धार। महाशिवरात्रि के मौके पर धरमपुरी में नर्मदा के बीचों-बीच स्थित बिल्वामृतेश्वर मंदिर पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. बेंट नामक टापू पर विराजे स्वयंभू भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव के दर्शन के लिए दूर दराज से बड़ी संख्या में भक्त उनके मंदिर पहुंचते हैं. ऐसा माना जाता है कि महादेव अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं.
बता दें कि महाशिवरात्रि को रात 12 बजे भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव के मंदिर में महाआरती का आयोजन किया जाता है. इस महाआरती में 800 से अधिक वर्ष पुराना भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव का रजत मुकुट बिल्वामृतेश्वर महादेव कि लिंगी पर रखा जाता है. ऐसा साल में एक बार महाशिवरात्रि के मौके पर रात्रि 12:00 बजे होने वाली महाआरती के दौरान किया जाता है. जिसके कारण भगवान श्री बिल्वामृतेश्वर महादेव के इस दिव्य स्वरूप के दर्शन केवल साल में एक बार होते हैं.
भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव के दिव्य दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त उनके मंदिर पहुंचते हैं और उनके दिव्य स्वरूप का दर्शन कर उनसे मन्नत मांगते हैं, वहीं भक्तों का मानना है कि भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव उनकी हर मुराद पूरी भी करते हैं. ऐसा माना जाता है कि 12 ज्योतिर्लिंग की पैदल यात्रा करने से जितना पुण्य प्राप्त होता है, उतना पूण्य केवल भगवान श्री बिल्वामृतेश्वर महादेव के नाम स्मरण मात्र से ही प्राप्त हो जाता है.