देवास। पढ़ेगा इंडिया, तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया, सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकार ने यह नारा सभी बच्चों को शिक्षा मिल सके इसलिए दिया था. शिक्षा सभी का जन्मसिद्ध अधिकार है, लेकिन सोचिए अगर शिक्षक ही ना हो तो कैसे शिक्षा मिलेगी. जी हां ऐसा ही हाल है देवास के कन्नौद विकासखंड अंतर्गत आने वाले ग्राम नांदोन के मिडिल स्कूल का. यहां बच्चे पिछले चार साल से बिना शिक्षक के पढ़ने को मजबूर हैं.
ग्राम नांदोन की मिडिल स्कूल में कक्षा 6 से 8वीं तक 60 विद्यार्थी दर्ज हैं, जिनमें से आधे से ज्यादा बच्चे 3 किलोमीटर की दूरी तय कर ग्राम डाबरी से नांदोन पहुंचते हैं. फिर भी इन्हें मध्यान्ह भोजन के अलावा कुछ हाथ नहीं लगता.
ग्राम डाबरी की छात्रा राजनंदिनी विश्वकर्मा ने बताया कि हमारे स्कूल में पढ़ाने के लिए में टीचर नहीं है. हम अपनी इच्छा अनुसार पढ़ लेते हैं या फिर कोई अतिथि टीचर आते हैं तो हमें पढ़ा देते हैं, यहां पर 3 साल से शिक्षक नहीं है, हमारी इच्छा आगे पढ़ने की भी है लेकिन पढ़ाने वाला कोई नहीं है.
इस संबंध में जब शिक्षक रामौतार बाकलीवाल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यहां स्कूल में विषयवार अतिथि शिक्षक भी नहीं है. एक अतिथि शिक्षक है जो कि गणित विषय के लिए रखा गया है. जिसके चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. वह खुद प्राइमरी टीचर हैं और हिंदी के साथ सामाजिक विज्ञान पढ़ाते हैं, जितना उन्हे आता है वह पढ़ा देते हैं लेकिन अंग्रेजी का कोई टीचर नहीं है.
शासकीय नवीन हाई स्कूल कन्नौद के संकुल प्राचार्य राजेश तिवारी ने बताया कि प्रशासन के आदेशानुसार नांदोन में प्राइमरी स्कूल से एक टीचर को मिडिल में अटैच किया गया और एक शिक्षक गणित का भी है. वहां एक अंग्रेजी का पद रिक्त है जो कि कोई व्यक्ति मिल नहीं रहा है. .
जर्जर हो रहा भवन, ऊपर से शिक्षक भी नहीं, लेकिन फिर भी इन बच्चों के हौसलों पर इसका असर नहीं दिखता. बच्चे फिर भी स्कूल आते हैं, सिर्फ इसी उम्मीद में कि शायद आज उन्हें कुछ सीखने को मिलेगा. अब इन बच्चों को आशा है कि किसी जिम्मेदार अधिकारी का ध्यान इनकी तरफ भी जाएगा.