ग्वालियर: मध्य प्रदेश की आबोहवा पर संकट के बादल छाते हुए नजर आ रहे हैं. प्रदेश में ग्वालियर की हवा सबसे ज्यादा खराब हालात में पहुंच गई है, जिसका मुख्य कारण यहां की हल्की मिट्टी है, जो हवा के साथ वातावरण में फैल रही है. सर्दियों में यह ज्यादा सर्कुलेट होती है. क्षेत्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने साल 2023-24 की एक रिपोर्ट जारी की है, जिसे PM-10 लेवल यानी धूल के कणों के आधार पर जारी किया गया है.
ग्वालियर की हालत सबसे ज्यादा खराब
जारी की गई रिपोर्ट में ग्वालियर में PM-10 लेवल का एनुअल एवरेज 133.29 मॉडरेट कंडीशन में दर्ज हुआ है. वहीं राजधानी भोपाल 110.2 मॉडरेट, इंदौर 103.87 मॉडरेट, जबलपुर 101.2 मॉडरेट कंडीशन में एनुअल एवरेज के साथ दर्ज हुआ है. प्रदेश के 54 जिलों में 13 जिले मॉडरेट, 37 जिले सेटिस्फेक्ट्री और सिर्फ 04 जिले ही मात्र गुड कंडीशन में आए हैं. इन बिगड़े हालातों के पीछे सीएनडी वेस्ट को मुख्य वजह बताया जा रहा है, जिसके कारण ही PM-10 का लेवल बढ़ रहा है.
इस वजह से बढ़ रही है समस्या
वहीं, ग्वालियर स्थित पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी आरबीएस सेंगर ने बताया, ''शहर की क्लाइमेट स्थिति पर गौर किया जाए तो यह नॉर्थ इंडिया में आता है. वहीं, भौगोलिक स्थिति के आधार पर यहां की धूल काफी ड्राय है, जिसके चलते यह लगातार सड़कों पर इकट्ठी होती है और व्हीकल ट्रांसपोर्टेशन के दौरान वह हवा से बार-बार उड़ती है. खासकर सर्दियों के सीजन में हालत ज्यादा बिगड़ते हैं. फिर भी जिला प्रशासन और नगर निगम के साथ PM-10 के लेवल को कम करने के लिए प्लानिंग तैयार की गई है. ज्यादा धूल उड़ने वाली जगह पर पानी से छिड़काव कराया जा रहा है. वहीं रोड साइड कंस्ट्रक्शन और अन्य शहरी विकास से जुड़े कंस्ट्रक्शन पर ग्रीन शेड और टीन सेट से कवर करने के सख्ती के साथ निर्देश दिए गए हैं.''