConclusion:डिंडौरी जिले के मेंहदवानी विकासखंड के सारसडोली गांव के निवासी भरत कुशवाहा पहले एक स्कूल की बस में ड्राइवर की नौकरी करता था । फिर उसकी मुलाकात एक कृषि वैज्ञानिक से हुई तो उन्होंने उसे मधुमक्खी पालन करने की सलाह दी । तब से आज तक मधुमक्खी पालन करने में लगा हुआ है ।
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