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MP Damoh हटा के 5 सौ परिवारों पर संकट, घर खाली कराने के लिए मुनादी - जिला प्रशासन के खिलाफ रोष

दमोह जिले के हटा में 500 परिवारों के सिर से छत छिनने का खतरा बढ़ गया है. जिला प्रशासन ने इन्हें बेदखली का आदेश दिया है. खाली करने के लिए मुनादी करा दी गई है. यहां के रहवासी दिन-रात इसी चिंता में डूबे हैं कि वे अब कहां जाएंगे. इनका दर्द सुनने के लिए कोई जनप्रतिनिधि भी नहीं आ रहा है.

MP Damoh Hata town Crisis on 500 families
MP Damoh हटा के 5 सौ परिवारों पर संकट
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Published : Jan 28, 2023, 1:40 PM IST

MP Damoh हटा के 5 सौ परिवारों पर संकट

दमोह। बीते 20 दिन से हटा नगर में 500 से अधिक परिवार सरकारी फरमान की दहशत में अपने दिन काट रहे हैं. इन परिवारों के लोग चैन से सांस तक नहीं ले पा रहे हैं. रात में सो नहीं पा रहे हैं. खाना-पीना भी ढंग से नहीं हो पा रहा है. दहशत है तो सिर्फ अपने सिर से छत छिन जाने की. दरअसल, राजस्‍व विभाग द्वारा करीब 20 दिन पहले फरमान जारी कर दिया कि नगर के खसरा नंबर 22/1, 24, 26/ 40, 43, 45, 62 / 1, 61 / 1, 69 / 1, 70, एवं 71 /1 जो शासकीय घास, चारागाह, भू-जल मद में अंकित हैं, इन्हें खाली कराया जाना है.

कई दशकों से अतिक्रमण : इस जमीन पर कई दशकों से लोग अतिक्रमण करके अपने मकान बनाए हुए हैं. इसके लिए राजस्‍व विभाग द्वारा मुनादी कराई गई. लाल निशान लगाए गए. इसके बाद बेदखली के कागज भी रहवासियों को थमा दिए गए. जिस क्षेत्र में बेदखली के फरमान जारी किए गए हैं, वहां 500 से अधिक परिवार निवास करते हैं. करीब 10 वर्ष पूर्व सरकार ने इसे अयोध्‍या बस्‍ती को दर्जा देकर सीसी रोड का निर्माण, बिजली पोल, नल जल सप्‍लाई लाइन का विस्‍तार, हैंडपंप खनन सहित अनेक कार्य भी कराए थे.

रहवासियों के पास पट्टे मौजूद : राजीव गांधी आश्रय योजना के अन्‍तर्गत इसी स्‍थान के पट्टे वितरित किए थे. करीब 90 परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी दिया जा चुका है. इस वार्ड में अधिकांशतः गरीब मजदूर परिवार रहते हैं. जिसमें बीड़ी श्रमिक, रोज कमाने रोज खाने वाले परिवार हैं. करीब 100 परिवार अति गरीबी रेखा से नीचे तो 250 घर गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीने वाले यहीं बसे हैं. इनमें 20 वृद्ध विधवाएं भी अपने परिवार का पालन किसी प्रकार कर रही हैं. आधे से ज्‍यादा रहवासी अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं. इस मोहल्‍ला में दहशत ऐसी है कि स्‍कूल जाने वाला बच्‍चा, हाथ ठेला चलाने वाला श्रमिक, रोजी रोटी की तलाश में गया इंसान को यह विश्‍वास नहीं कि जब वह वापस आएगा तो उसे अपना घर सही सलामत मिलेगा कि नहीं.

रहवासी किसी भी हद तक जाने को तैयार : 70 वर्षीय वृद्ध विधवा मालती कोरी ने बताया कि 50 साल पहले यही डोली उतरी थी. यहीं पति की मौत हुई थी. अब हमारी अर्थी भी यहीं से उठेगी. यही हाल लगभग सभी का है. कोई 50 साल से तो कोई 40 साल से यहां रह रहा है. दशोदा, भग्‍गो बाई ने बताया कि सुना था कि सरकार मकान बनवाकर दे रही है लेकिन यहां ऐसी आपदा आई कि सरकार सब को बेघर करने तुली है. मुन्‍नी बाई विश्‍वकर्मा ने बताया कि बीड़ी बनाकर परिवार चलाया, घर की छत बनाई. अब इसे क्‍यों तोड़ने पर उतारू हैं.

संपदा संचलानय ने थमाया 66 परिवारों को घर खाली करने का नोटिस

जिला प्रशासन के खिलाफ रोष : चिकित्‍सक एवं समाजसेवी डॉ. सत्‍यवेन्‍द्र सिंह राजपूत ने कहा कि इस जमीन को प्रशासन क्‍यों खाली कराना चाह रहा है, कोई स्‍पष्‍ट जवाब नहीं दे रहा है. इस तरह से यदि मकान गिराए जाते हैं तो यह सरकारी सुनामी होगी. 500 परिवारों को रहने के लिए छत भी नहीं होगी, हजारों लोग बेघर हो जाएंगे. शैलेन्‍द्र सिंह राजपूत का कहना है कि आज के दौर में कोई परिवार किस तरह चला रहा है. कैसे मकान तैयार होता है. एक साथ इतने परिवारों पर जब अतिक्रमण का गाज गिरेगी तो कैसी तबाही होगी, इस पर प्रशासन को सोचना चाहिए.

MP Damoh हटा के 5 सौ परिवारों पर संकट

दमोह। बीते 20 दिन से हटा नगर में 500 से अधिक परिवार सरकारी फरमान की दहशत में अपने दिन काट रहे हैं. इन परिवारों के लोग चैन से सांस तक नहीं ले पा रहे हैं. रात में सो नहीं पा रहे हैं. खाना-पीना भी ढंग से नहीं हो पा रहा है. दहशत है तो सिर्फ अपने सिर से छत छिन जाने की. दरअसल, राजस्‍व विभाग द्वारा करीब 20 दिन पहले फरमान जारी कर दिया कि नगर के खसरा नंबर 22/1, 24, 26/ 40, 43, 45, 62 / 1, 61 / 1, 69 / 1, 70, एवं 71 /1 जो शासकीय घास, चारागाह, भू-जल मद में अंकित हैं, इन्हें खाली कराया जाना है.

कई दशकों से अतिक्रमण : इस जमीन पर कई दशकों से लोग अतिक्रमण करके अपने मकान बनाए हुए हैं. इसके लिए राजस्‍व विभाग द्वारा मुनादी कराई गई. लाल निशान लगाए गए. इसके बाद बेदखली के कागज भी रहवासियों को थमा दिए गए. जिस क्षेत्र में बेदखली के फरमान जारी किए गए हैं, वहां 500 से अधिक परिवार निवास करते हैं. करीब 10 वर्ष पूर्व सरकार ने इसे अयोध्‍या बस्‍ती को दर्जा देकर सीसी रोड का निर्माण, बिजली पोल, नल जल सप्‍लाई लाइन का विस्‍तार, हैंडपंप खनन सहित अनेक कार्य भी कराए थे.

रहवासियों के पास पट्टे मौजूद : राजीव गांधी आश्रय योजना के अन्‍तर्गत इसी स्‍थान के पट्टे वितरित किए थे. करीब 90 परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी दिया जा चुका है. इस वार्ड में अधिकांशतः गरीब मजदूर परिवार रहते हैं. जिसमें बीड़ी श्रमिक, रोज कमाने रोज खाने वाले परिवार हैं. करीब 100 परिवार अति गरीबी रेखा से नीचे तो 250 घर गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीने वाले यहीं बसे हैं. इनमें 20 वृद्ध विधवाएं भी अपने परिवार का पालन किसी प्रकार कर रही हैं. आधे से ज्‍यादा रहवासी अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं. इस मोहल्‍ला में दहशत ऐसी है कि स्‍कूल जाने वाला बच्‍चा, हाथ ठेला चलाने वाला श्रमिक, रोजी रोटी की तलाश में गया इंसान को यह विश्‍वास नहीं कि जब वह वापस आएगा तो उसे अपना घर सही सलामत मिलेगा कि नहीं.

रहवासी किसी भी हद तक जाने को तैयार : 70 वर्षीय वृद्ध विधवा मालती कोरी ने बताया कि 50 साल पहले यही डोली उतरी थी. यहीं पति की मौत हुई थी. अब हमारी अर्थी भी यहीं से उठेगी. यही हाल लगभग सभी का है. कोई 50 साल से तो कोई 40 साल से यहां रह रहा है. दशोदा, भग्‍गो बाई ने बताया कि सुना था कि सरकार मकान बनवाकर दे रही है लेकिन यहां ऐसी आपदा आई कि सरकार सब को बेघर करने तुली है. मुन्‍नी बाई विश्‍वकर्मा ने बताया कि बीड़ी बनाकर परिवार चलाया, घर की छत बनाई. अब इसे क्‍यों तोड़ने पर उतारू हैं.

संपदा संचलानय ने थमाया 66 परिवारों को घर खाली करने का नोटिस

जिला प्रशासन के खिलाफ रोष : चिकित्‍सक एवं समाजसेवी डॉ. सत्‍यवेन्‍द्र सिंह राजपूत ने कहा कि इस जमीन को प्रशासन क्‍यों खाली कराना चाह रहा है, कोई स्‍पष्‍ट जवाब नहीं दे रहा है. इस तरह से यदि मकान गिराए जाते हैं तो यह सरकारी सुनामी होगी. 500 परिवारों को रहने के लिए छत भी नहीं होगी, हजारों लोग बेघर हो जाएंगे. शैलेन्‍द्र सिंह राजपूत का कहना है कि आज के दौर में कोई परिवार किस तरह चला रहा है. कैसे मकान तैयार होता है. एक साथ इतने परिवारों पर जब अतिक्रमण का गाज गिरेगी तो कैसी तबाही होगी, इस पर प्रशासन को सोचना चाहिए.

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