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शहीद के गांव में पुलिया के लिए प्रदर्शन, प्रशासन को जगाने के लिए ग्रामीण करेंगे जल सत्याग्रह - शहीद रवीन्द्र सिंह राठौर

शहीद रवीन्द्र सिंह राठौर से गांव पाना में पुलिया निर्माण की मांग को लेकर ग्रामीण धरने पर बैठे हैं, लेकिन उनकी सुद लेने अभी तक कोई अधिकारी नहीं पहुंचा है.

शहीद के गांव में पुलिया के लिए प्रदर्शन
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Published : Sep 8, 2019, 3:20 PM IST

धार। पाना गांव में पुलिया निर्माण की मांग को लेकर ग्रामीण धरने पर बैठे हैं. ये गांव शहीद रवीन्द्र सिंह राठौर का गांव है, जहां ग्रामीणों को महज एक पुलिया के निर्माण के लिए सत्याग्रह करना पड़ रहा है. इसके बावजूद धरना स्थल पर अब तक कोई जिम्मेदार नहीं पहुंचा है. गांव में पुलिया निर्माण नहीं होने पर ग्रामीणों ने जल सत्याग्रह और भूख हड़ताल की योजना तैयार की है.

शहीद के गांव में पुलिया के लिए प्रदर्शन

लगभग 10 साल पहले गांव में तालाब बनाया गया था. समय के साथ पानी के बहाव और आवागमन से मिट्टी का कटाव होते-होते नाले के एक छोर से दूसरे छोर की दूरी लगभग 70 फिट हो चुकी है. जिसके चलते उन्हें खेतों तक पहुंचने का मार्ग अवरुद्ध हो गया, जिसके बाद ग्रामीणों ने नाले पर खजूर का पेड़ रखकर खेतों तक पहुंचने का रास्ता तैयार किया, जोकि बहुत ही जोखिम भरा है. कुछ दिनों पहले एक किसान की खजूर के पेड़ वाले पुल से पैर फिसलने पर नाले में गिरने के बाद डूबने से मौत हो गई थी, जबकि एक किसान की बलि लेने के बावजूद प्रशासन किसी बडे़ हादसे का इंतजार कर रहा है.

ग्रामीणों का कहना है कि धरना सामान्य रहेगा, लेकिन सुनवाई नहीं हुई तो सोमवार से जल सत्याग्रह और भूख हड़ताल करेंगे. वहीं अब तक प्रशासन की तरफ से कोई पहल नहीं की गई है.

धार। पाना गांव में पुलिया निर्माण की मांग को लेकर ग्रामीण धरने पर बैठे हैं. ये गांव शहीद रवीन्द्र सिंह राठौर का गांव है, जहां ग्रामीणों को महज एक पुलिया के निर्माण के लिए सत्याग्रह करना पड़ रहा है. इसके बावजूद धरना स्थल पर अब तक कोई जिम्मेदार नहीं पहुंचा है. गांव में पुलिया निर्माण नहीं होने पर ग्रामीणों ने जल सत्याग्रह और भूख हड़ताल की योजना तैयार की है.

शहीद के गांव में पुलिया के लिए प्रदर्शन

लगभग 10 साल पहले गांव में तालाब बनाया गया था. समय के साथ पानी के बहाव और आवागमन से मिट्टी का कटाव होते-होते नाले के एक छोर से दूसरे छोर की दूरी लगभग 70 फिट हो चुकी है. जिसके चलते उन्हें खेतों तक पहुंचने का मार्ग अवरुद्ध हो गया, जिसके बाद ग्रामीणों ने नाले पर खजूर का पेड़ रखकर खेतों तक पहुंचने का रास्ता तैयार किया, जोकि बहुत ही जोखिम भरा है. कुछ दिनों पहले एक किसान की खजूर के पेड़ वाले पुल से पैर फिसलने पर नाले में गिरने के बाद डूबने से मौत हो गई थी, जबकि एक किसान की बलि लेने के बावजूद प्रशासन किसी बडे़ हादसे का इंतजार कर रहा है.

ग्रामीणों का कहना है कि धरना सामान्य रहेगा, लेकिन सुनवाई नहीं हुई तो सोमवार से जल सत्याग्रह और भूख हड़ताल करेंगे. वहीं अब तक प्रशासन की तरफ से कोई पहल नहीं की गई है.

Intro:पुलिया निर्माण की मांग को लेकर अब शहीद के गांव के लोग सत्याग्रह कर रहे है। ताकि जिम्मेदारों तक आवाज पहुंच सके।बBody:शहीद रवीन्द्रसिंह राठौर के गांव पाना के ग्रामीणो को आखिर अपनाना ही पड़ा आंदोलन सत्याग्रह का रास्ता


पाना गांव -

बदनावर धार। अधिकारियो की उदासिनता ने ग्रामीणो को पुलिया निर्माण के लिये धरने पर बैठने को मजबुर कर दिया। धरना स्थल पर जानकारी लेने के कोई अधिकारी नही पहुंचा। ग्रामीणजन भी धरने को लेकर कमर कसकर ही बैठे है सुनवाई नही होने की स्थिती में जल सत्याग्रह व भुख हडताल की योजना बनााई है।

गाँव पाना के ग्रामीणो को धरने पर बैठने की वजह गांव से लगे हुए तालाब के नाले पर पुलिया है लगभग 10 वर्ष पुर्व तालाब बनाया गया था। समय के साथ पानी के बहाव व आवागमन से मिटटी का कटाव होते होते नाले के एक छोर से दूसरे छोर की दुरी लगभग 70 फिट हो चुकी है। इस नाले पर ग्रामीणो ने खजुर के पेड रखकर अपने खेतो पर पहुंचने का मार्ग बना रखा है जो जोखिम भरा है बिते दिनो पाना के एक किसान की जुगाड वाली पुल से पांव फिसलने पर डुबने से मोत हो गई। एक ग्रामीण की बली लेने के बाद भी प्रशासन किसी बडे हादसे का इंतजार कर रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि रविवार तक सामान्य रहेगा धरना, सुनवाई नही होने पर सोमवार से जल सत्याग्रह व भुख हडताल करेंगे। Conclusion:सत्याग्रह को लेकर अभी तक प्रशासन की ओर से कोई पहल यहां नही की गई है।
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