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मां की श्रद्धांजलि सभा में बेटे ने बांटे पौधे, कहा-हर घर में जीवंत रहेंगीं 'मां' - start of new tradition

दमोह जिले में मां के निधन के बाद विदेश में रहने वाले बेटे ने मां की श्रद्धांजलि सभा के दौरान पौधों का वितरण किया. वहीं मनीष कुमार ने कहा कि उनकी यादों को ताजा रखने और उनके अंश को हर घर में स्थापित करने के लिए पौधों का रोपण करना अच्छी मुहिम बन सकता है.

मां की याद में बांटे पौधे
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Published : Nov 1, 2019, 11:09 PM IST

दमोह। अपनी मां की यादों को हमेशा ताजा बनाए रखने के लिए विदेश में रहने वाले एक व्यक्ति ने अपने मां की श्रद्धांजलि सभा के दौरान पौधों का वितरण किया. विदेश में रहने वाले इस व्यक्ति के मन में आया कि उसकी मां की यादों को रिश्तेदार, संबंधी और पहचान वाले हमेशा जीवंत रख सकें. इसलिए उन्होंने श्रद्धांजलि सभा में आने वाले सभी लोगों को उपहार के रूप में पौधों का वितरण कर नई परंपरा की शुरुआत की है.

मां की याद में बांटे पौधे


इंग्लैंड डरबन में रहने वाले मनीष कुमार की मां का देहांत हो जाने के बाद जब वे भारत पहुंचे तो उनको लगा कि जिस मां ने उन्हें पढ़ा-लिखाकर इस मुकाम तक पहुंचाया है. उनकी यादों को ताजा रखने और उनके अंश को हर घर में स्थापित करने के लिए पौधों को रोपण करना अच्छी मुहिम बन सकता है. ऐसे में उन्होंने मां की श्रद्धांजलि सभा के दौरान पौधों का वितरण करके जहां नई परंपरा की शुरुआत की है. वहीं अपनी मां की यादों को भारत में रहने वाले रिश्तेदार के घर पहुंचाने के साथ स्वयं भी पौधे लगाने का संकल्प लिया है.


मनीष कुमार की इस पहल का संदेश भारत में रहने वाले लोग भी ले सकते है, क्योंकि भारत में जिस तरह से प्रदूषण फैल रहा है और लोगों को आगामी दिनों में परेशानी उठानी पड़ेगी. ऐसे में अपनों की याद में भले सही लेकिन पौधे लगाए जाने की परंपरा की शुरुआत सराहनीय कदम जरुर कहा जा सकता है.

दमोह। अपनी मां की यादों को हमेशा ताजा बनाए रखने के लिए विदेश में रहने वाले एक व्यक्ति ने अपने मां की श्रद्धांजलि सभा के दौरान पौधों का वितरण किया. विदेश में रहने वाले इस व्यक्ति के मन में आया कि उसकी मां की यादों को रिश्तेदार, संबंधी और पहचान वाले हमेशा जीवंत रख सकें. इसलिए उन्होंने श्रद्धांजलि सभा में आने वाले सभी लोगों को उपहार के रूप में पौधों का वितरण कर नई परंपरा की शुरुआत की है.

मां की याद में बांटे पौधे


इंग्लैंड डरबन में रहने वाले मनीष कुमार की मां का देहांत हो जाने के बाद जब वे भारत पहुंचे तो उनको लगा कि जिस मां ने उन्हें पढ़ा-लिखाकर इस मुकाम तक पहुंचाया है. उनकी यादों को ताजा रखने और उनके अंश को हर घर में स्थापित करने के लिए पौधों को रोपण करना अच्छी मुहिम बन सकता है. ऐसे में उन्होंने मां की श्रद्धांजलि सभा के दौरान पौधों का वितरण करके जहां नई परंपरा की शुरुआत की है. वहीं अपनी मां की यादों को भारत में रहने वाले रिश्तेदार के घर पहुंचाने के साथ स्वयं भी पौधे लगाने का संकल्प लिया है.


मनीष कुमार की इस पहल का संदेश भारत में रहने वाले लोग भी ले सकते है, क्योंकि भारत में जिस तरह से प्रदूषण फैल रहा है और लोगों को आगामी दिनों में परेशानी उठानी पड़ेगी. ऐसे में अपनों की याद में भले सही लेकिन पौधे लगाए जाने की परंपरा की शुरुआत सराहनीय कदम जरुर कहा जा सकता है.

Intro:मां की अच्छी शिक्षा हर घर तक पहुंचे तो विदेश में रहने वाले बेटे ने बांट दिए पौधे

मां के निधन के बाद श्रद्धांजलि सभा में सभी को बांटे उपयोगी पौधे

Anchor. अपनी मां की यादों को हमेशा ताजा बनाए रखने के लिए विदेश में रहने वाले एक व्यक्ति ने अपने मां की श्रद्धांजलि सभा के दौरान पौधों का वितरण किया. विदेश में रहने वाले इस व्यक्ति के मन में आया थी उसकी मां की यादों को उसके रिश्तेदार संबंधी एवं पहचान वाले हमेशा जीवंत रख सकें. इसलिए उन्होंने श्रद्धांजलि सभा में आने वाले सभी लोगों को उपहार के रूप में पौधों का वितरण कर नई परंपरा की शुरुआत की है.


Body:Vo. इंग्लैंड डरबन में रहने वाले मनीष कुमार की मां का देहांत हो जाने के बाद जब वे भारत पहुंचे तो उनको लगा कि जिस मां ने उन्हें पढ़ाकर इस मुकाम तक पहुंचाया है. उनकी यादों को ताजा रखने एवं उनके अंश को हर घर में स्थापित करने के लिए पौधों का रोपण करना अच्छी मुहिम बन सकता है. ऐसे में उन्होंने मां की श्रद्धांजलि सभा के दौरान पौधों का वितरण करके जहां नई परंपरा की शुरुआत की है. वही अपनी मां की यादों को भारत में रहने वाले हर रिश्तेदार के घर तक पहुंचाने के साथ स्वयं भी पौधे लगाने का संकल्प लिया है.

बाइट - मनीष कुमार अप्रवासी भारतीय


Conclusion:Vo. अप्रवासी भारतीय मनीष कुमार की इस पहल का संदेश भारत में रहने वाले लोग भी ले सकते हैं. क्योंकि भारत में जिस कदर से प्रदूषण फैल रहा है, और लोगों को आगामी दिनों में परेशानी उठानी पड़ेगी. ऐसे में अपनों की याद में भले सही लेकिन पौधे लगाए जाने की परंपरा की शुरुआत सराहनीय कदम जरूर कहा जा सकता है.

आशीष कुमार जैन
ईटीवी भारत दमोह
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