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ये कैसी मांग?, 'झोलाछाप डॉक्टर्स को मिले कोरोना योद्धा का दर्जा'

दमोह के जबेरा से पूर्व विधायक प्रताप सिंह लोधी ने सरकार से अजीबोगरीब मांग की है. उन्होंने झोलाछाप डॉक्टरों का समर्थन करते हुए उन्हें कोरोना योद्धा का दर्जा देने की मांग की.

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झोलाछाप डॉक्टरों को मिले कोरोना योद्धा का दर्जा, पूर्व विधायक की मांग
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Published : May 14, 2021, 2:31 PM IST

दमोह। जिले के जबेरा विधानसभा से कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रताप सिंह लोधी ने झोलाछाप डॉक्टर्स के समर्थन में अजीबोगरीब बयान दिया है. पूर्व विधायक ने कलेक्टर को एक ज्ञापन देकर झोलाछाप डॉक्टर्स को बाकायदा कोरोना योद्धा का दर्जा देने की मांग की है.

झोलाछाप डॉक्टरों को मिले कोरोना योद्धा का दर्जा, पूर्व विधायक की मांग

कोरोना महामारी के इस दौर में प्रदेश सरकार ने झोलाछाप डॉक्टर के प्रैक्टिस करने पर पूर्णत: रोक लगा दी है साथ ही प्रशासन को आदेश दिए हैं कि यदि झोलाछाप डॉक्टर प्रैक्टिस करती पाए जाएं तो उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए, सरकार के इस आदेश के ठीक उलट कांग्रेस के पूर्व विधायक ने न केवल सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए बल्कि कलेक्टर को एक ज्ञापन देकर झोलाछाप डॉक्टर का समर्थन भी कर दिया. जबेरा के पूर्व कांग्रेस विधायक प्रताप सिंह लोधी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में जो झोलाछाप डॉक्टर प्रैक्टिस कर रहे हैं उन्हें प्रमाण पत्र देकर कोरोना योद्धा का दर्जा दिया जाए.

  • झोलाछाप डॉक्टर्स को प्रमाण पत्र दें

पूर्व विधायक का कहना है कि दूरस्थ ग्रामीण अंचलों के लोग 70 किलोमीटर दूर अस्पतालों में इलाज कराने नहीं पहुंच पा रहे हैं संसाधनों का अभाव है और अस्पतालों में पर्याप्त व्यवस्थाएं भी नहीं है ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों की आबादी पूरी तरह पूरी तरह से झोलाछाप डॉक्टर्स पर निर्भर है सरकार को बाकायदा इन झोलाछाप डॉक्टर को प्रशिक्षण देकर प्रमाण पत्र देना चाहिए ताकि वह ग्रामीण अंचलों में निवासरत लोगों का उपचार कर सकें, इससे ग्रामीण क्षेत्रों की आबादी की सरकारी अस्पतालों पर निर्भरता कम होगी और लोड भी कम हो जाएगा, क्योंकि इन डॉक्टर्स के कारण ही लोग स्वास्थ्य लाभ ले पा रहे हैं. पूर्व विधायक यहीं नहीं रुके यह पूछे जाने पर कि यदि मरीजों की मौत होती है तो इसके लिए कौन जवाबदार होगा इसके जवाब में उन्होंने कहा कि कोई जवाबदारी नहीं होगा क्योंकि बड़े अस्पतालों और बड़े डॉक्टर के पास भी एक प्रतिशत लोगों की मौत तो होती ही है.

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  • ग्रामीण क्षेत्रों के हाल बुरे

इसके अलावा पूर्व विधायक ने ज्ञापन में कहा है कि ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सेवाओं के बहुत बुरे हाल हैं कागजों पर ही सर्वे और जांचे हो रही हैं सप्ताह में कम से कम 2 दिन फीवर क्लीनिक खोली जाए, साथ ही वहां पर डॉक्टर और स्टॉफ की नियुक्ति की जाए, क्योंकि डॉक्टर और नर्स की कमी के कारण लोग परेशान हैं उन्हें उपचार उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.

दमोह। जिले के जबेरा विधानसभा से कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रताप सिंह लोधी ने झोलाछाप डॉक्टर्स के समर्थन में अजीबोगरीब बयान दिया है. पूर्व विधायक ने कलेक्टर को एक ज्ञापन देकर झोलाछाप डॉक्टर्स को बाकायदा कोरोना योद्धा का दर्जा देने की मांग की है.

झोलाछाप डॉक्टरों को मिले कोरोना योद्धा का दर्जा, पूर्व विधायक की मांग

कोरोना महामारी के इस दौर में प्रदेश सरकार ने झोलाछाप डॉक्टर के प्रैक्टिस करने पर पूर्णत: रोक लगा दी है साथ ही प्रशासन को आदेश दिए हैं कि यदि झोलाछाप डॉक्टर प्रैक्टिस करती पाए जाएं तो उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए, सरकार के इस आदेश के ठीक उलट कांग्रेस के पूर्व विधायक ने न केवल सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए बल्कि कलेक्टर को एक ज्ञापन देकर झोलाछाप डॉक्टर का समर्थन भी कर दिया. जबेरा के पूर्व कांग्रेस विधायक प्रताप सिंह लोधी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में जो झोलाछाप डॉक्टर प्रैक्टिस कर रहे हैं उन्हें प्रमाण पत्र देकर कोरोना योद्धा का दर्जा दिया जाए.

  • झोलाछाप डॉक्टर्स को प्रमाण पत्र दें

पूर्व विधायक का कहना है कि दूरस्थ ग्रामीण अंचलों के लोग 70 किलोमीटर दूर अस्पतालों में इलाज कराने नहीं पहुंच पा रहे हैं संसाधनों का अभाव है और अस्पतालों में पर्याप्त व्यवस्थाएं भी नहीं है ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों की आबादी पूरी तरह पूरी तरह से झोलाछाप डॉक्टर्स पर निर्भर है सरकार को बाकायदा इन झोलाछाप डॉक्टर को प्रशिक्षण देकर प्रमाण पत्र देना चाहिए ताकि वह ग्रामीण अंचलों में निवासरत लोगों का उपचार कर सकें, इससे ग्रामीण क्षेत्रों की आबादी की सरकारी अस्पतालों पर निर्भरता कम होगी और लोड भी कम हो जाएगा, क्योंकि इन डॉक्टर्स के कारण ही लोग स्वास्थ्य लाभ ले पा रहे हैं. पूर्व विधायक यहीं नहीं रुके यह पूछे जाने पर कि यदि मरीजों की मौत होती है तो इसके लिए कौन जवाबदार होगा इसके जवाब में उन्होंने कहा कि कोई जवाबदारी नहीं होगा क्योंकि बड़े अस्पतालों और बड़े डॉक्टर के पास भी एक प्रतिशत लोगों की मौत तो होती ही है.

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  • ग्रामीण क्षेत्रों के हाल बुरे

इसके अलावा पूर्व विधायक ने ज्ञापन में कहा है कि ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सेवाओं के बहुत बुरे हाल हैं कागजों पर ही सर्वे और जांचे हो रही हैं सप्ताह में कम से कम 2 दिन फीवर क्लीनिक खोली जाए, साथ ही वहां पर डॉक्टर और स्टॉफ की नियुक्ति की जाए, क्योंकि डॉक्टर और नर्स की कमी के कारण लोग परेशान हैं उन्हें उपचार उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.

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