धार। समर्थन मूल्य पर खरीदी केंद्रों में इस बार लक्ष्य से कम गेहूं खरीदा गया. इसका मुख्य कारण समय से पहले गेहूं की फसल आने को बताया जा रहा है. वहीं किसानों का कहना है कि समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी की प्रक्रिया इस बार काफी देर से शुरू हुई है, जिसके कारण किसानों ने अपनी फसल बाजारों में बेच दी.
किसान संतोष मारू ने बताया कि समर्थन मूल्य द्वारा जो मंडियों में गेहूं की खरीदी होती थी, वो इस बार बहुत देर से शुरू की गई. किसानों की फसल बेचने के लिए बाजार में जल्द आ गई थी. जिसके कारण किसानों को अपना गेहूं बाजार में बेचना पड़ा, जिसका मूल्य भी किसानों को अच्छा मिला है.
किसानों का कहना है कि खरीदी केन्द्रों के बजाए बाजार में समर्थन मूल्य से ज्यादा किसानों को दाम मिले हैं. इसके साथ ही राशि भी जल्दी मिल गई, जबकि समर्थन मूल्य पर बेचने के बाद किसानों के खातों में राशि भी लेट आती है और परेशानी भी होती है.
जिला आपूर्ति अधिकारी ने कहा कि खरीदी केन्द्रों पर जब गेहूं की खरीद शुरू हुई, तो हमारा अनुमानित अनुमान 1 लाख 50 टन का लक्ष्य था, लेकिन किसानों ने पंजीयन भी करवाए और जब गेहूं की खरीदी चालू हुई, तो गेहूं काफी टूट चुका था. अभी तक खरीदी केन्द्रों पर 37 हजार टन ही गेहूं की खरीदी हुई है. अभी तक 5 हजार 610 किसानों से गेहूं खरीदा गया है. इन आंकड़ों से यह साफ जाहिर होता है कि समर्थन मूल्य पर इस बार जिले में किसानों ने गेहूं कम ही बेचा है.
जिला आपूर्ति अधिकारी ने बताया कि इस बार गेहूं की फसल जल्दी आ गई थी जिस वजह से किसानों ने पहले ही गेहूं मंडी व्यपारियों को बेच दिया. जिसके कारण जिले में इस बार समर्थन मूल्य पर कम गेहूं खरीदी हुई है. वही किसानों की मानें तो इस बार समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी का काम देर से शुरू किया गया. जब समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी शुरू की गई, तो उससे पहले ही गेहूं की फसल किसानों की तैयार हो चुकी थी. वहीं समर्थन मूल्य से ज्यादा बाजार में और मंडियों में गेहूं के उन्हें भाव 2 हजार से 21 सौ 50 रुपये प्रति क्विंटल के भाव मिले हैं. जिस वजह से किसानों ने समर्थन मूल्य पर केंद्रों पर कम ही गेहूं बेचा है.