दमोह। शादी के बाद करीब 4 वर्षों से अलग रह रहे पति-पत्नी को एक बार फिर लोक अदालत ने मिलाकर उनके जीवन में खुशियों के रंग भर दिए हैं. समाधान होने के बाद अब दोनों जीवन की नई राह पर चल पड़े हैं.
साल 2017 में हुआ था विवाह
दरअसल, ग्राम चंदेना के रहने वाले अशोक अहिरवार का प्रेम विवाह बांदकपुर की क्रांति अहिरवार के साथ साल 2017 में हुआ था. नवविवाहिता को पति का सांवला रंग रास नहीं आया. यहीं से दोनों के बीच छोटे-छोटे झगड़े शुरू हो गए. घर की लड़ाई चारदीवारी से निकलकर अदालत तक पहुंच गई.
2018 से 2021 तक चला मुकदमा
2018 से 2021 तक दोनों पक्षों में मुकदमे बाजी होती रही. दहेज के मामले से लेकर घरेलू हिंसा और मेंटनेंस के मुकदमे दोनों पक्षों में चले, आखिरकार बात तलाक तक पहुंच गई. अशोक अहिरवार ने बताया कि वह दिल्ली में एक बिल्डर की कार चलाता है. उसी बिल्डर के यहां उसकी पत्नी कामकाज करती है. 2017 में जब वह दोनों मिले तो मुलाकात प्रेम में बदल गई. उनका प्रेम विवाह परिवार की सहमति से हो गया.
पति पर लगाए थे शारीरिक और दहेज प्रताड़ना के आरोप
पहली ही विदाई के बाद पत्नी ने घर आने से मना कर दिया. इस तरह एक साल बीत गया और 2018 में जब नोटिस आया तो पता चला कि पत्नी ने शारीरिक प्रताड़ना और दहेज का आरोप लगाया है. पिछली साल जब एक बार फिर फोन पर बातचीत शुरू हुई, तो दोनों साथ में रहने लगे. अब मामला पूरी तरह खत्म हो गया है. दोनों साथ रहने को राजी हो गए हैं.
कैसे सुलझा मामला
अदालत में मामले के चलते हुए ढाई साल हो गए, तब पति पक्ष के अधिवक्ता मनीष नगाइच ने दोनों को बिठाकर उनका पक्ष सुना और मीडिएशन कर कुछ दिन साथ-साथ रहने को राजी किया. तरकीब सफल रही. इसके बाद दोनों पक्ष न्यायालय पहुंचे. प्रधान न्यायाधीश भगवत प्रसाद पांडेय व सामाजिक कार्यकर्ता राजेश खरे की लोक अदालत पीठ में हाजिर हुए. अधिवक्ता मनीष नगाइच मुकेश पांडेय ने राजीनामा प्रपत्र प्रस्तुत कर दोनों को विदा किया.
पत्नी ने पति को बताई देवर की करतूत तो दे दिया तीन तलाक
ढोल नगाड़ों के साथ पहुंचे मंदिर
दोनों पक्षों में राजीनामा होने के बाद प्रधान न्यायाधीश भगवत प्रसाद पांडेय, अपर सत्र न्यायाधीश नवीन पाराशर, रजनी प्रकाश बाथम की उपस्थिति में दोनों ने एक दूसरे को वरमाला पहनाई. न्यायालय परिवार ढोल नगाड़ों के साथ मंदिर पहुंचा व दोनों पक्षों को उनके सुखद वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद दिया.