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कुपोषण का दाग हटाने दमोह लड़ रहा जंग, बच्चों के इलाज में हुआ इजाफा

कुपोषण को लेकर दमोह जिला लगातार ही सुधार की ओर बढ़ रहा है. यहां पर पोषण पुनर्वास केंद्रों में बच्चों की भर्ती होने का सिलसिला जारी है, वहीं बच्चों की संख्या बढ़ाकर उचित इलाज देने की प्रक्रिया भी स्वास्थ्य अमले द्वारा की जा रही है.

कुपोषण से लड़ाई जारी
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Published : Oct 19, 2019, 3:28 AM IST

दमोह। दमोह नीति आयोग के आकांक्षी जिलों में शामिल है. जिसमें विशेष रूप से शिक्षा के साथ स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जाता है. यही कारण है कि कुपोषण को लेकर दमोह जिला लगातार ही सुधार की ओर बढ़ रहा है. यहां पर पोषण पुनर्वास केंद्रों में बच्चों की भर्ती होने का सिलसिला लगातार जारी है. वहीं बच्चों की संख्या बढ़ाकर उचित इलाज देने की प्रक्रिया भी स्वास्थ्य अमले द्वारा की जा रही है. पिछड़े जिलों के कारण दमोह में भी स्वास्थ्य सेवाओं पर अभी और काम होना बाकी है, जिससे कुपोषण के खिलाफ जंग को जीता जा सके.

कुपोषण से लड़ाई जारी


दमोह जिला अस्पताल में 20 बिस्तर का पोषण पुनर्वास केंद्र लगातार कुपोषित बच्चों को 14 दिन का इलाज देकर स्वस्थ करने में लगा है. केंद्र के प्रभारी और अधिकारी बताते हैं कि आकांक्षी जिलों की सूची में शामिल दमोह जिला लगातार ही कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ रहा है. नीति आयोग के निर्देश के बाद जमीनी अमले के माध्यम से पोषण पुनर्वास केंद्र में 20 बिस्तर का अस्पताल भर रहा है. त्यौहार पर कुछ कमी जरूर है, लेकिन लगातार ही बच्चों के पोषण पर ध्यान देकर उन्हें स्वस्थ किया जा रहा है.


जिले के ग्रामीण अंचलों एवं सुदूर इलाकों में खास तौर पर कुपोषित बच्चों की संख्या सामने आती है. माता-पिता भी बच्चों पर ध्यान नहीं देते, ऐसे में इन बच्चों की संख्या भी बढ़ती जाती है. स्वास्थ्य गिर जाने के बाद ही उन्हें अस्पताल लाया जाता है, जिसके बाद उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कर स्वस्थ्य किया जाता है.


शासन द्वारा भी दस्तक अभियान चलाकर कुपोषित बच्चों को अस्पताल तक लाया गया था. लेकिन उस दौरान भी आंकड़ों की बाजीगरी से बच्चों की संख्या में इजाफा दिखाकर फिर संख्या को कम किया गया, लेकिन जमीनी हकीकत में लगातार ही ये पोषण पुनर्वास केंद्र कुपोषित बच्चों को लेकर काम कर रहे हैं. लगातार बच्चों का आना ये दर्शाता है कि जिले में कुपोषित बच्चे अभी भी बड़ी संख्या में जीवन का संघर्ष कर रहे हैं.

दमोह। दमोह नीति आयोग के आकांक्षी जिलों में शामिल है. जिसमें विशेष रूप से शिक्षा के साथ स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जाता है. यही कारण है कि कुपोषण को लेकर दमोह जिला लगातार ही सुधार की ओर बढ़ रहा है. यहां पर पोषण पुनर्वास केंद्रों में बच्चों की भर्ती होने का सिलसिला लगातार जारी है. वहीं बच्चों की संख्या बढ़ाकर उचित इलाज देने की प्रक्रिया भी स्वास्थ्य अमले द्वारा की जा रही है. पिछड़े जिलों के कारण दमोह में भी स्वास्थ्य सेवाओं पर अभी और काम होना बाकी है, जिससे कुपोषण के खिलाफ जंग को जीता जा सके.

कुपोषण से लड़ाई जारी


दमोह जिला अस्पताल में 20 बिस्तर का पोषण पुनर्वास केंद्र लगातार कुपोषित बच्चों को 14 दिन का इलाज देकर स्वस्थ करने में लगा है. केंद्र के प्रभारी और अधिकारी बताते हैं कि आकांक्षी जिलों की सूची में शामिल दमोह जिला लगातार ही कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ रहा है. नीति आयोग के निर्देश के बाद जमीनी अमले के माध्यम से पोषण पुनर्वास केंद्र में 20 बिस्तर का अस्पताल भर रहा है. त्यौहार पर कुछ कमी जरूर है, लेकिन लगातार ही बच्चों के पोषण पर ध्यान देकर उन्हें स्वस्थ किया जा रहा है.


जिले के ग्रामीण अंचलों एवं सुदूर इलाकों में खास तौर पर कुपोषित बच्चों की संख्या सामने आती है. माता-पिता भी बच्चों पर ध्यान नहीं देते, ऐसे में इन बच्चों की संख्या भी बढ़ती जाती है. स्वास्थ्य गिर जाने के बाद ही उन्हें अस्पताल लाया जाता है, जिसके बाद उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कर स्वस्थ्य किया जाता है.


शासन द्वारा भी दस्तक अभियान चलाकर कुपोषित बच्चों को अस्पताल तक लाया गया था. लेकिन उस दौरान भी आंकड़ों की बाजीगरी से बच्चों की संख्या में इजाफा दिखाकर फिर संख्या को कम किया गया, लेकिन जमीनी हकीकत में लगातार ही ये पोषण पुनर्वास केंद्र कुपोषित बच्चों को लेकर काम कर रहे हैं. लगातार बच्चों का आना ये दर्शाता है कि जिले में कुपोषित बच्चे अभी भी बड़ी संख्या में जीवन का संघर्ष कर रहे हैं.

Intro:कुपोषण के खिलाफ दमोह जिला लड़ रहा है जंग, नीति आयोग के निर्देश के बाद बच्चों की संख्या में इजाफा

जिला मुख्यालय पर 20 बिस्तर तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 10 बिस्तर का है पोषण पुनर्वास केंद्र

दमोह. जिला नीति आयोग के आकांक्षी जिलों में शामिल है. जिसमें विशेष रूप से शिक्षा के साथ स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जाता है. यही कारण है कि कुपोषण को लेकर दमोह जिला लगातार ही सुधार की ओर बढ़ रहा है. यहां पर पोषण पुनर्वास केंद्रों में बच्चों की भर्ती होने का सिलसिला लगातार जारी है. वही बच्चों की संख्या बढ़ाकर उचित इलाज देने की प्रक्रिया भी स्वास्थ्य अमले द्वारा की जा रही है. पिछड़े जिलों के कारण दमोह में भी स्वास्थ्य सेवाओं पर अभी और काम होना बाकी है. जिससे कुपोषण के खिलाफ जंग को जीता जा सके.


Body:दमोह के जिला मुख्यालय में स्थित जिला अस्पताल में 20 बिस्तर का पोषण पुनर्वास केंद्र लगातार ही कुपोषित बच्चों को 14 दिन का इलाज देकर स्वस्थ करने की प्रक्रिया कर रहा है. यहां पर केंद्र प्रभारी एवं अन्य अधिकारी बताते हैं कि आकांक्षी जिलों की सूची में शामिल दमोह जिला लगातार ही कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ रहा है. नीति आयोग के निर्देश के बाद जमीनी अमले के माध्यम से पोषण पुनर्वास केंद्र में 20 बिस्तर का अस्पताल भरा होता है. त्यौहार पर कुछ कमी कमी जरूर है. लेकिन लगातार ही बच्चों के पोषण पर ध्यान देकर उनको कुपोषण से बाहर निकालने कार्य किया जा रहा है. हालांकि आंकड़ों की बाजीगरी होती है लेकिन जमीनी हकीकत में पुनर्वास केंद्र में बच्चों को मंशा के अनुरूप बेहतर इलाज दिया जा रहा है.

बाइट - पोषण पुनर्वास केंद्र प्रभारी

बाइट - डॉ दिवाकर पटेल आरएमओ जिला अस्पताल दमोह


Conclusion:दमोह जिले के ग्रामीण अंचलों एवं सुदूर इलाकों में विशेष रूप से कुपोषित बच्चों की संख्या सामने आती है. माता-पिता भी बच्चों पर ध्यान नहीं देते ऐसे में इन बच्चों की संख्या भी बढ़ती जाती है. स्वास्थ्य गिर जाने के बाद ही उन्हें अस्पताल लाया जाता है. जिसके बाद उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराकर स्वास्थ्य लाभ कराया जाता है. शासन द्वारा भी दस्तक अभियान चलाकर कुपोषित बच्चों को अस्पताल तक लाया गया था. लेकिन उस दौरान भी आंकड़ों की बाजीगरी से बच्चों की संख्या में इजाफा दर्शाकर फिर संख्या को कम किया गया. लेकिन जमीनी हकीकत में लगातार ही यह पोषण पुनर्वास केंद्र कुपोषित बच्चों को लेकर काम कर रहे हैं. लगातार बच्चों का आना यह दर्शाता है कि जिले में कुपोषित बच्चे अभी भी बड़ी संख्या में जीवन का संघर्ष कर रहे हैं.

आशीष कुमार जैन
ईटीवी भारत दमोह
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