देवास। कन्नौद नगर के सरकारी अस्पताल के हाल इन दिनों बेहाल हैं. कोरोना संकट काल में जहां स्वास्थ्यकर्मियों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है. वहीं अगर स्वास्थ्यकर्मी ही लापरवाही बरतें, तो लोगों से क्या उम्मीद की जा सकती है.
दरअसल, जिला अस्पताल में महिलाओं की नसबंदी के लिए शिविर आयोजित किया गया था, जिसमें कोरोना काल में शासन की गाइडलाइन ताक में धरी रह गई. अस्पताल में नसबंदी ऑपरेशन होते हैं, लेकिन व्यवस्था के नाम पर मरीजों की फजीहत होती है. महिलाओं के नसबंदी ऑपरेशन में बड़ी संख्या में महिलाएं अपने परिजनों के साथ पहुंची, जिन्हें दिन भर नसबंदी ऑपरेशन के लिए डॉक्टर का इंतजार करना पड़ा. सिर्फ इतना ही नहीं अस्पताल परिसर में सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाई गई, जहां भारी भीड़ के बीच बिना मास्क लगाए महिलाएं दिखाई दीं. ऐसे में अगर कोई संक्रमित महिला पाई जाती है, तो स्थिति और खराब हो जायेगी.
इस संबंध में बीएमओ डॉक्टर विवेक अहिरवार ने बताया कि, नसबंदी ऑपरेशन के लिए 40 महिलाओं को बुलाया गया था, लेकिन उनके साथ आए परिजनों से परिसर में भीड़-भाड़ हो गई.
महिलाओं के नसबंदी ऑपरेशन में उड़ी सोशल डिस्टेंस की धज्जियां, दिन भर करते रहे डॉक्टर का इंतजार - नसबंदी ऑपरेशन
जिला अस्पताल में महिलाओं के नसबंदी ऑपरेशन के दौरान कोरोना गाइडलाइन की सरेआम धज्जियां उड़ाई गईं, जहां ना तो सोशन डिस्टेंसिंग का पालन किया गया और ना ही मास्क लगाया गया.
देवास। कन्नौद नगर के सरकारी अस्पताल के हाल इन दिनों बेहाल हैं. कोरोना संकट काल में जहां स्वास्थ्यकर्मियों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है. वहीं अगर स्वास्थ्यकर्मी ही लापरवाही बरतें, तो लोगों से क्या उम्मीद की जा सकती है.
दरअसल, जिला अस्पताल में महिलाओं की नसबंदी के लिए शिविर आयोजित किया गया था, जिसमें कोरोना काल में शासन की गाइडलाइन ताक में धरी रह गई. अस्पताल में नसबंदी ऑपरेशन होते हैं, लेकिन व्यवस्था के नाम पर मरीजों की फजीहत होती है. महिलाओं के नसबंदी ऑपरेशन में बड़ी संख्या में महिलाएं अपने परिजनों के साथ पहुंची, जिन्हें दिन भर नसबंदी ऑपरेशन के लिए डॉक्टर का इंतजार करना पड़ा. सिर्फ इतना ही नहीं अस्पताल परिसर में सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाई गई, जहां भारी भीड़ के बीच बिना मास्क लगाए महिलाएं दिखाई दीं. ऐसे में अगर कोई संक्रमित महिला पाई जाती है, तो स्थिति और खराब हो जायेगी.
इस संबंध में बीएमओ डॉक्टर विवेक अहिरवार ने बताया कि, नसबंदी ऑपरेशन के लिए 40 महिलाओं को बुलाया गया था, लेकिन उनके साथ आए परिजनों से परिसर में भीड़-भाड़ हो गई.