देवास। इस बार सामान्य से अधिक बारिश ने जहां लोगों का जनजीवन प्रभावित किया है. वहीं इस दौरान पेयजल संकट की बात की जाए तो ये बात किसी के गले से नहीं उतरेगी, लेकिन आदिवासी बाहुल्य गांवों में यही हाल हैं. ये कोई मौसम की मार नहीं, बल्कि पीएचई विभाग की बड़ी लापरवाही है. जिसके कारण ग्रामीण पीने के पानी के लिए दर- दर भटक रहे हैं.
खातेगांव विधानसभा क्षेत्र की आदिवासी बहुल ग्राम पंचायत ओंकारा के मजरा गांव जूना टांडा में बारिश के दिनों में भी ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए भटकना पड़ रहा है. स्कूली बच्चों के लिए भी जलसंकट बना हुआ है. ग्रामीण शोभाराम बारेला ने बताया कि जूना टांडा आदिवासी बहुल क्षेत्र है. गांव में चार हैण्डपम्प लगे हुए हैं. जिनमें सभी में पानी पर्याप्त है, फिर भी प्राथमिक स्कूल और हनुमान मंदिर के पास दो हैण्डपम्प खरबा पड़े हैं. जिसकी वजह से ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए खेतों में भटकना पड़ रहा है.
गांव के छोटे-छोटे बच्चे पानी पीने स्कूल से घर जा रहे हैं. ऐसे में उनकी पढ़ाई तो प्रभावित हो रही है, साथ ही कुएं या अन्य जगह जाने का जोखिम भी बढ़ गया है. स्कूल के प्रधानाध्यापक सीताराम परमार से चर्चा की तो, उन्होंने बताया कि जुना टांडा में पानी की समस्या को लेकर पीएचई विभाग को पत्र लिखा है, लेकिन अब तक समस्या ज्यो की त्यों है. इस संबंध में पीएचई एसडीओ आरके सोनी से फोन पर चर्चा की तो उन्होंने बताया कि आपके माध्यम से जानकारी मिली है, हैण्डपम्प में जल्द पाइप डलवाकर चालू करवा दिया जाएगा.