धार। मध्यप्रदेश की बदनावर विधानसभा सीट पर चुनावी मुकाबला इस बार बेहद दिलचस्प है. जहां भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के टिकट पर एक दूसरे को चुनौती दे रहे दो धुर प्रतिद्वन्द्वी तीसरी बार आमने-सामने हैं. इस बार उनकी पार्टियां बदली हुई हैं. यही वजह है कि इस सीट पर रोचक जुमला "उम्मीदवार वही, पर पार्टी नयी" सुनाई पड़ रहा है.
दत्तीगांव और शेखावत तीसरी बार आमने-सामने: धार जिले की बदनावर विधानसभा सीट पर मुख्य चुनावी भिड़ंत भाजपा सरकार के औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव और कांग्रेस नेता भंवर सिंह शेखावत के बीच है. दोनों नेता राजपूत समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और वे लगातार तीसरी बार इस सीट पर आमने-सामने हैं. करीब 2.21 लाख मतदाताओं वाली इस सीट का चुनाव परिणाम तय करने में राजपूत समुदाय के साथ ही आदिवासी और पाटीदार समुदायों के मतदाताओं की भी अहम भूमिका रहती है.
बीजेपी प्रत्याशी का कांग्रेस पर आरोप: दत्तीगांव कांग्रेस के उन 22 बागी विधायकों में शामिल थे, जो वर्ष 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया की सरपरस्ती में विधानसभा से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हो गए थे. इससे तत्कालीन कमलनाथ सरकार का पतन हो गया था. इसके बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा सूबे की सत्ता में लौट आई थी. शेखावत ने इस साल दो सितंबर को भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा था. अब वह बदनावर में भाजपा प्रत्याशी दत्तीगांव के खिलाफ कांग्रेस के टिकट पर दम ठोक रहे हैं. दत्तीगांव ने कहा, "इंदौर के रहने वाले शेखावत चुनावी बेला में बदनावर क्षेत्र में नजर आ रहे हैं, लेकिन कोविड-19 के भीषण प्रकोप के दौरान वह बदनावर गायब थे. उन्होंने क्षेत्रीय लोगों का हाल-चाल पूछना तक मुनासिब नहीं समझा था"
बदनावर मेरी पुरानी कार्यस्थली, बोले शेखावत: उन्होंने शेखावत पर निशाना साधते हुए कहा, "कांग्रेस को इस पार्टी से मेरी रवानगी के बाद बदनावर से चुनाव लड़ने के लिए एक अदद स्थानीय उम्मीदवार तक नहीं मिला. इससे कांग्रेस की दशा-दिशा का अपने आप खुलासा हो जाता है." शेखावत ने भाजपा उम्मीदवार के तौर पर वर्ष 2013 के विधानसभा चुनावों में बदनावर सीट पर तत्कालीन कांग्रेस प्रत्याशी दत्तीगांव के खिलाफ 9,812 मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी. हालांकि, 2018 के विधानसभा चुनावों में दत्तीगांव ने शेखावत को 41,506 वोट से करारी मात देकर पुराना हिसाब बराबर कर लिया था. शेखावत बदनावर में "स्थानीय बनाम बाहरी" के चुनावी समीकरण को सिरे से खारिज करते हैं. 72 वर्षीय कांग्रेस उम्मीदवार ने कहा "फिलहाल मेरी पार्टी जरूर नयी हो सकती है, लेकिन बदनावर क्षेत्र मेरी पुरानी कार्यस्थली रहा है."
दत्तीगांव और शेखावत कर रहे जनता से वादे: शेखावत ने अपने पुराने दल भाजपा पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, "भाजपा अपनी मूल आत्मा को समाप्त कर चुकी है और इसके गठन के वक्त तय किए गए बुनियादी सिद्धांत बहुत पीछे छूट गए हैं. सत्ता हासिल करने के लिए कुछ भी करने को उतारू हो जाने के कारण अब यह पार्टी वैसी ही रह गई है, जैसे किसी मंडी में व्यापार होता है." दत्तीगांव बदनावर में शिक्षा, चिकित्सा, सड़क निर्माण आदि क्षेत्रों में हुए कामों और बड़े पैमाने पर रोजगार देने वाली औद्योगिक परियोजनाएं शुरू कराने के नाम पर मतदाताओं से समर्थन मांग रहे हैं. दूसरी ओर, शेखावत वादा कर रहे हैं कि चुनाव जीतने पर वह पाइप लाइन बिछवाकर इस क्षेत्र में नर्मदा नदी का जल लाएंगे और खासकर आदिवासी इलाकों में विकास के वे तमाम काम पूरे करेंगे. जो विधायक के तौर पर उनके पिछले कार्यकाल (2013-2018) में अधूरे रह गए थे.