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होली पर वन विभाग ने तैयार किए खास तरह के रंग, जानें क्या है इनकी खासियत

रंगों के इस त्योहार में केमिकल युक्त रंग आपकी खुशी में खलल न डाल सके. इसके लिए जिले में वन विभाग प्राकृतिक फूलों से खास तरह के गुलाल तैयार कर रहा है.

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Published : Mar 20, 2019, 8:06 PM IST

धार। होली के त्योहार में रंगों का काफी महत्व होता है, रंगों से खेलना हर किसी को अच्छा लगता है. लेकिन केमिकल युक्त यह रंग आपकी त्वचा और बालों को कई बार नुकसान पहुंचा सकते है. रंगों के इस त्योहार में केमिकल युक्त रंग आपकी खुशी में खलल न डाल सके. इसके लिए जिले में वन विभाग प्राकृतिक फूलों से खास तरह के गुलाल तैयार कर रहा है.

वन विभाग ग्रीन इंडिया मिशन के तहत पलाश के फूलों से प्राकृतिक रंग बनाकर बाजार में बेच रहा है. खास बात यह है कि इन रंगों को बनाने के लिए महिलाओं को भी इस मिशन के तहत रोजगार दिया जा रहा है. बता दें कि इस मौसम में पलाश के फूल खिलते है. पलाश के फूलों को पहले एकत्रित कर उन्हें सुखाया जाता है उसके बाद उसे पानी के साथ गर्म कर उसका लेप तैयार किया जाता है. इस लेप से पलाश के फूलों का रंग बनाया जाता है और उस रंग को आरारोट में मिलाकर प्राकृतिक रूप से तैयार किया कर गुलाल बनाया जाता है.

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बता दें कि फॉरेस्ट विभाग ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों से 75 रुपय प्रति किलो के हिसाब से पलाश के फूलों की खरीदी करता है और उससे गुलाल बनाकर बाजार में 300 रुपय प्रति किलों के हिसाब से बेचते हैं. जिससे लोगों को भी रोजगार मिलता है और होली पर भी प्रकृति संरक्षण का संदेश भी जाता है. वहीं ग्राहकों का कहना है कि यह गुलाल प्राकृतिक रूप से पलाश के फूलों से बनाया गया है जिससे इसका त्वचा पर भी कोई बुरा नुकसान नहीं होता है.

धार। होली के त्योहार में रंगों का काफी महत्व होता है, रंगों से खेलना हर किसी को अच्छा लगता है. लेकिन केमिकल युक्त यह रंग आपकी त्वचा और बालों को कई बार नुकसान पहुंचा सकते है. रंगों के इस त्योहार में केमिकल युक्त रंग आपकी खुशी में खलल न डाल सके. इसके लिए जिले में वन विभाग प्राकृतिक फूलों से खास तरह के गुलाल तैयार कर रहा है.

वन विभाग ग्रीन इंडिया मिशन के तहत पलाश के फूलों से प्राकृतिक रंग बनाकर बाजार में बेच रहा है. खास बात यह है कि इन रंगों को बनाने के लिए महिलाओं को भी इस मिशन के तहत रोजगार दिया जा रहा है. बता दें कि इस मौसम में पलाश के फूल खिलते है. पलाश के फूलों को पहले एकत्रित कर उन्हें सुखाया जाता है उसके बाद उसे पानी के साथ गर्म कर उसका लेप तैयार किया जाता है. इस लेप से पलाश के फूलों का रंग बनाया जाता है और उस रंग को आरारोट में मिलाकर प्राकृतिक रूप से तैयार किया कर गुलाल बनाया जाता है.

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बता दें कि फॉरेस्ट विभाग ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों से 75 रुपय प्रति किलो के हिसाब से पलाश के फूलों की खरीदी करता है और उससे गुलाल बनाकर बाजार में 300 रुपय प्रति किलों के हिसाब से बेचते हैं. जिससे लोगों को भी रोजगार मिलता है और होली पर भी प्रकृति संरक्षण का संदेश भी जाता है. वहीं ग्राहकों का कहना है कि यह गुलाल प्राकृतिक रूप से पलाश के फूलों से बनाया गया है जिससे इसका त्वचा पर भी कोई बुरा नुकसान नहीं होता है.

Intro:रंगो के पावन पर्व होली का आगाज हो गया है जिसके चलते बाजार में केमिकल से बने हुए रंग भी बिकने को आ गए हैं वहीं धार में फॉरेस्ट विभाग की एक अनोखी पहल सामने आई है जिसमें वह प्राकृतिक गुलाल रंग बना कर उसे बाजार में कैंप लगाकर बेच रहे हैं दरअसल फॉरेस्ट विभाग ग्रीन इंडिया मिशन के तहत पलाश के फूलों से प्राकृतिक गुलाल रंग बनाकर उसे बाजार में बेच रहा है और पलाश के फूलों को एकत्रित कर गुलाल बनाने के लिए कई महिलाओं को भी इस मिशन के तहत रोजगार दिया जा रहा है, आपको बता दें कि पतझड़ के इस मौसम में जंगल क्षेत्रों में पलाश का फूल अपने पूरे शबाब पर आता है और इसी पलाश के फूल से प्राकृतिक गुलाल रंग बनाया जाता है पलाश के फूलों को पहले एकत्रित कर उन्हें सुखाया जाता है उसके बाद उसे पानी के साथ गर्म कर उसका लेप तैयार किया जाता है और उस लैब से पलाश के फूलों का रंग बनाया जाता है और उस रंग को आरारोट में मिलाकर प्राकृतिक रूप से तैयार किया गया गुलाल बनाया जाता है , प्राकृतिक रूप से तैयार इस गुलाल से होली खेलने पर त्वचा पर भी कोई बुरा असर नहीं होता है जिसके चलते होली पर प्राकृतिक रूप से तैयार किए गए इस गुलाल की खूब मांग भी रहती है फॉरेस्ट विभाग ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों से 75 रुपय प्रति किलो के हिसाब से पलाश के फूलों की खरीदी करता है और उससे गुलाल बनाकर बाजार में 300 रुपय प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं जिससे लोगों को भी रोजगार मिलता है और होली पर भी प्रकृति संरक्षण का संदेश भी जाता है, वहीं प्रकृतिक रूप से तैयार इस गुलाल को खरीदने आए धार के डॉक्टर अशोक शास्त्री ने बताया कि यह गुलाल प्राकृतिक रूप से पलाश के फूलों से बनाया गया है जिससे इसका त्वचा पर भी कोई बुरा नुकसान नहीं होता है और रोज लोगों को भी रोजगार भी मिलता है जिसके चलते इसे मैंने खरीदा है, धार डिप्टी रेंजर वासुदेव वर्मा ने बताया कि यह गुलाल पलाश के फूलों से तैयार किया गया है जिससे प्रकृति संरक्षण के साथ लोगों को रोजगार दिया जा रहा है।

बाइट-01- वासुदेव शर्मा- डिप्टी रेंजर- धार
बाइट-02- डॉ अशोक शास्त्री-ग्राहक


Body:ok


Conclusion:ok
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