दमोह। शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए शासन पूरी तरह से सकारात्मक प्रयास करता आ रहा है. सरकार जहां ग्रामीण स्तर पर लोगों को शिक्षित बनाने का प्रयास करती है, तो वहीं नीचे बैठे आला अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नहीं देते. पथरिया विधानसभा में कई स्कूल हैं, जहां ना बिल्डिंग है, ना ही बाउंड्री और ना ही शिक्षा का स्तर, ना पीने को पानी. लेकिन इन सब के उलट पथरिया मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर सतौआ प्राथमिक विद्यालय समस्त सुविधाओं से युक्त है. जिसका श्रेय विद्यालय के प्राचार्य और ग्रामीणों के साथ शिक्षकों को जाता है.
ग्रामीणों और शिक्षकों की मेहनत लाई रंग
शासकीय माध्यमिक शाला सतौआ प्रदेश के सभी शासकीय विद्यालयों में आज एक मिसाल कायम किए हुए है, जहां प्रदेश के समस्त विद्यालयों में छात्र मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. वहीं प्राथमिक विद्यालय सतौआ में वहां के प्रचार्य शिक्षक निर्मल जैन और शिक्षकों के प्रयासों द्वारा शाला में वो सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो छात्रों को उनके वर्तमान जीवन में तो लाभदायक हैं, साथ ही साथ उनके भविष्य में भी उन्हें अपनी आजीविका के लिए लाभकारी होगी. विद्यालय में प्रचार्य एवं शिक्षकों के प्रयासों से न्यूट्रीशियन गार्डन बनाया गया.
2008 में हुई थी विद्यालय की स्थापना
माध्यमिक स्कूल सतौआ की स्थापना वर्ष 2007-8 में हुई थी. उस समय स्कूल में सभी प्रकार की भौतिक सुविधाओं का अभाव था, विद्यालय में छात्रों को ना तो पीने के लिए पानी की व्यवस्था थी, ना ही बाउंड्रीवाल थी और ना ही शिक्षा का स्तर ठीक था और शाला भवन जर्जर अवस्था में था. वर्तमान में शिक्षकों के प्रयासों से विद्यालय की स्थिति में काफी हद तक है. विद्यालय में कुल 72 छात्र छात्राएं अध्धयनरत हैं, जिनको समस्त सुविधाएं उपलब्ध हैं. जो कि एक अच्छी निजी स्कूल में होती है.
शिक्षकों के प्रयासों से शासन द्वारा बाउंड्री वॉल उपलब्ध कराई गई और विद्युत व्यवस्था की गई. शिक्षक स्टाफ द्वारा और आम नागरिकों के सहयोग से शाला में पानी की व्यवस्था की गई. संपूर्ण शाला परिसर में रनिंग वाटर सिस्टम भी लगवाया गया और संपूर्ण भवन में टाइल्स लगवाए गए.
न्यूट्रीशियन गार्डन ने बढ़ाई स्कूल की रौनक
स्कूल की खाली पड़ी जगह में न्यूट्रीशियन गार्डन का निर्माण करवाया गया, जिसका मूल उद्देश्य छात्रों को पोषण आहार में समस्त विटामिनों से युक्त फल और सब्जियां मिल सकें. शासन द्वारा मध्यह्वान भोजन की व्यवस्था तो की जाती है, लेकिन उसमें उचित मात्रा में रासायनिक पदार्थों और विटामिनों की मात्रा उपलब्ध नहीं होती. इसलिए विद्यालय द्वारा ही मध्यह्वान भोजन के लिए सब्जियां उपलब्ध करा दी जाती हैं.
जिससे छात्रों को उचित मात्रा में विटामिन एवं रासायनिक पदार्थ भोजन के रूप में उपलब्ध हो सके. वर्तमान में गार्डन में लौकी, तोरई, गिलकी, कद्दू, अमरूद, भिंडी जैसी सब्जियां लगाई गई हैं, मुनगा का पेड़ भी लगाया गया है. जो कि प्रोटीन, विटामिन, खनिज व सभी पोषक तत्वों का भंडार है. इसके अतिरिक्त गार्डन में कई प्रकार के औषधीय पौधे जैसे अश्वगंधा, आंवला मधुमालती, तुलसी, भी लगाए गए हैं गार्डन की सुंदरता के लिए सैकड़ों पौधे चंपा, चमेली तथा अशोक आदि की भी लगाए गए हैं.
मध्याह्वन भोजन की सच्चाई बयां करता है स्कूल
जहां सतौआ प्राथमिक विद्यालय में सभी प्रकार की व्यवस्थाएं हैं. तो वहीं स्कूल के प्राचार्य द्वारा मध्याह्वन भोजन में खराब खाना आने की बातें भी कही गई है. जिससे साफ हो गया है कि शासन द्वारा मध्याह्वन भोजन में निचले स्तर के शिक्षकों, प्राचार्य, ठेकेदारों, अधिकारियों, द्वारा भ्रष्टाचार एवं लापरवाही की जाती है. इसका सीधा प्रभाव स्कूल के बच्चों की सेहत पर पड़ता है.
प्राचार्य ने की सभी शिक्षकों से अपील
निर्मल जैन ने बताया कि वह सातौआ माध्यमिक विद्यालय में पिछले 13 वर्ष से अपनी सेवाएं दे रहे हैं और पिछले 4 साल से हेड मास्टर के पद पर कार्यरत हैं. तभी से उनके दिमाग में आया कि अपने विद्यालय को ऐसे बनाएं जैसे निजी संस्थाएं कार्य करती हैं और इस विचार को लेकर वे आगे बढ़े और अब तक अपने निजी खर्चे 8 लाख से विद्यालय की रंगत बदल दी. हमारी मेहनत से स्कूल में कम्प्यूटर लैब, लाइब्रेरी जैसी व्यवस्थाएं भी की गई हैं. कलेक्टर तरुण राठी द्वारा भी स्कूल का निरीक्षण किया जा चुका है और उनके द्वारा प्राचार्य के कार्य को सराहा गया.
शिक्षक मोहन सिंह ठाकुर ने बताया कि प्राचार्य के विचार पर कार्य किया गया और हम लोगों की मेहनत रंग लाई. अब हमारे स्कूल के बच्चे भी सभी सुविधाओं के साथ आगे बढ़ रहे हैं. ग्रामीण प्रशांत चौबे ने बताया कि न्यूट्रीशियन गार्डन के लिए किस तरह की मिट्टी और पेड़ लगाने होते ये सब ग्रामीणों के सुझाव से हुआ है और प्राचार्य के मार्गदशन में हम ग्रामीणों ने बस सहायता की है.