दमोह। पथरिया जनपद अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत नंदरई से 3 किलोमीटर दूर आदिवासी गांव चोपरा में विकास कोसों दूर है. यहां न पक्की सड़क है और न ही पेयजल की सुविधा है. चोपरा गांव जाने का रास्ता दुर्गम है, इस गांव में आदिवासी जाति के लोग निवास करते हैं.
नहीं मिला प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ
500 से ऊपर आबादी वाले इस गांव में ना अस्पताल है, ना स्कूल है और न ही गांव तक पहुंचने के लिए कोई सड़क. ग्रामीणों ने बताया कि, चोपरा गांव के ऊपर और नीचे टोला में कुल 100 घर हैं. जिसमें लगभग पांच सौ वोटर हैं. लेकिन केवल 4 घरों के लिए प्रधानमंत्री आवास मिल पाए हैं, वहीं स्वच्छता के लिहाज से भी गांव में 20 घरों तक ही शौंचालय बने हुए हैं.
पानी की है गंभीर समस्या
गर्मी के दिनों में ग्रामीण पानी के लिए गांव के एक कुएं पर निर्भर रहते हैं. इस समस्या से निजात के लिए सरपंच और सचिव से डीप बोरिग की मांग की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, जिस कारण वो गंदा पानी-पीने को विवश हैं.
गांव के प्राथमिक स्कूलों में नहीं पहुंचते शिक्षक
मुख्य सड़क से गांव जाने का कच्ची और उबड़ खाबड़ है, चोपरा वार्ड में प्रवेश करते ही बंद पड़े आंगनबाड़ी केंद्र और प्राथमिक स्कूल देखने को मिलते हैं. जो कभी भी समय से नहीं खुलते. प्राथमिक शाला चोपरा में कुल 29 बच्चे अध्ययनरत हैं. बच्चों ने बताया कि, स्कूल खुलने का समय 12 बजे के बाद का ही है, जब शिक्षक आते हैं, तभी स्कूल खुलता है. ग्रामीणों का आरोप है कि अक्सर शिक्षक शराब पीकर स्कूल आते हैं. जबसे स्कूल खुला आज तक हेडमास्टर समय पर नहीं आये.
क्या कहते हैं जिम्मेदार
गांव की स्थिति पर सचिव अशगर खान का कहना है कि, चोपरा वार्ड में अब तक 3 आवास ओर 25 शौंचालय बन चुके हैं, अगर आगे काम आएगा तो कराया जाएगा. वहीं बीआरसी धर्मेंद्र चौबे ने बताया कि, वह गांव में जाकर स्थिति का जायजा लेंगे और लापरवाही करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी. सीईओ विनोद जैन ने बताया कि ये सब मौखिक चर्चा है, आप ऑफिस आकर कागज देख सकते हैं, लेकिन वह कार्रवाई पर कुछ नहीं बोले.