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इस दिव्यांग शिक्षक का जज्बा देखने लायक, इलाके में बना लोगों का रोल मॉडल

डिंडोरी जिले के शहपुरा क्षेत्र के प्राथमिक शाला सहजपुरी में पदस्थ अतिथि शिक्षक भगवानदीन धुर्वे सभी के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं. भगवानदीन 80 फीसदी दिव्यांग होने के बावजूद समय पर विद्यालय पहुंचकर छात्र-छात्राओं को पढ़ाने का काम कर रहें हैं. साथ ही देर शाम पढ़ाई में कमजोर बच्चों को एक घंटे घर पर नि:शुल्क कोचिंग भी पढ़ा रहे हैं.

80 percent disabled teachers become a source of inspiration
डिंडोरी जिले में 80 प्रतिशत दिव्यांग शिक्षक बने प्रेरणा स्रोत
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Published : Dec 4, 2019, 3:25 PM IST

डिंडोरी। हौसले अगर बुलंद हों तो मंज़िले अपने आप मिल जाती है, जी हां आपको एक अनोखे अतिथि शिक्षक से मिलाते हैं जिनके दोनों हाथों के पंजे नहीं है और एक पैर से भी दिव्यांग है. ये शिक्षक 80 फीसदी दिव्यांगता होने के बावजूद गांव के बच्चों को पढ़ाकर शिक्षा की अलख जगा रहा है.

आपको बता दें कि डिंडौरी जिले के शहपुरा क्षेत्र के प्राथमिक शाला सहजपुरी में पदस्थ अतिथि शिक्षक भगवानदीन धुर्वे सभी के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं. भगवानदीन 80 फीसदी दिव्यांग होने के बावजूद समय पर विद्यालय पहुंचकर छात्र-छात्राओं को पढ़ाने का काम कर रहें है.साथ ही देर शाम पढ़ाई में कमजोर बच्चों को एक घंटे घर पर नि:शुल्क कोचिंग भी पढ़ा रहे हैं.

डिंडोरी जिले में 80 प्रतिशत दिव्यांग शिक्षक बने प्रेरणा स्रोत

अतिथि शिक्षक भगवानदीन धुर्वे के हाथों के पंजे ना होने के बावजूद वो हाथों में चॅाक पकड़कर ब्लैक बोर्ड में लिखते हैं और आसानी से बच्चों को पढ़ाते हैं. इतना ही नहीं वो दिव्यांग होने के बावजूद बच्चों की कॉपियों को पेन से चेक करते हैं पुस्तक उठाकर पढ़ाते हैं आसानी से कैलकुलेटर चला लेते हैं. बता दे कि शिक्षक भगवानदीन धुर्वे को महज पांच हजार रुपए महीना वेतन मिलता है. लेकिन फिर भी वो छात्र-छात्राओं को पढ़ाकर क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाने का प्रयास कर रहे हैं ।

डिंडोरी। हौसले अगर बुलंद हों तो मंज़िले अपने आप मिल जाती है, जी हां आपको एक अनोखे अतिथि शिक्षक से मिलाते हैं जिनके दोनों हाथों के पंजे नहीं है और एक पैर से भी दिव्यांग है. ये शिक्षक 80 फीसदी दिव्यांगता होने के बावजूद गांव के बच्चों को पढ़ाकर शिक्षा की अलख जगा रहा है.

आपको बता दें कि डिंडौरी जिले के शहपुरा क्षेत्र के प्राथमिक शाला सहजपुरी में पदस्थ अतिथि शिक्षक भगवानदीन धुर्वे सभी के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं. भगवानदीन 80 फीसदी दिव्यांग होने के बावजूद समय पर विद्यालय पहुंचकर छात्र-छात्राओं को पढ़ाने का काम कर रहें है.साथ ही देर शाम पढ़ाई में कमजोर बच्चों को एक घंटे घर पर नि:शुल्क कोचिंग भी पढ़ा रहे हैं.

डिंडोरी जिले में 80 प्रतिशत दिव्यांग शिक्षक बने प्रेरणा स्रोत

अतिथि शिक्षक भगवानदीन धुर्वे के हाथों के पंजे ना होने के बावजूद वो हाथों में चॅाक पकड़कर ब्लैक बोर्ड में लिखते हैं और आसानी से बच्चों को पढ़ाते हैं. इतना ही नहीं वो दिव्यांग होने के बावजूद बच्चों की कॉपियों को पेन से चेक करते हैं पुस्तक उठाकर पढ़ाते हैं आसानी से कैलकुलेटर चला लेते हैं. बता दे कि शिक्षक भगवानदीन धुर्वे को महज पांच हजार रुपए महीना वेतन मिलता है. लेकिन फिर भी वो छात्र-छात्राओं को पढ़ाकर क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाने का प्रयास कर रहे हैं ।

Intro:हौसले अगर बुलंद हों तो मंजिल अपने आप मिल जाती है आज देश विश्व दिव्यांगता दिवस मना रहा है आइए हम एक अनोखे अतिथि शिक्षक से मिलते हैं जिनके दोनों हाथ के पंजे नहीं है और एक पैर से भी दिव्यांग है 80% दिव्यांगता होने के बावजूद गांव के बच्चों को पढ़ाकर शिक्षा की अलख जगा रहा है ।Body: हौसले अगर बुलंद हों तो मंजिल अपने आप मिल जाती है आज देश विश्व दिव्यांगता दिवस मना रहा है आइए हम एक अनोखे अतिथि शिक्षक से मिलते हैं जिनके दोनों हाथ के पंजे नहीं है और एक पैर से भी दिव्यांग है 80% दिव्यांगता होने के बावजूद गांव के बच्चों को पढ़ाकर शिक्षा की अलख जगा रहा है ।
आपको बता दें कि डिंडौरी जिले के शहपुरा विधानसभा क्षेत्र के प्राथमिक शाला सहजपुरी में पदस्थ अतिथि शिक्षक भगवानदीन धुर्वे से शिक्षकों और सभी लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए कि दिव्यांग होने के बावजूद भगवानदीन धुर्वे समय पर विद्यालय पहुंचकर छात्र-छात्राओं को पढ़ाने का काम कर रहा हैं और देर शाम एक घंटे पढ़ाई में कमजोर बच्चों को घर में निशुल्क कोचिंग देने का काम कर रहा है ।
अतिथि शिक्षक भगवानदीन धुर्वे के हाथों के पंजे ना होने के बावजूद हाथों में चाक पकड़कर ब्लैक बोर्ड में लिखते हैं और आसानी से बच्चों को पढ़ाते हैं भगवानदीन धुर्बे दिव्यांग होने के बावजूद बच्चों की कॉपी को पेन जांचते हैं पुस्तक उठाकर पढ़ाते है गिलास को हाथ से उठाना पानी पीते हैं आसानी से केलकुलेटर चला लेते हैं और हाथो की पंजे ना होने के बावजूद सामान्य लोगों को मात देते हुए अनोखी मिसाल पेश कर रहे हैं ।
भगवानदीन धुर्वे को महज पांच हजार रुपए महीने वेतन मिलता है लेकिन जो नियमित शिक्षक है जिन्हें 50 से 60 हजार वेतन मिलता है उन शिक्षकों को दिव्यांग अतिथि शिक्षक भगवानदीन धुर्वे से प्रेरणा लेनी चाहिए और देखना चाहिए कि दिव्यांग होने के बावजूद अतिथि शिक्षक निर्धारित समय पर स्कूल जाते हैं और छात्र छात्राओं को पढ़ाकर क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाने का प्रयास कर रहे हैं ।

बाइट - भगवानदीन धुर्वे, दिव्यांग अतिथि शिक्षकConclusion: हौसले अगर बुलंद हों तो मंजिल अपने आप मिल जाती है आज देश विश्व दिव्यांगता दिवस मना रहा है आइए हम एक अनोखे अतिथि शिक्षक से मिलते हैं जिनके दोनों हाथ के पंजे नहीं है और एक पैर से भी दिव्यांग है 80% दिव्यांगता होने के बावजूद गांव के बच्चों को पढ़ाकर शिक्षा की अलख जगा रहा है ।
आपको बता दें कि डिंडौरी जिले के शहपुरा विधानसभा क्षेत्र के प्राथमिक शाला सहजपुरी में पदस्थ अतिथि शिक्षक भगवानदीन धुर्वे से शिक्षकों और सभी लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए कि दिव्यांग होने के बावजूद भगवानदीन धुर्वे समय पर विद्यालय पहुंचकर छात्र-छात्राओं को पढ़ाने का काम कर रहा हैं और देर शाम एक घंटे पढ़ाई में कमजोर बच्चों को घर में निशुल्क कोचिंग देने का काम कर रहा है ।
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