देवास। महाशिवरात्रि पर देवास शहर में भगवान भूतभावन की बारात पूरे भक्तिभाव से निकाली गई. इसमें शामिल बाराती माता पार्वती को ब्याहने निकले भगवान शंकर के गणों के वेश में थे. सयाजी द्वार से शुरू हुई शिव बारात शहर के मुख्य मार्गों से गुजरी. इसमें झाबुआ का वनवासी नृत्य, उत्तर प्रदेश के कलाकारों द्वारा माता कालिका की झांकी, राधा-कृष्ण और अघोरी नृत्य, केरल की थीम पर देवताओं की झांकियां, नागपुर का ढोल-ताशा पथक, कर्नाटक के विराट शिव, इंदौर के कलाकारों द्वारा निर्मित चलित झांकी और अयोध्या में नेपाल से लाई गई शालिग्राम शिला की झांकी शामिल थे.
9 दिन चला विवाह कार्यक्रम : देवास में शिव बारात का यह 10वां साल था. आयोजक संस्था नमो-नमो के संयोजक राजेश यादव ने बताया कि जनता की भागीदारी से इस बार भी शिव बारात अनुपम रही. नौ दिन तक बाबा भोलेनाथ का विवाह कार्यक्रम चला. हल्दी-मेंहदी कार्यक्रम किया गया. महाशिवरात्रि के दिन सयाजी द्वार से निकली शिव बारात नॉवेल्टी चौराहा, सुभाष चौक, जनता बैंक चौराहा, जवाहर चौक, तीन बत्ती चौराहा होते हुए नागेश्वर मंदिर शुक्रवारिया हाट पर समाप्त हुई.
अष्टमुखी प्रतिमा का विशेष श्रृंगार : मंदसौर में महाशिवरात्रि पर विश्व प्रसिद्ध भगवान पशुपतिनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही. प्रातः कालीन आरती के बाद ही भगवान के दर्शन के लिए गर्भ गृह के कपाट खोल दिए गए थे. शाम होते-होते यहां दो लाख से भी ज्यादा लोगों ने अष्टमुखी प्रतिमा के दर्शन किए. इस अवसर पर भोलेनाथ का विशेष श्रृंगार किया गया. शाम के वक्त मंदिर के किनारे बह रही शिवना नदी के घाटों पर भी एक लाख से ज्यादा दीप जलाकर दीपोत्सव मनाया गया. कोरोना संक्रमण के बाद पहली बार आयोजित इस भव्य कार्यक्रम को मंदसौरवासियों ने दीपावली की तरह पूरे उत्साह के साथ मनाया.