देवास। कन्नौद न्यायालय परिसर में आज संविधान दिवस मनाया गया, जहां इस मौके पर कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का खास तौर पर ध्यान रखा गया. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आनंद कुमार सहलाम, प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट मीता पंवार, प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट हर्षिता सोनी, अभिभाषक संघ के अध्यक्ष संजीव कुंडल शामिल रहे.
दुनिया का सबसे बड़ा संविधान
एडवोकेट शैलेंद्र पांचाल ने बताया कि, इस अवसर पर एडीजे आनंद कुमार सहलाम ने भारत के संविधान की उद्देशिका का उदबोधन किया. उन्होंने कहा कि, आज हम संविधाम दिवस मना रहे हैं. 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था, लेकिन इससे पहले 26 नवंबर 1949 यानी आज ही के दिन इसे अपनाया गया था.
उन्होंने कहा कि, डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारत के संविधान का निर्माता कहा जाता है. यह संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है. सभी संविधानों को परखने के बाद ही इसका निर्माण किया गया है. 19 नवंबर 2015 को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया. संविधान दिवस मनाकर सबसे पहले कानून मंत्री बीआर अंबेडकर को श्रद्धांजलि देते हैं, जिन्होंने संविधान को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
9 दिसंबर को हुआ पहला सेशन
उन्होंने कहा कि, संविधान सभा के सदस्यों का पहला सेशन 9 दिसंबर 1947 को आयोजित हुआ था. इसमें संविधान सभा के 207 सदस्य थे. विश्व में भारत का संविधान सबसे बड़ा लिखित संविधान है. संविधान लागू होने के समय इसमें 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचियां और 22 भाग थे, जो वर्तमान में बढ़कर 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 25 भाग हो गए हैं. यह हस्तलिखित संविधान है. जिसमें 48 आर्टिकल हैं. इसे तैयार करने में 2 साल 11 महीने और 17 दिन का वक्त लगा था.
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एडवोकेट शैलेंद्र पांचाल ने बताया कि, संविधान में लिखित सिद्धांत, मौलिक सिद्धांत, अधिकार सरकार और नागरिकों के कर्तव्य का जिक्र है. संविधान दिवस मनाने का मकसद नागरिकों को संविधान के प्रति सचेत करना, समाज में संविधान के महत्व का प्रसार करना है.
इसी प्रकार संविधान दिवस के अवसर पर कन्नौद नगर में हर्षोल्लास के साथ डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया, जिसमें एडवोकेट ओम प्रकाश बाकलीवाल ने भारतीय संविधान के बारे में जानकारी दी.