देवास। आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं और पूरा विश्व विज्ञान से लेकर अन्य क्षेत्रों में कहां से कहां तक नहीं पहुंच रहा है. हमारे देश में भी आजादी के बाद से काफी विकास हुआ है. लेकिन आज भी हम कई क्षेत्रों में दुनिया के पिछड़े देशों के साथ खड़े नजर आते हैं. मौजूदा केंद्र सरकार 5 मिलियन डॉलर इकॉनमी का सपना देख रही है लेकिन जब देश का भविष्य यानि बच्चों को ही सही से शिक्षा ना मिल पाये तो भविष्य कैसा होगा.
पेड़ के नीचे लगी है पाठशाला
मध्य प्रदेश के देवास जिले में एक स्कूल ऐसा है जहां बच्चों को स्कूल भवन के अंदर नहीं बल्कि एक पेड़ के नीचे बैठाकर शिक्षा दी जा रही है. जिले की हाटपीपल्या तहसील के साकलघाट गांव का शासकीय विद्यालय, क्षेत्र का एकमात्र स्कूल है. स्कूल में आदिवासी समाज के 74 बच्चे पढ़ते हैं, जो स्कूल भवन जर्जर होने के कारण स्कूल के सामने पेड़ के नीचे बैठकर पढाई करने को मजबूर हैं.
सालों से जर्जर है स्कूल भवन
स्कूल की बिल्डिंग पिछले 2 सालों से जर्जर अवस्था में है. बिल्डिंग की छत में जगह जगह बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी है वहीं एक कमरे की छत पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है. स्कूल के अंदर जान का खतरा होने के कारण शिक्षकों ने स्कूल को पेड़ के नीचे संचालित करना शुरू कर दिया. हाल यह है कि बारिश के दिनों में गीली जगह में ही बैठकर बच्चों को पढ़ाई करना पड़ती है.
जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान
स्कूल की हालत देखकर ग्रामीण भी अब अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतराने लगे हैं. इस सबके बावजूद जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और शिक्षा विभाग इस ओर ध्यान देना उचित नहीं समझ रहे. जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी सिर्फ आश्वासन देकर ही खानापूर्ति कर रहे हैं.