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यहां रात के 12 बजे होती है भगवान की आरती, दिव्य दर्शन को उमड़ता है जनसैलाब

धार। महाशिवरात्रि के मौके पर धरमपुरी में नर्मदा के बीचों-बीच स्थित बिल्वामृतेश्वर मंदिर पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. बेंट नामक टापू पर विराजे स्वयंभू भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव के दर्शन के लिए दूर दराज से बड़ी संख्या में भक्त उनके मंदिर पहुंचते हैं.

धार: दिव्य दर्शन को उमड़ता है जनसैलाब
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Published : Mar 5, 2019, 6:49 AM IST

धार। महाशिवरात्रि के मौके पर धरमपुरी में नर्मदा के बीचों-बीच स्थित बिल्वामृतेश्वर मंदिर पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. बेंट नामक टापू पर विराजे स्वयंभू भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव के दर्शन के लिए दूर दराज से बड़ी संख्या में भक्त उनके मंदिर पहुंचते हैं. ऐसा माना जाता है कि महादेव अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं.

Shri Bilvamrateshwar Mahadev's philosophy of greatness
यहां रात के 12 बजे होती है भगवान की आरती


बता दें कि महाशिवरात्रि को रात 12 बजे भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव के मंदिर में महाआरती का आयोजन किया जाता है. इस महाआरती में 800 से अधिक वर्ष पुराना भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव का रजत मुकुट बिल्वामृतेश्वर महादेव कि लिंगी पर रखा जाता है. ऐसा साल में एक बार महाशिवरात्रि के मौके पर रात्रि 12:00 बजे होने वाली महाआरती के दौरान किया जाता है. जिसके कारण भगवान श्री बिल्वामृतेश्वर महादेव के इस दिव्य स्वरूप के दर्शन केवल साल में एक बार होते हैं.

यहां रात के 12 बजे होती है भगवान की आरती


भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव के दिव्य दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त उनके मंदिर पहुंचते हैं और उनके दिव्य स्वरूप का दर्शन कर उनसे मन्नत मांगते हैं, वहीं भक्तों का मानना है कि भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव उनकी हर मुराद पूरी भी करते हैं. ऐसा माना जाता है कि 12 ज्योतिर्लिंग की पैदल यात्रा करने से जितना पुण्य प्राप्त होता है, उतना पूण्य केवल भगवान श्री बिल्वामृतेश्वर महादेव के नाम स्मरण मात्र से ही प्राप्त हो जाता है.

धार। महाशिवरात्रि के मौके पर धरमपुरी में नर्मदा के बीचों-बीच स्थित बिल्वामृतेश्वर मंदिर पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. बेंट नामक टापू पर विराजे स्वयंभू भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव के दर्शन के लिए दूर दराज से बड़ी संख्या में भक्त उनके मंदिर पहुंचते हैं. ऐसा माना जाता है कि महादेव अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं.

Shri Bilvamrateshwar Mahadev's philosophy of greatness
यहां रात के 12 बजे होती है भगवान की आरती


बता दें कि महाशिवरात्रि को रात 12 बजे भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव के मंदिर में महाआरती का आयोजन किया जाता है. इस महाआरती में 800 से अधिक वर्ष पुराना भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव का रजत मुकुट बिल्वामृतेश्वर महादेव कि लिंगी पर रखा जाता है. ऐसा साल में एक बार महाशिवरात्रि के मौके पर रात्रि 12:00 बजे होने वाली महाआरती के दौरान किया जाता है. जिसके कारण भगवान श्री बिल्वामृतेश्वर महादेव के इस दिव्य स्वरूप के दर्शन केवल साल में एक बार होते हैं.

यहां रात के 12 बजे होती है भगवान की आरती


भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव के दिव्य दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त उनके मंदिर पहुंचते हैं और उनके दिव्य स्वरूप का दर्शन कर उनसे मन्नत मांगते हैं, वहीं भक्तों का मानना है कि भगवान बिल्वामृतेश्वर महादेव उनकी हर मुराद पूरी भी करते हैं. ऐसा माना जाता है कि 12 ज्योतिर्लिंग की पैदल यात्रा करने से जितना पुण्य प्राप्त होता है, उतना पूण्य केवल भगवान श्री बिल्वामृतेश्वर महादेव के नाम स्मरण मात्र से ही प्राप्त हो जाता है.

Intro:देवों के देव महादेव के विवाह उत्सव के रूप में महाशिवरात्रि का पर्व पूरे भारतवर्ष में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है जिसके चलते दिन भर शिवालयों में भगवान महादेव के भक्त आराधना में लीन रहते हैं पूरी भक्ति भावना के साथ पूजा अर्चना करते हैं इसी कड़ी में धार जिले के धरमपुरी में नर्मदा के बीचो-बीच स्थित बेंट नामक टापू पर विराजे हैं देवों के देव महादेव स्वयंभू भगवान श्री बिल्वामृतेश्वर महादेव,ऐसा माना जाता है कि 12 ज्योतिर्लिंग की पैदल यात्रा करने से जितना पुण्य प्राप्त होता है उतना पूर्ण केवल भगवान श्री बिल्वामृतेश्वर महादेव के नाम स्मरण मात्र से ही प्राप्त हो जाता है आपको बता दें कि महाशिवरात्रि को रात्रि 12:00 बजे भगवान श्री बिल्वामृतेश्वर महादेव के मंदिर में महाआरती का आयोजन किया जाता है इस महाआरती में 800 से अधिक वर्ष पुराना भगवान श्री बिल्वामृतेश्वर महादेव का रजत मुकुट भगवान श्री बिल्वामृतेश्वर महादेव कि लिंगी पर रखा जाता है ऐसा साल में एक बार महाशिवरात्रि के मौके पर रात्रि 12:00 बजे होने वाली महाआरती के दौरान किया जाता है जिसके चलते भगवान श्री बिल्वामृतेश्वर महादेव के इस दिव्य स्वरूप के दर्शन केवल साल में एक बार होते है अतः भगवान श्री बिल्वामृतेश्वर महादेव के दिव्य दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त उनके मंदिर पहुंचते हैं और भगवान श्री बिल्वामृतेश्वर महादेव की दिव्य स्वरूप का दर्शन कर उनसे मन्नत मांगते हैं तो वहीं भगवान श्री बिल्वामृतेश्वर महादेव अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं।


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