देवास। जिले की एक बुजुर्ग दंपति ने देहदान (body donation) का फैसला लिया है. 90 साल की उम्र पार कर चुके बुजुर्ग पति-पत्नी ने मेडिकल छात्रों (Medical Students) की पढ़ाई और मानव जीवन के आगे के नए शोध (Research) के लिए यह फैसला लिया है. दंपति ने मेडिकल कॉलेज (Medical College) के नाम पर अपना सहमति पत्र (Agreement Letter) भी भर दिया है. देवास के मोतिबंगला में रहने वाले 97 वर्षीय रघुनाथ सोलापुरकर और उनकी 93 वर्षीय पत्नी रंजना सोलापुरकर ने यह अनूठी मिसाल पेश की. उम्र के इस पड़ाव में उन्हें भले ही देखने, बोलने और चलने-फिरने में कमजोरी हो लेकिन समाज में योगदान देने की उनकी मजबूत इच्छाशक्ति आज हर किसी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है.
97 साल के बुजुर्ग रघुनाथ सोलापुरकर पीएचई विभाग में इंजीनियर रहे हैं. चार साल पहले भोपाल में उनके परिचित अस्पताल में भर्ती थे. इस दौरान उन्होंने अपने परिचित को देहदान करते देखा था. इसके बाद से ही उन्होंने भी देहदान करने का निर्णय लिया. बाद में उन्होंने अमलतास हॉस्पिटल से संपर्क किया. इसके बाद अस्पताल की टीम ने उनके घर जाकर चर्चा की और संकल्प पत्र भरवाया.
इच्छा के अनुरूप परिवार वालों ने किया बुजुर्ग महिला का देहदान, हो रही वाहवाही
बुजुर्ग दंपति के बेटे सुहास सोलापुरकर ने बताया कि उनके परिवार के करीबी ने चार साल पहले अपनी देहदान का संकल्प लिया था. उसके बाद उनके माता-पिता ने भी उनसे देहदान को लेकर अपनी इच्छा जाहिर की थी. सुहास ने बताया कि उनके माता-पिता चाहते थे कि वह मेडिकल के छात्रों की पढ़ाई के लिए अपनी देहदान करें. बुजुर्ग दंपति ने मेडिकल कॉलेज के नाम से अपना सहमति पत्र भी भरकर कॉलेज प्रबंधन को सौंप दिया है. सुहास सोलापुरकर ने बताया कि वह भी अपने माता-पिता की तरह ही अपनी देहदान की इच्छा रखते हैं. जिसके लिए वह भी शीघ्र ही निर्णय लेंगे.