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उफनता नाला पार कर मुक्तिधाम तक जाते हैं ग्रामीण, अंतिम संस्कार के लिए भी उठाते हैं जोखिम

धार जिले एकलुदना गांव में लोगों को मूलभूत सुविधाएं भी नसीब नहीं हो रही हैं. जहां अंतिम यात्रा के लिए ग्रामीणों को उफनता नाला पार करना पड़ रहा है.

मुक्तिधाम तक जाने के लिए उफनते नाले को पार करते ग्रामीण
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Published : Sep 10, 2019, 1:32 PM IST

Updated : Sep 10, 2019, 1:44 PM IST

धार। मध्यप्रदेश सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में योजनाओं के नाम पर पानी की तरह पैसा बहा रही है, बावजूद इसके ग्रामीणों को बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं तक मयस्सर नहीं हैं. धार विधानसभा क्षेत्र के एकलदुना गांव में ग्रामीणों को मुक्तिधाम तक जाने के लिए बारिश में उफनते नाले को पार करना पड़ता है.

मुक्तिधाम तक जाने के लिए उफनते नाले को पार करते ग्रामीण

जानकारी के मुताबकि, एकलदुना गांव में एक वृद्ध देवजीत की बीमारी के चलते मौत हो गई थी, लेकिन अंतिम संस्कार के लिए शव को मुक्तिधाम तक ले जाना भी ग्रामीणों के लिए किसी जोखिम से कम नहीं है क्योंकि ग्रामीणों को उफनते नाले को पार करना पड़ा. जिसके लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.

नाले पर रपट नहीं होने से अंतिम संस्कार के लिए लोगों को खूब जद्दोजहद करनी पड़ती है. ग्रामीणों का आरोप है कि कई बार नाले पर रपट निर्माण के लिए ग्राम पंचायत को प्रस्ताव दिया गया, लेकिन सरकारी नुमाइंदों के कानों पर आज तक जू नहीं रेंगा है. लिहाजा ग्रामीण सालों से इस परेशानी को झेल रहे हैं.

धार। मध्यप्रदेश सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में योजनाओं के नाम पर पानी की तरह पैसा बहा रही है, बावजूद इसके ग्रामीणों को बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं तक मयस्सर नहीं हैं. धार विधानसभा क्षेत्र के एकलदुना गांव में ग्रामीणों को मुक्तिधाम तक जाने के लिए बारिश में उफनते नाले को पार करना पड़ता है.

मुक्तिधाम तक जाने के लिए उफनते नाले को पार करते ग्रामीण

जानकारी के मुताबकि, एकलदुना गांव में एक वृद्ध देवजीत की बीमारी के चलते मौत हो गई थी, लेकिन अंतिम संस्कार के लिए शव को मुक्तिधाम तक ले जाना भी ग्रामीणों के लिए किसी जोखिम से कम नहीं है क्योंकि ग्रामीणों को उफनते नाले को पार करना पड़ा. जिसके लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.

नाले पर रपट नहीं होने से अंतिम संस्कार के लिए लोगों को खूब जद्दोजहद करनी पड़ती है. ग्रामीणों का आरोप है कि कई बार नाले पर रपट निर्माण के लिए ग्राम पंचायत को प्रस्ताव दिया गया, लेकिन सरकारी नुमाइंदों के कानों पर आज तक जू नहीं रेंगा है. लिहाजा ग्रामीण सालों से इस परेशानी को झेल रहे हैं.

Intro:उफनते नाले को पार कर ग्रामीण पहुंचते है मुक्तिधाम तक। वर्षो से फैली समस्या नही हो रही दूर। Body:बदहाली का रास्ता-

उफनते नाले को पार कर शव ले जाते मुक्तिधाम तक।

भारत तो चांद तक पहुंच गया पर गांवो में उफनते नाले को पार कर शव को मुक्तिधाम तक ले जाना मुश्किल।


बदनावर (धार)। शासन ग्रामीण क्षेत्रों में कई योजनाएं चलाकर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। इसके बावजूद गांवों में विकास और मूलभूत सुविधाएं ग्रामीणों को नहीं मिल पा रही हैं

इसका ताजा उदाहरण देखने को मिला है धार विधानसभा के ग्राम एकलदुना में। यहाँ गांव में किसी की मौत पर अंतिम संस्कार के दौरान ग्रामीणों को परेशानी उठाना पड़ती है। खासकर बरसात के दिनों में अंतिम संस्कार किसी मुसीबत से कम नहीं होता है

एकलदुना में मुक्तिधाम पहुँच मार्ग पर नाले पर रपट नही होने से अंतिम संस्कार के लिए लोगो को परेशान होना पड़ रहा है

बरसात की दिनों में अगर यहाँ किसी की मौत हो जाये तो अंतिम संस्कार के कंडे लकड़ी सहित अर्थी भी बहते पानी से होकर ले जाना पड़ती है जिसके लिए ग्रामीण को खूब जद्दोजहद करना पड़ती है

ग्रामीणों द्वारा यहां रपट निर्माण के लिए कई बार ग्राम पंचायत में ठहराव प्रस्ताव बना कर दिया गया है। लेकिन सरकारी नुमाइंदों के कानों में आज तक जु तक नही रेगी है

सालो से ग्रामीण बरसात में ऐसे ही नाले के पानी से निकल कर अंतिम संस्कार के लिए जद्दोजहद करते दिखाई देते है

गांवों में मूलभूत सुविधाओं के लिए ग्रामीण सरपंच को चुनते है जो ग्राम पंचायत का प्रतिनिधित्व कर विकास कार्य करवाता है लेकिन यहाँ के हालत देख कर लगता है की ग्राम पंचायत ने भी इस समस्या से निजात पाने के लिए कोई ठोस कदम उठाए हो ऐसा नजर नही आता है। ग्रामीण भी जब प्रशासन के बड़े अधिकारीयो से मुलाकात कर समस्या बताने जाते है तो उन्हें मात्रा आश्वासन ही मिलता है। Conclusion:इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ग्रामीण शव के अंतिम संस्कार करने के लिए कितनी मुसीबत उठाते है।
Last Updated : Sep 10, 2019, 1:44 PM IST
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