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मेट्रोमैन ने हाई-स्पीड रेल परियोजना का रखा प्रस्ताव, केरल के लिए बताया गेम-चेंजर - HIGH SPEED RAIL PROJECT

मेट्रोमैन ई. श्रीधरन के मुताबिक अगर केरल में हाई-स्पीड रेल परियोजना को मंजूरी मिल जाती है तो यह छह साल में पूरी हो जाएगी.

Metroman E Sreedharan on High-Speed Rail Project in Kerala Safer Faster Eco-Friendly Travel
मेट्रोमैन ई. श्रीधरन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 15, 2025, 4:23 PM IST

कोझिकोड: मेट्रोमैन ई. श्रीधरन के-रेल (K-Rail) के बजाय केरल को बदलने वाली हाई-स्पीड रेल परियोजना के लिए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को रिपोर्ट सौंपने के बाद अगले कदमों का इंतजार कर रहे हैं. उनका कहना है कि रेल परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण में कोई परेशानी नहीं है. कोई पर्यावरणीय समस्या नहीं है. इस परियोजना के लिए 20-25 किलोमीटर की दूरी पर सभी प्रमुख शहरों में स्टॉप होंगे. तिरुवनंतपुरम से कासरगोड तक की यात्रा में मात्र साढ़े तीन घंटे लगेंगे. के-रेल के लिए आवश्यक भूमि का केवल एक तिहाई ही अधिग्रहण करने की जरूरत होगी. निर्माण पूरा होने के बाद अधिग्रहित भूमि को उनके मालिकों को वापस पट्टे पर देने का अवसर भी मिलेगा.

श्रीधरन को उम्मीद है कि रेलवे की निगरानी में चल रही इस परियोजना से मलयाली लोगों की सभी चिंताएं दूर हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि अगर मंजूरी मिल जाती है तो परियोजना छह साल में पूरी हो जाएगी. पहली लाइन तिरुवनंतपुरम से कन्नूर तक होगी. बाद में इसे कासरगोड तक बढ़ाया जाएगा.

ई. श्रीधरन ने ईटीवी भारत के साथ केरल के लिए नई हाई-स्पीड रेल परियोजना का विचार साझा करते हुए कहा, "हाई-स्पीड रेल परियोजना के लिए शुरुआती लागत 80,000 करोड़ रुपये आंकी गई थी. पूरा होने पर यह 1 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी. 25 किलोमीटर के अंदर सभी प्रमुख स्थानों पर स्टॉप होंगे. के-रेल के तहत 60 किलोमीटर पर स्टॉप है. अगर केरल सरकार ईमानदार है तो परियोजना को लागू किया जाएगा."

हाई-स्पीड रेल की जरूरत क्यों है?

श्रीधरन कहते हैं, "हमारे राज्य में हर साल 4,500 लोग सड़क हादसों में जान गंवाते हैं. इससे दोगुना लोग घायल होते हैं. कितनी बड़ी त्रासदी है. इससे बचना चाहिए. अगर लोग ट्रेन से सफर करें तो कुछ हद तक यह समस्या सुलझ जाएगी. लोगों को सड़क से रेल पर लाने की जरूरत है. उन्हें जल्दी जाना और वापस आना है, इसके लिए सुविधाएं चाहिए. मैंने हाई-स्पीड रेल के लिए रिपोर्ट इसी बात को ध्यान में रखकर तैयार की है."

उन्होंने कहा, "मैंने तीन महीने पहले रिपोर्ट तैयार करके रेलवे को सौंप दी थी. रेलवे ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया क्योंकि राज्य सरकार इस बात पर अड़ी थी कि के-रेल ही काफी है. जब मैंने दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या देखी तो मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सका. इसलिए मैंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बताया कि केरल की तरक्की के लिए हाई-स्पीड रेल जरूरी है और लोगों को सड़क से हटाकर रेल की ओर लाने की जरूरत है."

ई. श्रीधरन ने बताया कि केरल में हर दिन 12 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मरते हैं. दुर्भाग्य से हम इस पर चर्चा नहीं करते. मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री ने भी मेरी चिंताओं को समझा है. राज्य सरकार के प्रतिनिधि परियोजना के बारे में बातचीत कर रहे हैं. उम्मीद है कि केंद्र और राज्य सरकार के प्रतिनिधि जल्द से जल्द इस परियोजना पर चर्चा करेंगे.

मेट्रोमैन की हाई-स्पीड रेल परियोजना से लोगों को अपने गंतव्य तक जल्दी और सुरक्षित तरीके से पहुंचने में मदद करने के अलावा कई लाभ हैं. यह परियोजना ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को काफी हद तक कम करने और कम लागत पर शहरों को जोड़ने में मदद करेगी.

मेट्रोमैन ऐसे प्रस्ताव पेश कर रहे हैं जो पांच साल से भी ज्यादा समय से चल रहे के-रेल विरोधी प्रदर्शनों का हल निकालेंगे. ई. श्रीधरन ने दावा किया कि इस परियोजना से भूमि अधिग्रहण, विस्थापन और पुनर्वास की बड़ी समस्याएं दूर होंगी और निर्माण लागत में भी काफी कमी आएगी.

उन्होंने कहा, "केरल को हाई-स्पीड रेल की जरूरत है. इसके लिए 2009 से अध्ययन चल रहा है. यह अध्ययन डीएमआरसी (दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड) ने किया था. जापानी विशेषज्ञों की मदद से रिपोर्ट तैयार की गई थी. (तत्कालीन सीएम) ओमन चांडी ने विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने को कहा था. इसे 2016 में पूरा करके सौंप दिया गया. लेकिन पिनाराई सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया. उन्होंने के-रेल को लागू करने की कोशिश शुरू कर दी. इसे अनुमति नहीं मिली. तकनीकी रूप से, यह (के-रेल) परियोजना एक घोटाला है. इसका परिणाम एक पर्यावरणीय आपदा होगी. इसीलिए के-रेल परियोजना को अनुमति नहीं मिली.'

हाई-स्पीड रेल के फायदे

मेट्रोमैन श्रीधरन कहते हैं, "जब यह परियोजना लागू होगी, तो केरल का बंटवारा नहीं होगा. यह खंभों पर बने ओवरपास और सुरंगों से होकर गुजरेगी. के-रेल की तुलना में, केवल एक तिहाई भूमि का ही अधिग्रहण किया जाएगा. परियोजना पूरी होने के बाद, भूमि मालिक इसे खेती और अन्य उद्देश्यों के लिए पट्टे पर दे सकते हैं."

ई. श्रीधरन आगे कहते हैं, "हाई-स्पीड रेल लाइन रेलवे के तहत लागू की जाएगी. यह परियोजना किसी सरकार या पार्टी के लिए नहीं है. सीपीएम या बीजेपी के लिए नहीं. यह केरल के लिए है. उम्मीद है कि अगर केरल सरकार के-रेल पर अपना रुख बदलने के लिए तैयार है, तो रेलवे इस नई परियोजना को लागू करेगा. उम्मीद है कि मुख्यमंत्री इसके लिए तैयार होंगे. उन्होंने कहा, 'अगर मंजूरी मिल जाती है, तो हम जानते हैं कि परियोजना को समय पर कैसे पूरा किया जाए. लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है.'

यह भी पढ़ें- वंदे भारत ट्रेन से कर रहे हैं सफर, टिकट के साथ खाना नहीं किया बुक तो चिंता न करें, अब रेल में नहीं रहेंगे भूखा

कोझिकोड: मेट्रोमैन ई. श्रीधरन के-रेल (K-Rail) के बजाय केरल को बदलने वाली हाई-स्पीड रेल परियोजना के लिए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को रिपोर्ट सौंपने के बाद अगले कदमों का इंतजार कर रहे हैं. उनका कहना है कि रेल परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण में कोई परेशानी नहीं है. कोई पर्यावरणीय समस्या नहीं है. इस परियोजना के लिए 20-25 किलोमीटर की दूरी पर सभी प्रमुख शहरों में स्टॉप होंगे. तिरुवनंतपुरम से कासरगोड तक की यात्रा में मात्र साढ़े तीन घंटे लगेंगे. के-रेल के लिए आवश्यक भूमि का केवल एक तिहाई ही अधिग्रहण करने की जरूरत होगी. निर्माण पूरा होने के बाद अधिग्रहित भूमि को उनके मालिकों को वापस पट्टे पर देने का अवसर भी मिलेगा.

श्रीधरन को उम्मीद है कि रेलवे की निगरानी में चल रही इस परियोजना से मलयाली लोगों की सभी चिंताएं दूर हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि अगर मंजूरी मिल जाती है तो परियोजना छह साल में पूरी हो जाएगी. पहली लाइन तिरुवनंतपुरम से कन्नूर तक होगी. बाद में इसे कासरगोड तक बढ़ाया जाएगा.

ई. श्रीधरन ने ईटीवी भारत के साथ केरल के लिए नई हाई-स्पीड रेल परियोजना का विचार साझा करते हुए कहा, "हाई-स्पीड रेल परियोजना के लिए शुरुआती लागत 80,000 करोड़ रुपये आंकी गई थी. पूरा होने पर यह 1 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी. 25 किलोमीटर के अंदर सभी प्रमुख स्थानों पर स्टॉप होंगे. के-रेल के तहत 60 किलोमीटर पर स्टॉप है. अगर केरल सरकार ईमानदार है तो परियोजना को लागू किया जाएगा."

हाई-स्पीड रेल की जरूरत क्यों है?

श्रीधरन कहते हैं, "हमारे राज्य में हर साल 4,500 लोग सड़क हादसों में जान गंवाते हैं. इससे दोगुना लोग घायल होते हैं. कितनी बड़ी त्रासदी है. इससे बचना चाहिए. अगर लोग ट्रेन से सफर करें तो कुछ हद तक यह समस्या सुलझ जाएगी. लोगों को सड़क से रेल पर लाने की जरूरत है. उन्हें जल्दी जाना और वापस आना है, इसके लिए सुविधाएं चाहिए. मैंने हाई-स्पीड रेल के लिए रिपोर्ट इसी बात को ध्यान में रखकर तैयार की है."

उन्होंने कहा, "मैंने तीन महीने पहले रिपोर्ट तैयार करके रेलवे को सौंप दी थी. रेलवे ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया क्योंकि राज्य सरकार इस बात पर अड़ी थी कि के-रेल ही काफी है. जब मैंने दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या देखी तो मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सका. इसलिए मैंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बताया कि केरल की तरक्की के लिए हाई-स्पीड रेल जरूरी है और लोगों को सड़क से हटाकर रेल की ओर लाने की जरूरत है."

ई. श्रीधरन ने बताया कि केरल में हर दिन 12 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मरते हैं. दुर्भाग्य से हम इस पर चर्चा नहीं करते. मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री ने भी मेरी चिंताओं को समझा है. राज्य सरकार के प्रतिनिधि परियोजना के बारे में बातचीत कर रहे हैं. उम्मीद है कि केंद्र और राज्य सरकार के प्रतिनिधि जल्द से जल्द इस परियोजना पर चर्चा करेंगे.

मेट्रोमैन की हाई-स्पीड रेल परियोजना से लोगों को अपने गंतव्य तक जल्दी और सुरक्षित तरीके से पहुंचने में मदद करने के अलावा कई लाभ हैं. यह परियोजना ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को काफी हद तक कम करने और कम लागत पर शहरों को जोड़ने में मदद करेगी.

मेट्रोमैन ऐसे प्रस्ताव पेश कर रहे हैं जो पांच साल से भी ज्यादा समय से चल रहे के-रेल विरोधी प्रदर्शनों का हल निकालेंगे. ई. श्रीधरन ने दावा किया कि इस परियोजना से भूमि अधिग्रहण, विस्थापन और पुनर्वास की बड़ी समस्याएं दूर होंगी और निर्माण लागत में भी काफी कमी आएगी.

उन्होंने कहा, "केरल को हाई-स्पीड रेल की जरूरत है. इसके लिए 2009 से अध्ययन चल रहा है. यह अध्ययन डीएमआरसी (दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड) ने किया था. जापानी विशेषज्ञों की मदद से रिपोर्ट तैयार की गई थी. (तत्कालीन सीएम) ओमन चांडी ने विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने को कहा था. इसे 2016 में पूरा करके सौंप दिया गया. लेकिन पिनाराई सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया. उन्होंने के-रेल को लागू करने की कोशिश शुरू कर दी. इसे अनुमति नहीं मिली. तकनीकी रूप से, यह (के-रेल) परियोजना एक घोटाला है. इसका परिणाम एक पर्यावरणीय आपदा होगी. इसीलिए के-रेल परियोजना को अनुमति नहीं मिली.'

हाई-स्पीड रेल के फायदे

मेट्रोमैन श्रीधरन कहते हैं, "जब यह परियोजना लागू होगी, तो केरल का बंटवारा नहीं होगा. यह खंभों पर बने ओवरपास और सुरंगों से होकर गुजरेगी. के-रेल की तुलना में, केवल एक तिहाई भूमि का ही अधिग्रहण किया जाएगा. परियोजना पूरी होने के बाद, भूमि मालिक इसे खेती और अन्य उद्देश्यों के लिए पट्टे पर दे सकते हैं."

ई. श्रीधरन आगे कहते हैं, "हाई-स्पीड रेल लाइन रेलवे के तहत लागू की जाएगी. यह परियोजना किसी सरकार या पार्टी के लिए नहीं है. सीपीएम या बीजेपी के लिए नहीं. यह केरल के लिए है. उम्मीद है कि अगर केरल सरकार के-रेल पर अपना रुख बदलने के लिए तैयार है, तो रेलवे इस नई परियोजना को लागू करेगा. उम्मीद है कि मुख्यमंत्री इसके लिए तैयार होंगे. उन्होंने कहा, 'अगर मंजूरी मिल जाती है, तो हम जानते हैं कि परियोजना को समय पर कैसे पूरा किया जाए. लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है.'

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