ETV Bharat / state

स्कूल भवन जर्जर, पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर छात्र, जिम्मेदार बेखबर - school running under tree in dewas

देवास जिले के बागली क्षेत्र के ग्राम साकलघाट में शासकीय प्राथमिक स्कूल का भवन पूरी तरह जर्जर हो चुकी है. जिसकी वजह से बच्चों को पेड़ ने नीचे बैठ कर पढ़ना पढ़ रहा है.

a-school-running-under-the-tree-village-sakalghat-dewas
पेड़ के नीचे चल रहा स्कूल, कैसे पढ़े बच्चे ?
author img

By

Published : Jan 19, 2020, 12:53 PM IST

देवास। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए प्रदेश सरकार के मासूम स्कूली बच्चों के लिए पर्याप्त सुविधाओं के दावे अब खोखले साबित हो रहे हैं. जिले के बागली क्षेत्र के ग्राम साकलघाट में शासकीय प्राथमिक स्कूल का भवन पूरी तरह जर्जर हालत में है.

इस शासकीय प्राथमिक स्कूल के भवन की छत से सरिए बाहर दिखने लगे हैं, जिससे स्कूल में पढ़ने वाले मासूम बच्चों के साथ कोई भी बड़ा हादसा होने का खतरा बनता देख स्कूल के शिक्षक ठंड में इन बच्चों को पेड़ के नीचे स्कूल लगाकर पढ़ाने पर मजबूर है. लेकिन जिम्मेदार इस ओर ध्यान देना उचित नहीं समझ रहे हैं.

पेड़ के नीचे चल रहा स्कूल, कैसे पढ़े बच्चे ?

शासकीय प्राथमिक स्कूल का भवन पिछले दो सालों से जर्जर हालत में है और भवन के एक हिस्से की छत भी गिर चुकी हैं, लेकिन जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे. भवन में जान का खतरा होने के कारण पेड़ के नीचे स्कूल संचालित किया जा रहा है. बारिश के दिनों में गीली जगह में ही बैठकर बच्चों को पढ़ाई करना पड़ता है. इस स्कूल में 74 बच्चे पढ़ते हैं.

इस मामले में जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी सिर्फ आश्वासन देकर खानापूर्ति कर रहे हैं. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे शिक्षा विभाग से मिलने वाली कई सुविधाओं से कोसों दूर हैं. आदिवासी क्षेत्र में स्थिति ये एकमात्र स्कूल हैं , लेकिन हमेशा यहां हादसे का भय बना रहता है. जिसके कारण शिक्षक मजबूरन स्कूल भवन के बाहर पेड़ के नीचे बच्चों को पढ़ाते हैं.

देवास। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए प्रदेश सरकार के मासूम स्कूली बच्चों के लिए पर्याप्त सुविधाओं के दावे अब खोखले साबित हो रहे हैं. जिले के बागली क्षेत्र के ग्राम साकलघाट में शासकीय प्राथमिक स्कूल का भवन पूरी तरह जर्जर हालत में है.

इस शासकीय प्राथमिक स्कूल के भवन की छत से सरिए बाहर दिखने लगे हैं, जिससे स्कूल में पढ़ने वाले मासूम बच्चों के साथ कोई भी बड़ा हादसा होने का खतरा बनता देख स्कूल के शिक्षक ठंड में इन बच्चों को पेड़ के नीचे स्कूल लगाकर पढ़ाने पर मजबूर है. लेकिन जिम्मेदार इस ओर ध्यान देना उचित नहीं समझ रहे हैं.

पेड़ के नीचे चल रहा स्कूल, कैसे पढ़े बच्चे ?

शासकीय प्राथमिक स्कूल का भवन पिछले दो सालों से जर्जर हालत में है और भवन के एक हिस्से की छत भी गिर चुकी हैं, लेकिन जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे. भवन में जान का खतरा होने के कारण पेड़ के नीचे स्कूल संचालित किया जा रहा है. बारिश के दिनों में गीली जगह में ही बैठकर बच्चों को पढ़ाई करना पड़ता है. इस स्कूल में 74 बच्चे पढ़ते हैं.

इस मामले में जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी सिर्फ आश्वासन देकर खानापूर्ति कर रहे हैं. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे शिक्षा विभाग से मिलने वाली कई सुविधाओं से कोसों दूर हैं. आदिवासी क्षेत्र में स्थिति ये एकमात्र स्कूल हैं , लेकिन हमेशा यहां हादसे का भय बना रहता है. जिसके कारण शिक्षक मजबूरन स्कूल भवन के बाहर पेड़ के नीचे बच्चों को पढ़ाते हैं.

Intro:स्कूल बिल्डिंग की छत टूटी......

अब कैसे स्कूल चले हम....

पेड़ के निचे लग रहा स्कूल....

जिम्मेदार बेखबर.....
Body:
Note-ready to publish special pkg news

देवास-जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए प्रदेश सरकार के मासूम स्कूली बच्चों के लिए पर्याप्त सुविधाएं के दावे अब खोखले साबित हो रहे है। जिले के बागली क्षेत्र के ग्राम साकलघाट में शासकीय प्राथमिक स्कूल का भवन पुरी तरह जर्जर हालत में नजर आ रहा है।इस शासकीय प्राथमिक स्कूल के भवन की छत से अब तो सरिए दिखने लगे है,जिससे स्कूल में पढ़ने वाले मासूम बच्चों के साथ कोई भी बड़ा हादसा होने का खतरा बनता देख स्कूल के शिक्षको द्वारा ठंड में इन बच्चो को पेड़ के नीचे स्कूल लगाकर पढ़ाने पर मजबूर है।उक्त स्कूल में 74 बच्चे आदिवासी दर्ज है। जो प्रतिदिन स्कूल भवन जर्जर होने के कारण स्कूल के सामने स्थित पेड़ के निचे बैठकर पढाई करने को मजबूर हैं।लेकिन जिम्मेदार जनप्रतिनिधि व शिक्षा विभाग इस और ध्यान देना उचित नहीं समझ रहे हैं।शासकीय प्राथमिक स्कूल का भवन विगत 2 वर्षों से जर्जर अवस्था में है। एवं भवन के एक हिस्से की छत भी गीर चुकी हैं। लेकिन जिम्मेदार इस ओर ध्यान देना उचित नहीं समझ रहे हैं।उक्त भवन में जान का खतरा होने के कारण स्कूल पेड़ के नीचे संचालित किया जा रहा है।बारिश के दिनों में गीली जगह में ही बैठकर बच्चों को पढ़ाई करना पड़ती है। जिम्मेदार जनप्रतिनिधि वह अधिकारी सिर्फ आश्वासन देकर ही खानापूर्ति कर रहे हैं।स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे शिक्षा विभाग से मिलने वाली कई सुविधाओं से कोसों दूर है।लेकिन आदिवासी क्षेत्र एवं मुख्य शहरों से कोसों दूर जंगल क्षेत्र में स्थित स्कूल होने के कारण अधिकारी व नेता भी स्कूल तक पहुचना उचित नही समझते हैं। ओर इसी के चलते मूलभूत सुविधाएं बच्चों तक नहीं पहुंच पा रही है।पूरे भवन की छत में जगह जगह बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी है,आदिवासी क्षेत्र मे स्थिति यह स्कूल एकमात्र मासूमों को शिक्षा ग्रहण करने का माध्यम है। लेकिन हमेशा यहां हादसे का भई बना रहता है।जिसके कारण शिक्षक मजबूरन स्कूल भवन के बाहर पैड के निचे बिठा कर बच्चों को पढ़ाते हैं। लेकिन बारिश के दिनों में जमीन गीली होने के बावजूद बच्चों को बिठाना पड़ता है।


बाईट 01प्रेमसिंह (शिक्षक प्राथमिक स्कूल साकलघाट)

बाईट 02 अंनत नागर (संकुल प्रभारी कमलापुर)

बाईट 03 अर्जुन मालविय (बि आर सी)

बाईट 04 संजय (छात्र)Conclusion:जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए प्रदेश सरकार के मासूम स्कूली बच्चों के लिए पर्याप्त सुविधाएं के दावे अब खोखले साबित हो रहे है। जिले के बागली क्षेत्र के ग्राम साकलघाट में शासकीय प्राथमिक स्कूल का भवन पुरी तरह जर्जर हालत में नजर आ रहा है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.