देवास। नवरात्रि की नवमी के पावन दिन आज सोमवार को देवास विधानसभा 171 से भाजपा प्रत्याशी गायत्री राजे पवार ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर नामंकन दाखिल किया. भाजपा प्रत्याशी गायत्री राजे पवार ने अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ ढोल नगाड़े से कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर अपना नामंकन दाखिल किया. देवास विधानसभा की बात करें तो यहां तीन दशक से अधिक समय से भाजपा का कब्जा है. दिवंगत तुकोजीराव पवार ने जीत का जो तिलस्म रचा था, उसे तोड़ने में कांग्रेस विफल रही. भाजपा के चुनावी मैनेजमेंट और मजबूत संगठन के आगे कांग्रेस कमजोर साबित हुई और यही कारण है कि भाजपा जीतती गई. वर्तमान में तुकोजीराव पवार की पत्नी गायत्री राजे पवार देवास विधायक हैं.
दो भागों में बंटा है देवास: विधानसभा में ब्राह्मण, राजपूत, मुस्लिम वोट अधिक है. खाती समाज का भी दखल है. देवास विधानसभा दो हिस्सों में बंटी है. एक भाग शहरी क्षेत्र का है तो दूसरा ग्रामीण, जिसे उत्तर भाग कहा जाता है. इस भाग में देवास जिले का ग्रामीण क्षेत्र आता है. इसे कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था, लेकिन पिछले कुछ समय से हालात बदले हैं और ग्रामीण मतदाता भी भाजपा के पक्ष में आए हैं. क्षेत्र में कांग्रेस का सशक्त चेहरा नहीं होने के कारण ऐसे हालात बने हैं. शहरी क्षेत्र की बात करें तो यह हार-जीत का मुख्य केंद्र हैं, क्योंकि विधानसभा के लगभग 290 मतदान केंद्रों में से 55 ही ग्रामीण क्षेत्र में हैं, शेष शहरी क्षेत्र में हैं.
1990 से लगातार जीती भाजपा: 1957 से 1972 तक देवास में कांग्रेस के विधायक रहे. 1977 में जनता पार्टी से शंकर कानूनगो विधायक बने. 1980 व 1985 में कांग्रेस के चंद्रप्रभाष शेखर विधायक बने. इसके बाद भाजपा से तुकोजीराव पवार जीते और तब से लेकर आज तक यह सिलसिला जारी है. 2015 में पवार के निधन के बाद उपचुनाव हुए. पवार की पत्नी गायत्रीराजे पवार बनीं, 2018 में भी वे जीतीं. भाजपा की जीत के प्रमुख कारणों में से एक राजपरिवार के प्रति आदरभाव भी है. देवास रियासत के महाराज होने के चलते जनता की सहानुभूति रहती है. एक ही बार ऐसा हुआ है जब कांग्रेस के रतनलाल चौधरी ने तुकोजीराव पवार को टक्कर दी थी. खाती वोटों के कारण उस समय भाजपा की लीड 10 हजार के अंदर आई थी. बाद में लीड 25 हजार से ऊपर ही रही.