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संकट से जूझ रहे निजी स्कूल संचालक, सरकार से लगा रहे मदद की गुहार

कोरोना काल में चार महीने से बंद पड़े स्कूलों की वजह से संचालकों के आगे आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

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Published : Jul 23, 2020, 2:09 PM IST

School director struggling with financial crisis
स्कूल संचालक परेशान

दमोह। जिले के उप शहरी क्षेत्रों एवं ग्रामीण अंचलों में संचालित किए जा रहे प्राइवेट स्कूल के संचालक इन दिनों बेहद परेशान हैं. कोरोना काल में चार महीने से बंद पड़े स्कूलों की वजह से संचालकों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. सरकार ने स्कूल संचलाकों को छात्रों के अभिभावकों पर दबाव नहीं बनाने का आदेश जारी किया है, लेकिन फीस जमा नहीं होने की वजह से स्कूल संचालक दुविधा के दौर से गुजर रहे हैं. स्कूल संचालकों को अब बिल्डिंग के किराए से लेकर शिक्षकों की सेलरी देने दी चिंता सता रही है.

स्कूल संचालक परेशान

स्कूल संचालकों के आगे आर्थिक संकट

प्राइवेट स्कूल संचलाकों को कहना है कि शिक्षकों का वेतन, बिल्डिंग का किराया, बिजली का बिल और स्कूल को मेंटेन करने के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं क्योंकि छात्रों से फीस आ नहीं रही है तो ऐसे में आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. कोरोना काल में चार महीने से स्कूल बंद पड़े हैं, नए छात्र स्कूल में एडमिशन नहीं ले रहे और पुराने छात्रों से फीस के लिए दबाव नहीं बना सकते हैं तो ऐसे में कैसे आर्थिक बोझ कम किया जाए. स्कूल संचालकों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है, ताकि स्कूल को चला सकें और शिक्षकों को वेतन दिया जा सके.

School director struggling with financial crisis
स्कूलों में पसरा सन्नाटा

शिक्षकों को वेतन की चिंता

वहीं शिक्षक भी ये मानते हैं कि अभी तक तो स्कूल संचालक उन्हें आर्थिक सहायता देते रहे हैं, लेकिन अब जुलाई का माह भी अपने अंतिम दौर में है. न तो नए एडमिशन हो रहे हैं और न ही बच्चों की फीस आ रही है. ऐसे में आगामी दिनों में संचालक उन्हें वेतन देने में भी असमर्थता जताने लगे हैं.

School director struggling with financial crisis
खाली पड़ी क्लास

प्राइवेट स्कूलों के लिए कोई नीति नहीं

उधर, जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि शासन की तरफ से प्राइवेट स्कूलों के लिए अभी कोई नीति नहीं बनी है. जिससे इनकी मदद की जा सके, अगर कोई नीति आती है तो उनकी मदद होगी, फिलहाल कोई निर्देश नहीं है.

सरकार से मदद की दरकार

स्कूलों के संचालन में आ रही दिक्कतें केवल प्राइवेट स्कूल संचालकों को है क्योंकि शासकीय स्कूलों को संचालित करने के लिए शासन मदद कर रहा है, ऐसे हालात में निचले स्तर के स्कूल संचालकों के सामने रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है. इनके पास सरकार से मदद के अलावा कोई चारा नहीं है.

दमोह। जिले के उप शहरी क्षेत्रों एवं ग्रामीण अंचलों में संचालित किए जा रहे प्राइवेट स्कूल के संचालक इन दिनों बेहद परेशान हैं. कोरोना काल में चार महीने से बंद पड़े स्कूलों की वजह से संचालकों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. सरकार ने स्कूल संचलाकों को छात्रों के अभिभावकों पर दबाव नहीं बनाने का आदेश जारी किया है, लेकिन फीस जमा नहीं होने की वजह से स्कूल संचालक दुविधा के दौर से गुजर रहे हैं. स्कूल संचालकों को अब बिल्डिंग के किराए से लेकर शिक्षकों की सेलरी देने दी चिंता सता रही है.

स्कूल संचालक परेशान

स्कूल संचालकों के आगे आर्थिक संकट

प्राइवेट स्कूल संचलाकों को कहना है कि शिक्षकों का वेतन, बिल्डिंग का किराया, बिजली का बिल और स्कूल को मेंटेन करने के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं क्योंकि छात्रों से फीस आ नहीं रही है तो ऐसे में आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. कोरोना काल में चार महीने से स्कूल बंद पड़े हैं, नए छात्र स्कूल में एडमिशन नहीं ले रहे और पुराने छात्रों से फीस के लिए दबाव नहीं बना सकते हैं तो ऐसे में कैसे आर्थिक बोझ कम किया जाए. स्कूल संचालकों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है, ताकि स्कूल को चला सकें और शिक्षकों को वेतन दिया जा सके.

School director struggling with financial crisis
स्कूलों में पसरा सन्नाटा

शिक्षकों को वेतन की चिंता

वहीं शिक्षक भी ये मानते हैं कि अभी तक तो स्कूल संचालक उन्हें आर्थिक सहायता देते रहे हैं, लेकिन अब जुलाई का माह भी अपने अंतिम दौर में है. न तो नए एडमिशन हो रहे हैं और न ही बच्चों की फीस आ रही है. ऐसे में आगामी दिनों में संचालक उन्हें वेतन देने में भी असमर्थता जताने लगे हैं.

School director struggling with financial crisis
खाली पड़ी क्लास

प्राइवेट स्कूलों के लिए कोई नीति नहीं

उधर, जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि शासन की तरफ से प्राइवेट स्कूलों के लिए अभी कोई नीति नहीं बनी है. जिससे इनकी मदद की जा सके, अगर कोई नीति आती है तो उनकी मदद होगी, फिलहाल कोई निर्देश नहीं है.

सरकार से मदद की दरकार

स्कूलों के संचालन में आ रही दिक्कतें केवल प्राइवेट स्कूल संचालकों को है क्योंकि शासकीय स्कूलों को संचालित करने के लिए शासन मदद कर रहा है, ऐसे हालात में निचले स्तर के स्कूल संचालकों के सामने रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है. इनके पास सरकार से मदद के अलावा कोई चारा नहीं है.

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