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बिल्वामृतेश्वर महादेव का विवाह उत्सव, बड़े ही धूमधाम से कराया गया संपन्न

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Published : Feb 22, 2020, 4:32 AM IST

Updated : Feb 22, 2020, 6:29 AM IST

धारे के धरमपुरी में स्थापित जागीरदार स्वयंभू भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव की उतारी गई महाआरती. दर्शन के लिए लाखों भक्त पहुंचे.

Wedding celebration of Bilvamritshwar Mahadev concluded
बिल्वामृतेश्वर महादेव का विवाह उत्सव

धार। भगवान शिव और पार्वती का विवाह उत्सव शिवरात्रि के मौके पर बड़े हर्षोल्लास के साथ में शिव भक्तों द्वारा मनाया गया. इसी कड़ी में धार जिले के धरमपुरी में भी मां नर्मदा नदी के बीचों-बीच, बेंट नामक टापू पर स्वयंभू भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव का विवाह उत्सव बड़े ही धूमधाम से संपन्न किया गया.

बिल्वामृतेश्वर महादेव का विवाह उत्सव

महाशिवरात्रि को जागीरदार स्वयंभू भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव की महाआरती उतारी गई. इस महाआरती के दौरान 816 वर्ष पुराना स्वयंभू भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव के रजत मुकुट को स्वयंभू भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव के लिंग पर रखा गया. इस दौरान ब्राह्मणों द्वारा मंत्र उच्चारण के साथ पूरा मंदिर परिसर गुंज उठा.

महाशिवरात्रि के मौके पर बाबा भोलेनाथ के भक्त बिल्वामृतेश्वर महादेव के इस दिव्य स्वरुप के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में मंदिर पहुंचे.

बता दें कि साल में ऐसा केवल महाशिवरात्रि के मौके पर रात्रि 12 बजे होने वाली महाआरती के दौरान ऐसा किया जाता है. इसलिए भगवान के इस दिव्यस्वरूप के दर्शन भक्तों को केवल साल में एक ही बार होते हैं. इसलिए बड़ी संख्या में जागीरदार स्वयंभू भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव भक्त महाशिवरात्रि के मौके पर रात्रि 12:00 बजे होने वाली महाआरती में बड़ी संख्या में स्वयंभू भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव के मंदिर पहुंचते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं.

धार। भगवान शिव और पार्वती का विवाह उत्सव शिवरात्रि के मौके पर बड़े हर्षोल्लास के साथ में शिव भक्तों द्वारा मनाया गया. इसी कड़ी में धार जिले के धरमपुरी में भी मां नर्मदा नदी के बीचों-बीच, बेंट नामक टापू पर स्वयंभू भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव का विवाह उत्सव बड़े ही धूमधाम से संपन्न किया गया.

बिल्वामृतेश्वर महादेव का विवाह उत्सव

महाशिवरात्रि को जागीरदार स्वयंभू भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव की महाआरती उतारी गई. इस महाआरती के दौरान 816 वर्ष पुराना स्वयंभू भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव के रजत मुकुट को स्वयंभू भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव के लिंग पर रखा गया. इस दौरान ब्राह्मणों द्वारा मंत्र उच्चारण के साथ पूरा मंदिर परिसर गुंज उठा.

महाशिवरात्रि के मौके पर बाबा भोलेनाथ के भक्त बिल्वामृतेश्वर महादेव के इस दिव्य स्वरुप के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में मंदिर पहुंचे.

बता दें कि साल में ऐसा केवल महाशिवरात्रि के मौके पर रात्रि 12 बजे होने वाली महाआरती के दौरान ऐसा किया जाता है. इसलिए भगवान के इस दिव्यस्वरूप के दर्शन भक्तों को केवल साल में एक ही बार होते हैं. इसलिए बड़ी संख्या में जागीरदार स्वयंभू भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव भक्त महाशिवरात्रि के मौके पर रात्रि 12:00 बजे होने वाली महाआरती में बड़ी संख्या में स्वयंभू भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव के मंदिर पहुंचते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं.

Last Updated : Feb 22, 2020, 6:29 AM IST
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