धार। 1857 की क्रांति में देश की आजादी के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले अमझेरा नरेश महाराणा बख्तावर सिंह के समय की एतिहासिक इमारत चौमुखा महल की छत पुरी तरह से धराशायी हो गई है. साथ ही मां नागणेचा का मंदिर भी स्थापित था. वह भी पुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है.
एतिहासिक और पौराणिक महत्व की इमारत क्षतिग्रस्त होने की खबर लगते ही बख्तावर फाउंडेशन के सदस्य और अन्य ग्रामीण यहां पहुंचे. बख्तावर फाउंडेशन के अध्यक्ष गोपाल सोनी का कहना है कि, ये पुरातत्व विभाग की गंभीर लापरवाही का नतीजा है. जिसके कारण महल धंस गया है. जबकि महल के जीर्णोद्धार को लेकर लगातार मांग की जाती रही है. साथ ही विधायक, सांसद, कलेक्टर आदि से भी कई बार महल के संरक्षण को लेकर मांग की गई, लेकिन राजा की इस ऐतिहासिक धरोहर पर कोई ध्यान नहीं दिया गया और आज वो धराशायी हो गई है. केवल उसके आगे का हिस्सा बचा है, जो कभी भी भर भराकर गिर जाएगा.