सागर: बेरोजगारी के दौर में अच्छी नौकरी हासिल करने के लिए युवा तरह-तरह के जतन करते हैं. लेकिन कई युवा ऐसे भी हैं, जो अच्छी पढ़ाई तो करना चाहते हैं, लेकिन अपनी पढ़ाई का खर्च अपने परिवार पर नहीं डालना चाहते हैं. कुछ ऐसा ही कर रहे हैं सागर के प्रसन्न आदर्श. वह काॅलेज में सिविल इंजीनियर की पढ़ाई करने के बाद ई रिक्शा चलाकर अपनी पढ़ाई का खर्चा निकालते हैं. खास बात ये है कि इस वजह से प्रसन्न आदर्श इंजीनियर टैक्सी वाला के नाम से जाने जाने लगे हैं.
परिवार पर बोझ ना बने, इसके लिए उठाया कदम
प्रसन्न आदर्श की बात करें, तो वो सागर के एक निजी इंजीनियरिंग काॅलेज में सिविल ब्रांच के फायनल ईयर के स्टूडेंट हैं. उनके पिता एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे, जो रिटायर हो चुके हैं. परिवार में चार भाई तीन बहनें हैं. तीन भाईयों और एक बहन की शादी हो चुकी है. पिता पर बहनों की शादी की जिम्मेदारी है. भाई लोग शादी के बाद अपने परिवार का खर्चा उठाते हैं. इसलिए प्रसन्न ने इंजीनियरिंग के साथ-साथ अपना खर्चा उठाने के लिए ई रिक्शा फायनेंस कराया और पढ़ाई के बाद वो ई रिक्शा चलाकर अपना खर्च उठाते हैं और घर में भी सहयोग करते हैं. हालांकि उसके पिता ने उसके इस फैसले का विरोध किया था और पहले पढ़ाई करने की बात कही थी. लेकिन अपनी पढ़ाई और अपना खर्च उठाने के लिए वो ई रिक्शा चलाता है. ई रिक्शा उन्होंने फायनेंस कराया था, तो उसकी किश्त भरने के बाद जो भी पैसा बचता है, उससे काॅलेज और अपना खर्च निकालने के बाद घर भी मदद करते हैं.
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क्या कहना है इंजीनियर टैक्सी वाले का
प्रसन्न आदर्श ने अपनी टैक्सी पर 'इंजीनियर टैक्सी वाला' लिखवाया है. उनकी टैक्सी में ये लिखा देखकर लोग सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि इंजीनियरिग करने के बावजूद टैक्सी क्यों चलाना पड़ रही है. लेकिन प्रसन्न करते हैं कि, ''वो पढ़ाई करते हुए आत्मनिर्भर होना चाहते हैं. परिवार ने कभी उन पर दबाव नहीं बनाया कि वो पढ़ाई के दौरान कामकाज करें. लेकिन मैं आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ आर्थिक रूप से मजबूत होना चाहता था. इस टैक्सी से जो कमाई होती है, मैं घर पर भी मदद करता हूं. जो पैसा बचता है, उसको ऐसी जगहों पर निवेश करता हूं कि भविष्य में आर्थिक रूप से मजबूत हो जाऊं.''
सिविल इंजीनियरिंग में जॉब्स के काफी चांस
प्रसन्न कहते हैं कि, ''मेरी सिविल इंजीनियर की ब्रांच है, मुझे भरोसा है कि डिग्री पूरी होते ही नौकरी मिल जाएगी. प्राइवेट सेक्टर में भी बहुत जाॅब्स हैं और अभी से सरकारी जाॅब के लिए भी तैयारी कर रहा हूं. मेरे पिता के कुछ दोस्त हैं, जो कंस्ट्रक्शन का काम करते हैं. उन्होंने भी डिग्री पूरी होने पर जाॅब्स के लिए कहा है. जब मैनें एडमिशन लिया था, तब सिविल के बारे में ज्यादा नहीं जानता था. लेकिन अब समझ आ गया है कि इस सेक्टर में जाॅब के चांस हैं.''