खातेगांव। कन्नौद-खातेगांव में सोयाबीन की फसल खराब होने के बाद अब चने की फसल पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं, अज्ञात बीमारी के चलते चने की फसलें सूख रही हैं, ऐसे में किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ़ दिखाई दे रही हैं, किसानों को समझ नहीं आ रहा है कि सिंचाई करने के बाद भी चने के पौधे लगातार क्यों सूख रहे हैं. यह समस्या किसी एक गांव की नहीं है, बल्कि कन्नौद तहसील के कुसमानिया क्षेत्र के सिया, जागठा, थुरिया, किटिया, कुसमानिया, भिलाई, कोलारी, नांदोन, डाबरी, मोहाई, विक्रमपुर, आमला, मोला, ओंकारा, ककड़दी, सातल गांवों में है, जिससे किसान परेशान हैं.
- अचानक सूख रही चने की फसल
नान्दोन गांव के किसान सुरेश लोवंशी ने बताया कि सोयाबीन की फसल खराब होने के बाद चने की फसल से जो उम्मीद थी, वह भी खत्म हो रही है, चने की बुवाई करने के बाद अच्छे उत्पादन के लिए खाद, दवाइयों का भरपूर मात्रा में छिड़काव किया गया, लेकिन फसल पकने की अवस्था में सूखने लगी है, जिससे उनकी मेहनत बर्बाद हो रही है.
- किसानों को सता रही फसलों की चिंता
विक्रमपुर के किसान जगदीश जायसवाल ने बताया कि कुछ दिनों से क्षेत्र में चने की फसल फल-फूल आने की अवस्था में पीली होकर सुख रही है, सोयाबीन के बाद अब चने की फसल आर्थिक रूप से किसानों की कमर तोड़ते हुए नजर आ रही है, कई किसानों की फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई है.
- कम पानी में होती है चने की फसल
कुसमानिया क्षेत्र सिंचाई के लिए पानी की पर्याप्त व्यवस्था न होने से किसान चने की फसल अधिक बोते हैं, चने में एक बार सिंचाई करने पर भी उत्पादन हो जाता है, इसलिए किसानों का रुझान चने के प्रति और भी बढ़ जाता है, लेकिन अब चने की फसल से किसानों का मोह भंग हो रहा है.
- चने में कॉलर-रॉट बीमारी का प्रकोप
कन्नौद कृषि एसडीओ आरके वर्मा ने बताया कि वर्तमान में चना फसल पर फूल आने की एवं फलियां आने की अवस्था चल रही है, कुसमानिया,सिया, भिलाई, मोहाई, नान्दोन एवं आस-पास के गांव में चना फसल में कालर रॉट बीमारी चने की फसल में लगने की प्रारंभिक अवस्था पाई गई है.
- कृषि विज्ञान केंद्र ने फसलों का किया अवलोकन
कुसमानिया और भिलाई के क्षेत्र की चने की फसल में निरीक्षण करते समय इस बीमारी से प्रभावित चना फसल का अवलोकन किया, फसल का वीडियो और फोटो कृषि विज्ञान केंद्र बालगढ़ देवास भेज कर डॉ अशोक कुमार दीक्षित वरिष्ठ वैज्ञानिक से उपचार के संबंध में जानकारी ली, उनके द्वारा अवगत कराया कि यह कॉलर रॉट बीमारी है, जिसमें पूरा पौधा नीचे से ऊपर तक सूखता है और यह बीमारी होने के चने की फसल सुखने लगती है.
- कॉलर रॉट बीमारी से बचाव
चने की फसल में ट्रापी-कोनोजोल 650 ग्राम तथा कार्बेंडाजिम 1000 ग्राम,(1 किलो) को 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर प्रभावित क्षेत्र में पौधों की जड़ों के पास ट्रेंचिंग करने की सलाह दी गई है, कम प्रभावित क्षेत्र में पौधों पर भी स्प्रे किया जा सकता है, वहीं प्रभावित पौधों को उखाड़ कर जलाने की सलाह दी गई है, क्योंकि अगर इसे हम कूड़े के ढेर में डालेंगे, तो यह बीमारी फिर से पौधों में लग सकती है.