धार। मध्यप्रेदश की ऐतिहासिक नगरी मांडू में एक बार फिर कुदरत ने हरियाली के रंग भर दिए हैं. कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन के बाद 7 जुलाई से मांडू में पर्यटकों की हलचल शुरू हो गई है, यानी आप अब खुशियों का शहर कहे जाने वाले मांडू का दीदार कर सकते हैं. कोरोना कहर के चलते पर्यटकों की संख्या में गिरावट जरूर आई है, हालांकि समय के साथ पर्यटकों के बढ़ने की उम्मीद भी जताई जा रही है. मांडू के खुलते ही पर्यटक जामा मस्जिद, जहाज महल, हिंडोला महल, नीलकंठ मंदिर, रेखा कुंड, रानी रूपमती महल और होशंग शाह का मकबरा देखने के लिए परिवार के साथ पहुंचने लगे हैं.
विंध्याचल की पहाड़ी पर समुद्र तल से 2000 फीट की ऊंचाई पर बसे मांडू ने बारिश के मौसम में हरियाली की चादर ओढ़ रखी है, जिसके चलते मांडू का सौंदर्य और बढ़ गया है. ऐसे में यहां का मौसम और सुहावना लग रहा है और मांडू की बेहतरीन वास्तुकला देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक यहां पहुंचने लगे हैं. बारिश के मौसम में कभी यहां पर तेज धूप तो, कभी कोहरे के साथ बारिश का आनंद पर्यटक उठा रहे हैं. शुरूआती दिनों में मांडू में केवल 200 से 250 पर्यटक ही इतिहास को जानने और पौराणिक धरोहरों को निहारने के लिए पहुंचे हैं. हालांकि पर्यटकों की संख्या में धीरे-धीरे इजाफा भी हो रहा है.
![Tourists reaching Mandu after lockdown](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-dha-04-special-story-mandu-open-pkg-7203883-rajkumar-solanki-dhar_09072020153942_0907f_01525_747.jpg)
इन लोगों को नहीं मिलेगी एंट्री
मांडू आने वाले पर्यटकों को स्मारकों में प्रवेश करने के लिए मास्क लगाना ओर स्कैनिंग करवाना अनिवार्य रूप से कर दिया गया है. 10 साल से कम आयु वाले बच्चों को ओर 60 साल से अधिक आयु वाले बुजुर्गो को मांडू स्थित इमारतों में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. इसके साथ ही साथ टिकट के लिए भी ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की गई है. हालांकि यह प्रक्रिया कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए शुरू की गई है.
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ऑनलाइन खरीदना होगा टिकट
ऑनलाइन टिकट खरीदना कभी-कभी पर्यटकों के लिए मुसीबत भी बन रहा है, क्योंकि हर किसी पर्यटक के पास ऑनलाइन पेमेंट करने की सुविधा उपलब्ध नहीं रहती है. आने वाले दिनों में जरूर मांडू में पर्यटकों की संख्या बढ़ जाएगी, जिससे मांडू एक बार फिर से पर्यटकों से गुलजार हो जाएगा.
![Tourists reaching Mandu after lockdown](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-dha-04-special-story-mandu-open-pkg-7203883-rajkumar-solanki-dhar_09072020153942_0907f_01525_356.jpg)
मांडू की खासियत
विंध्याचल पर्वत श्रृंखला में बसे मांडू को पहले शादियाबाद के नाम से भी जाना जाता था, जिसका अर्थ है 'खुशियों का नगर' अंग्रेज तो इसे अब भी सिटी ऑफ जाय के नाम से ही पुकारते हैं. मांडू में वास्तुकला की ऐसी बेजोड़ रचनाएं बिखरी पड़ी हैं, जो देश-दुनिया के लिए धरोहर हैं. इमारतें तब के शासकों की कलात्मक सोच, समृद्ध विरासत और शानो-शौकत का आईना है. मांडू को ऐसा अभेद्य गढ़ भी माना गया जिसे शत्रु कभी नहीं भेद सके.
![Tourists reaching Mandu after lockdown](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-dha-04-special-story-mandu-open-pkg-7203883-rajkumar-solanki-dhar_09072020153942_0907f_01525_518.jpg)
राजपूत परमार शासक भी बाहरी आक्त्रमण से रक्षा के लिए मांडू को सुरक्षित किला मानते रहे. पहाड़ों के बीच हरियाली से आच्छादित मांडू में पर्यटकों की आवाजाही यूं तो पूरे वर्ष बनी रहती है, लेकिन बारिश के मौसम में पर्यटकों की भीड़ यहां बढ़ जाती है. बारिश में पानी भरे बादल ऊंचे महलों पर मौजूद पर्यटकों को भिगो कर निकल जाते हैं. यह अनुभव अविस्मरणीय होता है.
इंदौर से 110 किलोमीटर दूर धार जिले में है मांडू
![Tourists reaching Mandu after lockdown](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-dha-04-special-story-mandu-open-pkg-7203883-rajkumar-solanki-dhar_09072020153942_0907f_01525_1064.jpg)
मांडू इंदौर से करीब 110 किमी दूर विंध्याचल की पहाडियों में करीब 2000 फीट की ऊंचाई पर मध्य प्रदेश के धार जिले में बसा हुआ है. पर मांडू की जो सबसे खास बात है वो यहां का किला है जिसका नाम रानी रूपमती का किला है. रानी रूपमती का किला राजा बाज बहादुर और रानी रूपमती के प्रेम का साक्षी है.