दमोह। बच्चों को अनुशासन और सिद्धांतों का पाठ पढ़ाने वाले शिक्षक ही जब अनुचित कार्य करने लगे तो समाज में क्या संदेश जाएगा. ऐसा ही एक मामला दमोह के कोतवाली थाना क्षेत्र के शासकीय सरदार पटेल स्कूल से सामने आया है. दरअसल राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त एवं शहर के जाने-माने साहित्यकार ठाकुर रामचंद्र सिंह सन्यासी, सरदार पटेल शाला में पदस्थ थे, जो कि अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं. जब वह स्कूल में पदस्थ थे तब उन्होंने कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर मनमाने तरीके से राशि खर्च कर दी. जिसका खुलासा शिक्षक के रिटायरमेंट के बाद हुआ है. मामले की जांच की जा रही है.
ऐसे हुआ पूरा खुलासा
शिक्षक के रिटायरमेंट के बाद जब दूसरे प्राचार्य की वहां पर पोस्टिंग की गई तो उन्होंने पूरे दस्तावेजों को खंगाला. तत्कालीन प्राचार्य बीडी अहिरवार ने जब देखा की सामग्री की खरीदी मनमाने तरीके से कर ली गई और उसमें फर्जी बिल लगाए गए और राशि का आहरण हुआ. जबकि वह सामग्री जैसे टेबल, कुर्सी, स्टेशनरी, ब्लैक बोर्ड और परीक्षा इत्यादि से संबंधित अन्य सामग्री शाला में मौजूद ही नहीं है. इसके बाद उन्होंने एक शिकायत साल 2019 में सिटी कोतवाली में दर्ज कराई. यह करीब 1 लाख 40 हजार रुपए के गबन का मामला है.
पुलिस ने मामले पर संज्ञान लेते हुए सन्यासी के विरुद्ध धारा 420 और अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज कर लिया. साथ ही उन्हें पूछताछ के लिए जब कोतवाली तलब किया गया तो मामले की भनक पाकर आरोपी शिक्षक फरार हो गया. तभी से उसकी खोजबीन चल रही थी. रविवार को पुलिस को सूचना मिली कि शिक्षक अपने घर पर आया हुआ है. जिसके बाद दबिश देते हुए पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया. (Retired Teacher Accused in Money Defalcation case)
यह मामला 2 साल पुराना है. लेकिन शिक्षक पर कूट रचित दस्तावेज के आधार पर राशि गबन करने के आरोप लगाए गए थे. शिक्षक के बयान दर्ज किए जाएंगे साथ ही पूरे मामले की पड़ताल की जा रही है.
- सत्येंद्र सिंह राजपूत, कोतवाली टीआई
सभी आरोप निराधार हैं
इस मामले में रिटायर्ड शिक्षक रामचंद्र सन्यासी का कहना है कि उनके ऊपर गलत आरोप लगाए गए हैं. दरअसल विभाग ने उनकी 10 लाख रुपए की ग्रेच्युटी राशि रोक ली थी. जिसके लिए उन्होंने कई बार अधिकारियों को आवेदन दिए लेकिन जब निराकरण नहीं हुआ, तो उन्हें कोर्ट की शरण लेना पड़ी. कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें 4 लाख रुपए की राशि का भुगतान किया गया. उसी की लड़ाई वह लड़ रहे हैं इसलिए उन्हें गलत तरीके से गबन के मामले में फंसाया गया है.