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लॉकडाउन में लाखों की सब्जियां खराब, किसानों के सामने आर्थिक संकट - waste Vegetables

लॉकडाउन के चलते देवास के कई गांवों में किसानों की सब्जियां खेतों में ही खराब होने लगी हैं. जिन्हें अब किसान मुफ्त में लोगों को बांट रहे हैं और मवेशियों को खिलाने पर मजबूर हैं.

vegetables started spoiling in the fields due to lockdown
लॉकडाउन में लाखों की सब्जियां खराब
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Published : May 15, 2020, 7:14 PM IST

देवास। खातेगांव के कन्नौद तहसील के गांवों में लॉकडाउन के चलते किसानों की सब्जियां खेतों में ही खराब होने लगी हैं. सब्जियों को खराब होता देख किसानों ने इन्हें निशुल्क बांटना शुरू कर दिया है. वहीं खराब हो रही सब्जियों को मवेशियों को भी खिला जा रहा है.

शासन द्वारा सब्जी उत्पादक किसानों को किसी प्रकार का मुआवजा नहीं दिए जाने से किसान निराश और परेशान हैं. इन किसानों का कहना है कि लॉकडाउन ने उन्हें ऐसा झटका दिया है कि अब उन्हें चिंता सता रही कि भविष्य में भी किसी प्रकार की सब्जी की खेती करना संभव हो पाएगा या नहीं.

किसानों को लाखों का नुकसान

ग्राम महुडिया के किसान प्रेमनारायण मीणा ने डेढ़ एकड़ में 20 हजार मूल्य का बीज लेकर टमाटर लगाए थे. जिसमें 70 से 80 हजार रूपए का उत्पादन खर्च आया. लगभग 400 क्विंटल टमाटर उत्पादित हुए, जिन्हें किसान इंदौर या कन्नोद मंडी में बेचता तो अनुमानित मूल्य दो लाख में निलामी के माध्यम से बिक जाते. लेकिन लॉक डाउन के चलते कोई खरीददार भी नहीं मिल पाया और ना टमाटर मंडी में पहुंच पाए.

नहीं मिला कोई खरीददार

मजबूरी में किसान के टमाटर बड़ी मात्रा मे खेत ही खराब हो गए. जो टमाटर बचे हैं उनको मुफ्त में आस पास के आदिवासीयों को बांट दिए और मवेशियों को खिला दिए. वहीं किसान ने 6 एकड़ में प्याज भी लगाई, जो 200 क्विंटल प्रति एकड़ का उत्पादन हुआ जो प्याज मंडी में बिकनी थी, लेकिन प्याज के लिए भी कोई खरीददार नहीं है.

देवास। खातेगांव के कन्नौद तहसील के गांवों में लॉकडाउन के चलते किसानों की सब्जियां खेतों में ही खराब होने लगी हैं. सब्जियों को खराब होता देख किसानों ने इन्हें निशुल्क बांटना शुरू कर दिया है. वहीं खराब हो रही सब्जियों को मवेशियों को भी खिला जा रहा है.

शासन द्वारा सब्जी उत्पादक किसानों को किसी प्रकार का मुआवजा नहीं दिए जाने से किसान निराश और परेशान हैं. इन किसानों का कहना है कि लॉकडाउन ने उन्हें ऐसा झटका दिया है कि अब उन्हें चिंता सता रही कि भविष्य में भी किसी प्रकार की सब्जी की खेती करना संभव हो पाएगा या नहीं.

किसानों को लाखों का नुकसान

ग्राम महुडिया के किसान प्रेमनारायण मीणा ने डेढ़ एकड़ में 20 हजार मूल्य का बीज लेकर टमाटर लगाए थे. जिसमें 70 से 80 हजार रूपए का उत्पादन खर्च आया. लगभग 400 क्विंटल टमाटर उत्पादित हुए, जिन्हें किसान इंदौर या कन्नोद मंडी में बेचता तो अनुमानित मूल्य दो लाख में निलामी के माध्यम से बिक जाते. लेकिन लॉक डाउन के चलते कोई खरीददार भी नहीं मिल पाया और ना टमाटर मंडी में पहुंच पाए.

नहीं मिला कोई खरीददार

मजबूरी में किसान के टमाटर बड़ी मात्रा मे खेत ही खराब हो गए. जो टमाटर बचे हैं उनको मुफ्त में आस पास के आदिवासीयों को बांट दिए और मवेशियों को खिला दिए. वहीं किसान ने 6 एकड़ में प्याज भी लगाई, जो 200 क्विंटल प्रति एकड़ का उत्पादन हुआ जो प्याज मंडी में बिकनी थी, लेकिन प्याज के लिए भी कोई खरीददार नहीं है.

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